छत्तीसगढ़ चुनावः राजनांदगांव में मुख्यमंत्री रमन सिंह और अटल जी की भतीजी करुणा शुक्ला में कांटे का संघर्ष
By गोपाल वोरा | Published: November 11, 2018 09:39 AM2018-11-11T09:39:18+5:302018-11-11T09:39:18+5:30
जिले की 3 सीटों पर त्रिकोणीय संघर्ष, प्रचार अभियान थमा. जानिए हाई प्रोफाइल सीट राजनांदगांव का सियासी हाल...
गोपाल वोरा, रायपुर: राजनांदगांव जिले की 6 विधानसभा सीटों में कांटे का संघर्ष उभरकर सामने आया है. सबसे हाई प्रोफाइल सीट राजनांदगांव है, जिसमें मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह भाजपा प्रत्याशी हैं और कांग्रेस की ओर से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला चुनाव लड़ रही हैं. दोनों के बीच सीधी टक्कर है. अंतिम दौर में यहां कांटे का संघर्ष हो गया है, क्योंकि शुक्रवार और शनिवार को लगातार कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने राजनांदगांव शहर में रोड शो कर माहौल को गरमा दिया है.
राजनांदगांव की 6 सीटों पर 12 नवंबर को मतदान होने जा रहा है. मुख्यमंत्री ने पिछला 2013 का विधानसभा चुनाव 59.26 प्रतिशत मत हासिल कर कांग्रेस प्रत्याशी अलका मुदलियार को 65,866 मतों के भारी अंतर से पराजित किया था. भाजपा प्रत्याशी को 86,797 मत प्राप्त हुए थे और कांग्रेस की अलका मुदलियार को 50,931 मत मिले थे. इस चुनाव में कांटे की टक्कर होने के बावजूद भाजपा उम्मीदवार डॉ. रमन सिंह की विजय सुनिश्चित मानी जा रही है. यहां के मतदाता विधायक चुनने के लिए नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री चुनने के लिए अपने मत डालेंगे. शेष सभी 5 सीटों पर विधायक का चुनाव होगा.
इस हाई प्रोफाइल सीट के परिणामों पर प्रदेश ही नहीं, पूरे देश की निगाहें लगी हुई हैं. अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी के मैदान में आने से चुनाव का महत्व और अधिक बढ़ गया है. राजनांदगांव विधानसभा के अतिरिक्त जिले के पांच अन्य विधानसभा क्षेत्रों में भी कहीं-कहीं त्रिकोणीय और कहीं-कहीं सीधा मुकाबला हो रहा है. खैरागढ़ विधानसभा क्षेत्र में त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति है. यहां भाजपा ने अपने पूर्व संसदीय सचिव कोमल जंघेल को प्रत्याशी बनाकर कांग्रेस के वर्तमान विधायक गिरवर जंघेल को चुनौती दी है. यहां का संघर्ष त्रिकोणीय हो गया है, क्योंकि राजपरिवार के दबदबे वाला यह क्षेत्र है.
यहां के पूर्व राजा देवव्रत सिंह चुनावी मैदान में अजीत जोगी कांग्रेस की ओर से चुनाव लड़ रहे हैं. वे दो बार विधायक भी रह चुके हैं. गिरवर जंघेल कांग्रेस के पिछले चुनाव में 70,133 मत प्राप्त कर विजयी हुए थे. उन्हें 47.52 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे. उस समय भी उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी कोमल जंघेल ही थे. देवव्रत सिंह दो बार विधायक रहे 1998 और 2003 में वे कांग्रेस के प्रत्याशी थे. राजनांदगांव जिले में इस समय कांग्रेस हावी है. वहां 2013 के चुनाव में चार विधायक विजयी हुए थे.
वहीं भाजपा को केवल दो सीटों से संतोष करना पड़ा था. इसमें राजनांदगांव और डोंगरगढ़ सीटें शामिल हैं. इसी वजह से भाजपा ने इस बार बस्तर और राजनांदगांव में पूरी ताकत झोंक दी है. प्रथम चरण की 18 सीटों में कांग्रेस का ही पलड़ा भारी रहा है. इस चुनाव में बाजी जीतने के लिए भाजपा ने पूरी तैयारी की है. डोंगरगांव का विधानसभा चुनाव भी काफी दिलचस्प हो गया है. यहां मुख्यमंत्री के विशेष कृपा पात्र राजनांदगांव के पूर्व महापौर मधुसूदन यादव और निवर्तमान विधायक दलेश्वर साहू के बीच सीधा मुकाबला हो रहा है.
वहीं बहुजन समाज पार्टी ने अपना प्रत्याशी अशोक वर्मा को बनाया था लेकिन शुक्रवार को अचानक बसपा प्रत्याशी अशोक वर्मा भाजपा में शामिल हो गए. इससे मधुसूदन यादव की राहें अब आसान हो गई हैं. खुज्जी में भी त्रिकोणीय मुकाबला है. यहां भाजपा से वीरेंद्र साहू और कांग्रेस से छन्नी साहू तथा जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ से जनरल सिंह भाटिया मैदान में उतरे हुए हैं. तीनों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. डोंगरगढ़ विधानसभा क्षेत्र में वर्तमान विधायक सरोजनी बंजारे को कांग्रेस के साथ नगरपालिका अध्यक्ष रही तरुण हत्थेल से सीधा मुकाबला करना है.
कांग्रेस से भुवनेश्वर बघेल नए चेहरे के रूप में मैदान में उतरे हैं. मोहला-मानपुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र है. अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित इस सीट में भी त्रिकोणीय मुकाबला है. कांग्रेस इंद्रशाह मंडावी और भाजपा की कंचन माला भूआर्य के साथ जोगी कांग्रेस के संजीत ठाकुर मुकाबले में दिख रहे हैं. इस सीट पर आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी भी झाड़ू लेकर सफाई करने के लिए उतरे हुए हैं.