नीति आयोग के सदस्य के सदस्य प्रो. रमेश चंद ने कहा- आवश्यक वस्तु अधिनियम एक्ट में बदलाव से कृषि क्षेत्र में बढ़ेगा निवेश
By एसके गुप्ता | Published: June 4, 2020 05:31 AM2020-06-04T05:31:13+5:302020-06-04T05:31:13+5:30
प्रो. रमेश चंद ने लोकमत से कहा कि देश में 1990 के बाद यह बड़ा आर्थिक सुधार है। देश के कृषि क्षेत्र में अभी प्राइवेट सेक्टर का दो फीसदी निवेश नहीं है। इसके लिए प्राइवेट सेक्टर एपीएमसी एक्ट और आवश्यक वस्तु अधिनियम में बदलाव की मांग कर रहा था।
नई दिल्लीः किसान की आय को दोगुना करने के लिए केंद्र सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम में कृषि वस्तुओं को बाहर कर दिया है। जिससे किसान मनचाही कीमत पर अपनी फसलों का सौदा कर सके। नीति आयोग के सदस्य और कृषि विशेष प्रो. रमेश चंद ने लोकमत से खासबातचीत में कहा कि नए बदलावों के तहत कृषि क्षेत्र की वस्तुओं पर से स्टॉक लिमिट खत्म कर दी गई है। जिससे व्यापार भी आसान होगा और किसान को कई तरह के फायदे होंगे। यह एक तरह से कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था से आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ने की दिशा में बड़ा बदलाव है।
प्रो. रमेश चंद ने लोकमत से कहा कि देश में 1990 के बाद यह बड़ा आर्थिक सुधार है। देश के कृषि क्षेत्र में अभी प्राइवेट सेक्टर का दो फीसदी निवेश नहीं है। इसके लिए प्राइवेट सेक्टर एपीएमसी एक्ट और आवश्यक वस्तु अधिनियम में बदलाव की मांग कर रहा था। पांच साल तक हर क्षेत्र का आंकलन करने के बाद नए प्रावधान और कानून तैयार कर उन्हें सरकार ने लागू किया है।
उन्होंने कहा कि किसान अभी तक अपनी फसलों को बेचने के लिए मंडी तंत्र पर निर्भर था। अब नए प्रावधानों में उसे आत्मनिर्भर बनाया गया है। वह मंडी के अंदर और बाहर यहां तक की ई-प्लेटफार्म पर अपनी फसल, गुणवत्ता और उसकी संख्या बताकर उसे मनचाही कीमत पर बेच सकेगा। अगर किसी व्यापारी को उच्च गुणवत्ता के आलू चाहिए तो वह मनमाफिक बीज उपलब्ध कराकर और सही तकनीक बताकर किसान से वह फसल प्राप्त कर सकता है और शुरू में ही निश्चित कीमत को लेकर सौदा कर पाएगा। जिससे किसान का भी फायदा होगा और व्यापारी का भी।
प्रो. रमेश चंद ने कहा कि नई नीति के तहत यह जरूरी नहीं होगा कि किसान आलू को कोल्ड स्टोरेज में रखे। वह उसे मंडी के बाहर अपने क्षेत्र में अपने गोदाम से कहीं भी बेच सकेगा। जलगांव में केले की खेती इसका बढिया उदाहरण है। जहां टिशू मुक्त केला खेती की जाती है और इसके लिए प्लांट लगे हैं।
अति आवश्यक स्थिति में कीमत नियंत्रयण का भी है प्रावधान
प्रो. रमेश चंद ने कहा कि इससे बाजार में प्रतियोगिता भी बढेगी। इसमें यह भी प्रावधान किया गया है कि अगर बाजार में किसी वस्तु की कीमत 50 फीसदी से ज्यादा बढ़ जाएगी या आलू-प्याज की कीमत 100 फीसदी बढ़ जाएगी। तो ऐसी अति आवश्यक परिस्थिति में जनहित को ध्यान में रखकर सरकार उन वस्तुओं और उसकी कीमत को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक कदम उठा सकती हैं।