Chandrayaan 2: चांद की सतह पर उतरने के लिए महज 335 मीटर की दूरी रह गई थी, जब विक्रम ने इसरो से संपर्क तोड़ दिया

By रोहित कुमार पोरवाल | Published: September 11, 2019 10:36 AM2019-09-11T10:36:26+5:302019-09-11T10:43:22+5:30

मिशन चंद्रयान 2 के लैंडर विक्रम के चांद की सतह पर योजना के मुताबिक नहीं उतर पाने को लेकर नई जानकारी सामने आई है।

Chandrayaan 2: It was only 335 meters to land on the moon surface, when Vikram lost contact with ISRO | Chandrayaan 2: चांद की सतह पर उतरने के लिए महज 335 मीटर की दूरी रह गई थी, जब विक्रम ने इसरो से संपर्क तोड़ दिया

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। (फाइल फोटो)

Highlightsइसरो के डेटा से पता चला है कि कब लैंडर विक्रम अपना रास्ता भटक गया था।डेटा के मुताबिक, विक्रम जब चंद्रमा की सतह से महज 335 मीटर दूर से था, तभी जमीनी स्टेशन से उसका संपर्क टूट गया था।

भारत के महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष मिशन 'चंद्रयान 2' का लैंडर 'विक्रम' सही तरीके से चांद की सतह पर क्यों नहीं उतर पाया, इस बारे में जानकारियां सामने आई हैं। इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के मिशन ऑपरेशंस कॉम्पलेक्स के टेलीमेट्री ट्रैकिंग और कमांड सेंटर ने शनिवार की सुबह बड़ी सी स्क्रीन पर जो डेटा दिखाया उससे विक्रम के सही से लैंड न कर पाने के कारण का पता चलता है। अंतरिक्ष एजेंसी ने विक्रम के चंद्रमा की सतह पर सफलता पूर्वक नहीं उतर पाने के पीछे की वजहों का विश्लेषण शुरू कर दिया है।

डेटा से पता चलता है कि 'फाइन ब्रेकिंग फेज' में विक्रम का संपर्क इसरो से टूटा। चांद की सतह पर उतरने के लिए जब पांच किलोमीटर की दूरी रह गई थी तब फाइन ब्रेकिंग फेज शुरू हुआ था। यान को चांद की सतह पर उतारने के लिए चरणबद्ध तरीके से उसकी रफ्तार कम और नियंत्रित की जाती है, उस प्रकिया को फाइन ब्रेकिंग फेज कहते हैं। यह प्रक्रिया चांद की सतह से 5.4 किलोमीटर की ऊंचाई से शुरू होनी थी लेकिन जब यान की सतह से पांच किलोमीटर दूर था तब वह शुरू हो सकी।

इसरो ने अपने बयान में कहा है कि विक्रम जब चांद की सतह से  2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर था तब तक सामान्य तरीके से काम कर रहा था, उसके बाद लैंडर और जमीनी स्टेशन के बीच संपर्क टूट गया था।

मिशन कंट्रोल रूम में की बड़ी सी स्क्रीन ने दिखाया कि विक्रम और इसरों के बीच जब संपर्क टूटा था तब वह चांद की सतह से महज 335 मीटर दूर था। 

इसरो का डेटा। (स्क्रीनशॉट)
इसरो का डेटा। (स्क्रीनशॉट)

स्क्रीन पर दिखाई दे रहा हरे रंग का बिंदू विक्रम को दर्शा रहा है। स्क्रीन के डेटा के मुताबिक, जब विक्रम चांद की सतह से ठीक 2 किलोमीटर ऊपर था तब वह अपनी दिशा से हटने लगा था और उसका भटकना तब तक स्क्रीन पर दर्ज होता रहा जब तक कि वह एक किलोमीटर ऊंचाई पर था और फिर वह कहीं पांच सौ मीटर ऊपर या नीचे खो गया। 

इस पूरे वक्त में वह हरे रंग का बिंदू लंबवत वेग से 59 मीटर प्रति सेकेंड (212 किलोमीटर प्रति घंटा) की रफ्तार से और क्षैतिज वेग से 48.1 मीटर प्रति सेकेंड (173 किलोमीटर प्रतिघंटा)
की रफ्तार से गति कर रहा था। तब लैंडर इसके चांद पर उतारे जाने के लिए निर्धारित जगह से करीब 1.09 किलोमीटर ऊपर था। 

प्लान के मुताबिक, विक्रम जब चांद की सतह से 400 मीटर की दूरी पर था तब उसका वेग खत्म हो जाना चाहिए था और निर्धारित लैंडिंग साइट के ऊपर उसे मंडराना शुरू कर देना चाहिए था, जैसा कि इसके चांद की सतह पर उतरने के लिए योजना बनाई गई थी। 

इसरो के एक पूर्व अधिकारी ने कहा कि मिशन कंट्रोल से जो डेटा मिला है उससे पता चलता है कि चांद की सतह से 2 किलोमीटर की ऊंचाई तक लैंडिंग अनुमान के मुताबिक ही चल रही थी। संपर्क उस वक्त टूट गया जब सतह पर लैंडर के उतरने के लिए कुछ ही मीटर बचे थे। 

Web Title: Chandrayaan 2: It was only 335 meters to land on the moon surface, when Vikram lost contact with ISRO

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