छत्तीसगढ़: भूपेश बघेल सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण देने का किया फैसला
By भाषा | Published: August 28, 2019 05:43 AM2019-08-28T05:43:38+5:302019-08-28T05:43:38+5:30
छत्तीसगढ़: अधिकारियों ने बताया कि मंत्रिमंडल ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए छत्तीसगढ़ में लोक पदों और सेवाओं में तथा शैक्षणिक संस्थाओं में प्रवेश में सीटों का 10 प्रतिशत आरक्षण करने का निर्णय लिया है।
छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया है। केंद्र सरकार ने संसद में इस संबंध में विधेयक पारित किया था जिसके बाद से राज्य में भी सामान्य वर्ग को आर्थिक आधार पर आरक्षण देने की मांग की जा रही थी।
राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में आयोजित मंत्रिमंडल की बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। अधिकारियों ने बताया कि मंत्रिमंडल ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए छत्तीसगढ़ में लोक पदों और सेवाओं में तथा शैक्षणिक संस्थाओं में प्रवेश में सीटों का 10 प्रतिशत आरक्षण करने का निर्णय लिया है।
उन्होंने बताया कि इस संबंध में जनसंख्यात्मक जानकारी एकत्रित करने के लिये एक आयोग का गठन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि मंत्रिमंडल की बैठक में छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिये आरक्षण) अधिनियम,1994 में संशोधन करने के लिए छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिये आरक्षण) अधिनियम संशोधन अध्यादेश, 2019 के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया।
इसके तहत अनुसूचित जाति वर्ग का आरक्षण 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 13 प्रतिशत एवं अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने का अनुमोदन किया गया। मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अनुसूचित जाति वर्ग का आरक्षण 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 13 प्रतिशत करने तथा अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने की घोषणा की थी।
मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद सामान्य वर्ग ने राज्य में आर्थिक आधार पर आरक्षण लागू करने की मांग की थी। वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि मंत्रिमंडल ने राज्य के कोरबा, कटघोरा, धरमजयगढ़ और सरगुजा वनमंडल क्षेत्र के अंतर्गत 1995.48 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में लेमरू हाथी रिजर्व गठित करने का निर्णय लिया है।
इसके अंतर्गत 142 गांव आएंगे। यह दुनिया में अपनी तरह का पहला एलीफेंट रिजर्व होगा जहां हाथियों का स्थायी ठिकाना बन जाने से उनकी अन्य स्थानों पर आवाजाही तथा इससे होने वाले जान-माल के नुकसान पर अंकुश लगेगा। वर्तमान में राज्य में कुल 237 हाथी हैं, जो सरगुजा, बिलासपुर और रायपुर वन क्षेत्रों में भ्रमण कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि नक्सल प्रभावित क्षेत्र अबूझमाड़ अंतर्गत बस्तर संभाग के जिला नारायणपुर, बीजापुर तथा दंतेवाड़ा के लगभग 275 से अधिक असर्वेक्षित ग्राम स्थित हैं। इन ग्रामों का कोई भी शासकीय अभिलेख तैयार नहीं है।
मंत्रिमंडल ने निर्णय लिया है कि अबूझमाड़ क्षेत्र के असर्वेक्षित गांवों में वर्षों से निवासरत लगभग 50 हजार से अधिक लोगों को उनके कब्जे में धारित भूमि का मसाहती खसरा और नक्शा उपलब्ध कराया जाएगा। इससे किसान परिवारों के पास उनके कब्जे की भूमि का शासकीय अभिलेख उपलब्ध हो सकेगा तथा वे अपने काबिज भूमि का अंतरण कर सकेंगे। इस प्रकार अबूझमाड़ क्षेत्र अंतर्गत लगभग 10 हजार किसानों को 50 हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि का स्वामित्व प्राप्त होगा।