जब अंतरिक्ष में गूंजा 'सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा', ISRO की सफलता की कहानी बयां करते हैं ये मिशन
By आदित्य द्विवेदी | Published: September 7, 2019 11:06 AM2019-09-07T11:06:56+5:302019-09-07T11:06:56+5:30
चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम से संपर्क टूटने के बाद इसरो के वैज्ञानिकों में निराशा झलकी लेकिन इतिहास में इसरो ने अनेक उपलब्धियों से देश का मान बढ़ाया है। पढ़िए सफलता की ऐसी ही कुछ दास्तां...
‘चंद्रयान-2’ के लैंडर ‘विक्रम’ का चांद पर उतरते समय जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया। सपंर्क तब टूटा जब लैंडर चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर था। इस गड़बड़ी से इसरो के वैज्ञानिकों में निराशा झलकी लेकिन इतिहास में इसरो ने अनेक उपलब्धियों से देश का मान बढ़ाया है। पढ़िए सफलता की ऐसी ही कुछ दास्तां...
- भारत का पहला सैटेलाइट माना जाता है आर्यभट्ट उपग्रह। इसे 1975 में सोवियत रूस की मदद से अंतरिक्ष में भेजा गया था। यह इसरो की शुरुआती सफलताओं का अहम हिस्सा रहा है।
- 1984 में राकेश शर्मा अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय बने। जब अंतरिक्ष स्टेशन से राकेश शर्मा ने इंदिरा गांधी को फोन किया तो भारतीय प्रधानमंत्री ने पूछा कि वहां से हमारा हिंदुस्तान कैसा नजर आता है। इसके जवाब में शर्मा ने कहा, 'सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तां हमारा'।
- इसरो के नाम एक बार में सबसे ज्यादा सैटेलाइट भेजने का वर्ल्ड रिकॉर्ड है। इसरो ने अपने पीएसएलवी रॉकेट की मदद से दुनिया के अलग-अलग देशों के 104 सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेजे थे।
- इसरो ने साल 2008 में मिशन चंद्रयान लॉन्च किया था। इस मिशन के तहत चांद के चारों ओर चक्कर लगाने वाला एक ऑर्बिटर सफलतापूर्वक भेजा गया था। इस मिशन की मदद से चांद पर पानी और बर्फ के भंडार होने की बात सामने आई थी।
- मिशन मंगलयान के जरिए भारत ने दुनिया भर में धाक जमाई। इसरो ने पहले ही प्रयास में मंगल ग्रह तक अपना ऑर्बिटर सफलतापूर्वक पहुंचा दिया।
गगनयान पर टिकी इसरो की निगाहेंः-
इसरो ने गगनयान मिशन पर फोकस जमा दिया है। इसका पहला चरण भी पूरा कर लिया गया है। मिशन गगनयान का मकसद 2022 तक इसरो एक भारतीय चालक दल के साथ अंतरिक्ष यान लॉन्च करेगा। इसरो के चेयरमैन के.सिवन ने कहा कि इसरो दी गई समय सीमा में मिशन को पूरा करने में सक्षम है। यह परियोजना 10 हजार करोड़ रुपये की है। यह भारत का पहला मानव अंतरिक्ष यान कार्यक्रम है।