सारकेगुड़ा बीजापुर मुठभेड़: CM बघेल ने कहा, किसी भी बख्शा नहीं जाएगा, सुरक्षा बलों पर हैं ग्रामीणों पर गोलीबारी का आरोप
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 3, 2019 08:26 AM2019-12-03T08:26:59+5:302019-12-03T08:26:59+5:30
दक्षिण बस्तर के बीजापुर जिले में सारकेगुड़ा मुठभेड़ मामले की जांच कर रहे न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट रविवार को सोशल मीडिया में वायरल हो गई थी।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि सारकेगुड़ा मुठभेड़ (2012) में जो भी जिम्मेदार होगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि एक समिति गठित की है और जो तय करेगी कि किसके खिलाफ क्या कार्रवाई की जानी चाहिए। इस मामले में किसी को भी बख्शने का सवाल ही नहीं है। इस घटना में 17 लोग मारे गए थे।
दक्षिण बस्तर के बीजापुर जिले में सारकेगुड़ा मुठभेड़ मामले की जांच कर रहे न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट रविवार को सोशल मीडिया में वायरल हो गई थी। मामले की जांच मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति वी के अग्रवाल की अध्यक्षता वाले एक सदस्यीय आयोग ने की। उल्लेखनीय है 28 जून, 2012 की रात में सीआरपीएफ और छत्तीसगढ़ पुलिस के दल ने बीजापुर जिले के बसागुड़ा थाना क्षेत्र के सारकेगुड़ा में सात नाबालिगों सहित 17 लोगों को मार गिराया था।
Chhattisgarh Chief Minister Bhupesh Baghel on alleged 2012 Sarkeguda encounter: After that a committee is constituted and which will decide what actions should be taken against whom. There is no question of sparing anyone in this case. (2.12.19) https://t.co/e0djWyNjYu
— ANI (@ANI) December 3, 2019
सुरक्षा बलों ने तब दावा किया था कि माओवादियों की मौजूदगी के बारे में सूचना के आधार पर उन्होंने माओवादियों के खिलाफ कार्रवाई की थी जिसमें नक्सलियों ने भी गोलीबारी की थी। इस घटना के बाद राज्य में भाजपा सरकार ने इसमें न्यायिक जांच के आदेश दिए थे। रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला गया है कि सुरक्षा बलों ने ग्रामीणों पर गोलियां चलायीं थी जिसमें लोग मारे गए और घायल हुए। इस दौरान ग्रामीण वहां बैठक कर रहे थे और उन्होंने कोई गोलीबारी नहीं की थी।
रिपोर्ट के अनुसार सुरक्षा बलों ने घबराहट में गोलीबारी कर दी। वहीं छह सुरक्षाकर्मियों को आपसी गोलीबारी के कारण चोटें आईं। सुरक्षा बलों ने इसके बाद ग्रामीणों के साथ मारपीट की और अगली सुबह एक व्यक्ति की भी हत्या कर दी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस घटना की पुलिस जांच में हेराफेरी की गई है। इस बात के सबूत नहीं हैं कि मृतक या घायल ग्रामीणों में से कोई नक्सली था। यह भी जानकारी मिली है कि बैठक में कोई नक्सली मौजूद नहीं था। हांलाकि यह भी संदेह है कि ग्रामीणों ने यह बैठक उत्सव के लिए बुलाई थी।