छत्तीसगढ़: कोयला खनन परियोजनाओं के खिलाफ नौ दिनों से 300 किमी की पैदल यात्रा पर 30 गांवों के लोग

By विशाल कुमार | Published: October 13, 2021 09:33 AM2021-10-13T09:33:15+5:302021-10-13T09:48:25+5:30

प्रदर्शनकारियों के संयुक्त मंच हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के अनुसार, उनके विरोध के बावजूद क्षेत्र में छह कोयला ब्लॉक आवंटित किए गए हैं, जिनमें से दो खनन के लिए चालू हो गए हैं. इसमें से चार खदानें अडाणी समूह के पास हैं.

chhattisgarh coal mining projects foot march tribals of 30 villages | छत्तीसगढ़: कोयला खनन परियोजनाओं के खिलाफ नौ दिनों से 300 किमी की पैदल यात्रा पर 30 गांवों के लोग

कोयला खनन परियोजनाओं के खिलाफ आदिवासियों की पैदल यात्रा. (फोटो: @CBA_Raipur)

Highlightsआदिवासी समुदाय के ये करीब 350 लोग सर्गुजा और कोर्बा जिलों से हैं.ग्रामीण हसदेव अरण्य क्षेत्र में चल रहे और प्रस्तावित कोयला खनन परियोजनाओं का विरोध कर रहे हैं.छह कोयला ब्लॉक आवंटित किए गए हैं. इसमें से चार खदानें अडाणी समूह के पास हैं.

रायपुर:छत्तीसगढ़ के 30 गांवों के आदिवासी समुदाय के लोग क्षेत्र में कोयला खनन परियोजनाओं के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराने के लिए राजधानी रायपुर पहुंचने के लिए पिछले नौ दिनों से 300 किलोमीटर की यात्रा पर निकले हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, आदिवासी समुदाय के ये करीब 350 लोग सर्गुजा और कोर्बा जिलों से हैं. उनका आरोप है कि खनन के लिए किए गए भूमि अधिग्रहण अवैध हैं.

इस यात्रा की शुरुआत सर्गुजा जिला स्थित अंबिकापुर के फतेहपुर से यह पैदल यात्रा बीते 3 अक्टूबर को निकली थी. उनके 13 अक्टूबर तक रायपुर पहुंचने की उम्मीद है जहां उन्होंने राज्यपाल अनुसुइया उइक और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात की मंजूरी मांगी है.

ग्रामीण हसदेव अरण्य क्षेत्र में चल रहे और प्रस्तावित कोयला खनन परियोजनाओं का विरोध कर रहे हैं, जिसके बारे में उनका कहना है कि इससे राज्य की वन पारिस्थितिकी तंत्र को खतरा है.

दोनों जिलों के प्रदर्शनकारियों के संयुक्त मंच हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के अनुसार, उनके विरोध के बावजूद क्षेत्र में छह कोयला ब्लॉक आवंटित किए गए हैं, जिनमें से दो खनन के लिए चालू हो गए हैं. इसमें से चार खदानें अडाणी समूह के पास हैं.

ग्रामीणों को संबोधित करते हुए एक प्रदर्शनकारी कहती हैं कि अडानी समूह हमारे घरों, वन भूमि को छीन रहा है जहां हम 8 पीढ़ियों से रह रहे हैं, हमारे बच्चे कहां जाएंगे, हम रायपुर में विरोध करेंगे, सरकार को अडानी कंपनी को रोकना चाहिए और हमें हमारे घर और हमारी जगह वापस करनी चाहिए.

24 दिसंबर, 2020 को केंद्र द्वारा जारी अधिसूचना जारी पर उसे 470 आपत्तियां मिली थीं जिसमें राज्य सरकार की आपत्ति भी शामिल थी. लेकिन कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा था कि कानून में ग्राम सभा से मंजूरी का कोई प्रावधान नहीं है.

प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों का कहना है कि मुआवजा पर्याप्त नहीं है. पैसा और हमारी मातृभूमि समान नहीं हैं. कोई भी राशि समाप्त हो जाती है लेकिन हमारे घर यहां वर्षों से हैं.

Web Title: chhattisgarh coal mining projects foot march tribals of 30 villages

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