सार्वजनिक स्थानों पर नहीं होगी छठ पूजा, त्योहार मनाने के लिए पहले जीवित रहना होगा: उच्च न्यायालय

By भाषा | Published: November 18, 2020 11:28 PM2020-11-18T23:28:44+5:302020-11-18T23:28:44+5:30

Chhath Puja will not be held in public places, to be alive first to celebrate the festival: High Court | सार्वजनिक स्थानों पर नहीं होगी छठ पूजा, त्योहार मनाने के लिए पहले जीवित रहना होगा: उच्च न्यायालय

सार्वजनिक स्थानों पर नहीं होगी छठ पूजा, त्योहार मनाने के लिए पहले जीवित रहना होगा: उच्च न्यायालय

नयी दिल्ली, 18 नवंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने सार्वजनिक स्थलों पर छठ पूजा मनाने की अनुमति देने से बुधवार को यह कहते हुए इनकार कर दिया कि किसी भी व्यक्ति को कोई भी त्योहार मनाने या किसी भी धर्म का पालन करने के लिए पहले जीवित रहना होगा। राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 की तीसरी लहर चल रही है।

न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा, ‘‘ समाज के सभी वर्गों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान किया जाना चाहिए लेकिन त्योहार मनाने के अधिकार की जगह लोगों के जीवन जीने और स्वास्थ्य के अधिकार की बलि नहीं दी जा सकती है, भले ही वह किसी खास समुदाय के लिए महत्वपूर्ण हो।’’

उधर, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बिहार के उनके समकक्ष नीतीश कुमार ने कोविड-19 महामारी के चलते छठ के दौरान सावधानी बरतने की अपील की। आदित्यनाथ ने पूर्व के त्‍योहारों की भांति छठ पर्व भी घर पर ही मनाने की अपील की।

बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने छठ पूजा के मौके पर समुद्र तटों, नदियों और अन्य प्राकृतिक जलाशयों के किनारे भीड़ जुटने पर प्रतिबंध लगाते हुए श्रद्धालुओं से कहा है कि वे बड़ी संख्या में इन स्थानों पर जमा होने से बचें।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि दिल्ली के बाशिंदो का स्वास्थ्य का अधिकार सर्वोच्च है और तालाबों, नदी तटों और मंदिरों जैसे सार्वजनिक स्थानों पर छठ मनाने की ऐसी कोई भी अनुमति देने का परिणाम लोगों को ‘संक्रमण का वाहक’ बनाना होगा।

दुर्गा जन सेवा ट्रस्ट की याचिका खारिज करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘ इस संक्रमण को काबू में लाने के लिए चीजें (गतिविधियां) बढ़ाने नहीं बल्कि घटाने का समय है।’’

दुर्गा जन सेवा ट्रस्ट ने दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) के अध्यक्ष द्वारा जारी प्रतिबंध के आदेश को चुनौती दी थी। डीडीएमए ने 10 नवंबर को अपने आदेश में कहा था कि 20 नवंबर को छठ पूजा के लिए सार्वजनिक स्थलों पर भीड़ के एकत्रित होने की अनुमति नहीं होगी।

उच्च न्यायालय ने कहा कि छठ पूजा के लिए 1000 लोगों के इकट्ठा होने की अनुमति देने की मांग संबंधी इस अर्जी में दम नहीं है।

पीठ ने कहा, ‘‘दिल्ली सरकार शादियों में 50 से ज्यादा लोगों को आने की इजाजत नहीं दे रही है और आप चाहते हैं कि केवल 1,000 लोग आएं।’’

पीठ ने कहा कि उसे डीडीएमए के 10 नवंबर के आदेश में दखल देने का कोई कारण नजर नहीं आता क्योंकि डीडीएमए ने दिल्ली में कोविड-19 संक्रमण के प्रसार को ध्यान में रखा और लोगों को 20 नवंबर को छठ मनाने के लिए सार्वजनिक स्थानों पर इकट्ठा नहीं होने देने का निर्णय लिया।

न्यायालय ने कहा, ‘‘आपको कोई भी त्योहार मनाने के लिए जीवित रहना होगा।’’ पीठ ने कहा कि दिल्ली के बाशिंदों का स्वास्थ्य का अधिकार सर्वोच्च है।

अदालत ने कहा कि प्रतीत होता है कि याचिकाकर्ता कोविड-19 की स्थिति से वाकिफ नहीं है। दिल्ली सरकार के वकील नमन जैन ने कहा कि यहां इस महामारी की तीसरी लहर चल रही है।

पीठ ने कहा, ‘‘ पिछले एक सप्ताह में रोजाना संक्रमण 7800 से 8593 व्यक्ति चल रहा है। मौत का रोजाना आंकड़ा दहाई अंक को पार कर कुछ दिन पहले 104 हो गया। आज भी दिल्ली में 42004 मरीज उपचाररत है। ऐसी स्थिति में याचिकाकर्ता/ट्रस्ट प्रतिवादी/राज्य से दिल्ली में एक स्थान पर दो लाख से अधिक लेागों के लिए छठ के आयोजन के लिए अनुमति की उम्मीद नहीं करे।...’’

राजधानी में हजारों लोग खासकर बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोग छठ मनाते हैं। चार दिवसीय छठ उत्सव बुधवार को प्रारंभ हुआ।

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Web Title: Chhath Puja will not be held in public places, to be alive first to celebrate the festival: High Court

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