RBI विवादः नेहरू की चिट्ठी से अपना पक्ष मजबूत करेगी मोदी सरकार, जानें 60 साल पुराना मामला

By आदित्य द्विवेदी | Published: November 5, 2018 01:05 PM2018-11-05T13:05:56+5:302018-11-05T13:05:56+5:30

1957 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और आरबीआई गवर्नर सर बेनेगल रामा राव के बीच ऐसा ही विवाद हुआ था। उस वक्त पीएम नेहरू ने जो चिट्ठी लिखी थी वो मोदी सरकार को अपना पक्ष मजबूत करने में मददगार साबित हो सकती है।

Centre vs RBI row: Nehru Letter to RBI governor in 1957 will help BJP, here is the matter | RBI विवादः नेहरू की चिट्ठी से अपना पक्ष मजबूत करेगी मोदी सरकार, जानें 60 साल पुराना मामला

RBI विवादः नेहरू की चिट्ठी से अपना पक्ष मजबूत करेगी मोदी सरकार, जानें 60 साल पुराना मामला

भारतीय रिजर्व बैंक और मोदी सरकार के बीच विवाद अब बंद दरवाजों के बाहर आ चुका है। केंद्रीय बैंक की स्वायत्ता पर सवाल उठ रहे हैं जिससे मोदी सरकार असहज हालत में है। विपक्षी दल भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे हैं। इतिहास में झांकने पर मोदी सरकार को अपना पक्ष मजबूत करने का मौका मिल गया है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक 1957 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और आरबीआई गवर्नर सर बेनेगल रामा राव के बीच ऐसा ही विवाद हुआ था। उस वक्त पीएम नेहरू ने जो चिट्ठी लिखी थी वो मोदी सरकार को अपना पक्ष मजबूत करने में मददगार साबित हो सकती है।

TOI ने अपनी रिपोर्ट में एक और पुराने मामले का विवरण दिया है। सरकार और आरबीआई के बीच खींचतान का एक उदाहरण 1937 में मिलता है जब सर जॉन ऑब्सबॉर्न ने सरकार से मतभेद के बाद इस्तीफा दे दिया था। दूसरा मामला 1957 में नेहरू और रामा राव के बीच का है। सरकार इन मामलों का इस्तेमाल करके विपक्ष के आरोपों का जवाब दे सकती है।

किस बात पर हुआ था विवाद?

आरबीआई के चौथे गवर्नर रामा राव ने तत्कालीन वित्तमंत्री कृष्णमाचारी के व्यवहार में अक्खड़पन की शिकायत की थी। धीरे-धीरे दोनों के बीच मतभेद बढ़ गया। विवाद नेहरू तक पहुंचा तो उन्होंने वित्त मंत्री का पक्ष लिया। नेहरू का कहना था कि आरबीआई सरकार की ही विभिन्न गतिविधियों का एक भागीदार है।

नेहरू ने चिट्ठी में क्या लिखा?

टीओआई के मुताबिक तत्कालीन प्रधानमंत्री नहरू ने राव को एक चिट्ठी लिखी थी। उस चिट्ठी में नेहरू ने कहा, 'आपने आरबीआई की स्वायत्तता पर दबाव डाला है। निश्चित रूप से यह स्वायत्त है लेकिन यह केंद्र सरकार के नेतृत्व के अधीन भी है। मौद्रिक नीतियों को निश्चित रूप से सरकार की बड़ी नीतियों का अनुसरण करना चाहिए। वह सरकार के मुख्य उद्देश्यों और नीतियों को चुनौती नहीं दे सकता है।'

पिछले शुक्रवार को आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने रिजर्व बैंक की स्वायत्तता के मुद्दे को लेकर सरकार पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि जो सरकार केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता की अनदेखी करती है, उसे नुकसान उठाना पड़ता है।  वित्त मंत्रालय ने आरबीआई गवर्नर के साथ औपचारिक बातचीत की, जिसे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ऐक्ट की धारा 7 के इस्तेमाल से महज एक कदम पीछे के तौर पर देखा जा रहा है। गौरतलब है कि आरबीआई के 83 वर्षों के इतिहास में सेक्शन 7 का इस्तेमाल कभी नहीं हुआ।

Web Title: Centre vs RBI row: Nehru Letter to RBI governor in 1957 will help BJP, here is the matter

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे