अगले पांच साल के लक्ष्य की वजह से नहीं हुआ प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव का बदलाव
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: June 13, 2019 05:28 AM2019-06-13T05:28:43+5:302019-06-13T05:28:43+5:30
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी सरकार के अगले पांच साल के लक्ष्य की वजह से अपने प्रमुख सचिव में बदलाव नहीं किया
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी सरकार के अगले पांच साल के लक्ष्य की वजह से अपने प्रमुख सचिव में बदलाव नहीं किया . प्रधानमंत्री कार्यालय में तैनात प्रमुख सचिव नृपेंद्र मिश्रा और अतिरिक्त प्रमुख सचिव पी के मिश्रा को पुन: नियुक्त करते हुए उनका कार्यकाल प्रधानमंत्री के सेवाकाल से जोड़ते हुए उन्हें कैबिनेट का दर्जा भी दिया.
यह चर्चा थी प्रधानमंत्री संभवत: इस कार्यकाल में नया प्रमुख निजी सचिव नियुक्त करेंगे. इस पद के लिए नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत का नाम काफी चर्चा में था लेकिन अगले पांच साल में सरकार की 75 योजनाओं को पूरा करने या डिलीवरी को देखते हुए इन दोनों ही प्रमुख अधिकारियों को फिर से नियुक्ति देने का निर्णय किया गया. इसकी वजह यह थी कि प्रधानमंत्री यह नहीं चाहते थे कि कोई नया अधिकारी आए और उसके बाद वह नए सिरे से उसके साथ तारतम्य स्थापित करंे. ऐसे में योजनाओं की निगरानी और उनकी प्रगति पर असर हो सकता था.
ये दोनों ही प्रधानमंत्री के भरोसेमंद अधिकारियों में रहे हैं और जानते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कब क्या चाहते हैं. एक अधिकारी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार कह चुके हैं कि 2022 में देश की आजादी के 75 साल पूरे होने पर देश को 75 योजनाएं समर्पित करेंगे, ऐसे में वह किसी नए अधिकारी को लाकर कोई जोखिम नहीं लेना चाहते थे. पीके मिश्रा उनके साथ गुजरात में लंबे समय तक कार्य कर चुके हैं, वहीं नृपेंद्र मिश्रा भी उनके चहेते अधिकारी में शामिल रहे हैं .
कैबिनेट रैंक की वजह इन दोनों अधिकारियों को कैबिनेट रैंक या उसका दर्जा दिए जाने पर एक अधिकारी ने कहा कि सरकार गठन के समय सभी को चौंकाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व विदेश सचिव एस. जयशंकर को विदेश मंत्री नियुक्त किया था. वह 1977 बैच के भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी थे. यही वजह थी कि उनसे लगभग एक दशक सीनियर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और पूर्व आईपीएस अधिकारी अजित डोभाल को भी कैबिनेट दर्जा दिया गया, जिससे वह जब किसी ऐसी बैठक में जाए जहां पर विदेश मंत्री भी हों तो वैधानिक रूप से वह उनसे जूनियर नजर न आएं.
डोभाल 1968 बैच के आईपीएस थे. जब अजित डोभाल को कैबिनेट का दर्जा मिल गया तो फिर 1972 बैच के पीके मिश्रा को लेकर भी यही समस्या आई कि वह एस.जयशंकर से सीनियर होकर भी किसी बैठक में उनसे जूनियर कैसे नजर आएं. जिसके आधार पर उन्हें भी कैबिनेट दर्जा दिया गया. पीएमओ में सबसे वरिष्ठ अधिकारी होने और हर महत्वपूर्ण बैठक का हिस्सा बनने वाले प्रमुख सचिव नृपेंद्र मिश्रा जो स्वयं 1967 बैच के आईएएस अधिकारी थे, उनको लेकर यह बड़ी समस्या देखी गई कि उनके सभी जूनियर कैबिनेट दर्जा वाले हो गए हैं और ऐसे में वह आखिर सीनियर होकर भी वहां पर बिना कैबिनेट दर्जा कैसे रहेंगे. इसे ध्यान में रखते हुए उन्हें भी कैबिनेट का दर्जा देने का निर्णय किया .