छत्तीसगढ़: अडाणी के जिस कोयला ब्लॉक को मंजूरी देने पर जोर दे रही सरकार, जैव विविधता संस्थान जता चुका है आपत्ति

By विशाल कुमार | Published: November 27, 2021 10:57 AM2021-11-27T10:57:17+5:302021-11-27T11:01:24+5:30

भारतीय जैव विविधता संस्थान ने अपने जैव विविधता रिपोर्ट में चेतावनी दी है कि छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्या कोयला क्षेत्र को प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित किया जाना चाहिए।

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छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल. (फाइल फोटो)

Highlightsराजस्थान विद्युत निगम का पीईकेबी कोयला ब्लॉक अडाणी इंटरप्राइजेज चलाती है।इस क्षेत्र को भारतीय जैव विविधता संस्थान प्रतिबंधित करने की मांग कर चुका है।राज्य सरकार ने डब्ल्यूआईआई की कई आपत्तियों को नजरअंदाज कर दिया।

रायपुर:छत्तीसगढ़ सरकार अरबपति उद्योगपति गौतम अडाणी के एक कोयला खदान को भारतीय जैव विविधता संस्थान (डब्ल्यूआईआई) की आपत्ति के बावजूद मंजूरी देने पर जोर डाल रही है।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, डब्ल्यूआईआई ने अपने जैव विविधता रिपोर्ट में चेतावनी दी है कि छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्या कोयला क्षेत्र को प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित किया जाना चाहिए।

हालांकि, छत्तीसगढ़ सरकार उसी इलाके में स्थित परसा (पूर्वी) एवं केट बेसव (पीईकेबी) कोयला ब्लॉक में दूसरे चरण की मंजूरी देने पर जोर दे रही है।

पीईकेबी कोयला क्षेत्र राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड की है और इसे अडाणी इंटरप्राइजेज चलाती है। पीईकेबी परियोजना में अडाणी इंटरप्राइजेज आधिकारिक तौर पर खनिज विकसित करने वाली और उसका संचालन करने वाली है।

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की वन सलाहकार समिति की 28 अक्टूबर की बैठक में राज्य सरकार द्वारा मंजूरी देने के तत्काल अनुरोध पर समिति ने विश्लेषण किया। इसमें 1136 हेक्टेयर में फैले जंगल की जमीन को पीईकेबी कोयला क्षेत्र के लिए देने का अनुरोध किया गया है।

बैठक की रिपोर्ट से पता चलता है कि भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद (आईसीएफआरई) और राज्य सरकार ने डब्ल्यूआईआई की कई आपत्तियों को नजरअंदाज कर दिया।

डब्ल्यूआईआई ने राज्य में इंसानों और हाथियों के बीच संघर्ष को पहले से ही तेजी से बढ़ता हुआ बताते हुए चेतावनी दी कि ऐसी परिस्थिति में कोई और खतरा रोकना राज्य के लिए असंभव हो सकता है। फिलहाल, हसदेव अरण्या कोयला क्षेत्र में छह कोयला ब्लॉक आवंटित किए गए हैं जिसमें से दो में खनन होता है।

13 अक्टूबर को दो जिलों के 350 से अधिक आदिवासी अपना विरोध दर्ज कराने के लिए 300 किलोमीटर से अधिक पैदल चलकर रायपुर पहुंचे थे। एक दिन बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदर्शनकारियों से मुलाकात की और उन्हें आश्वासन दिया कि कांग्रेस सरकार आदिवासियों के साथ खड़ी है और आगे भी खड़ी रहेगी।

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