केंद्र ने किया वादा, कोरोना के चलते राजस्व में कमी के बाद भी राज्यों को दी जाएगी GST की बकाया राशि
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 29, 2020 06:42 PM2020-08-29T18:42:33+5:302020-08-29T18:42:33+5:30
केंद्र ने जीएसटी लागू करने की वजह से और कोविड-19 संकट के कारण आर्थिक नरमी से होने वाले राजस्व नुकसान के बीच अंतर को भी स्पष्ट किया। सरकार ने कहा कि उसकी कानूनी बाध्यता केवल जीएसटी के कारण राजस्व में हुए नुकसान की भरपाई करने की है।
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने राज्यों को एक पत्र लिखकर सूचित किया है कि भले ही कोरोना वायरस महमारी के चलते राजस्व में कमी हुई है लेकिन फिर वह फिर भी राज्यों को जीएसटी की बकाया रकम का भुगतान करेगी। राज्यों को लिखे एक पत्र में केंद्र ने वादा किया है कि यह कोरोनो वायरस महामारी के बीच जीएसटी की बकाया रकम का राज्यों को पूरा-पूरा भूगतान किया जाएगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पत्र में सरकार ने कहा कि वह केंद्रीय स्तर पर "परिहार्य उधार लेने से स्पष्ट रहना चाहती है जब यह राज्य स्तर पर किया जा सकता है" क्योंकि महामारी के कारण केंद्रीय राजस्व "महान तनाव" के अधीन है।
कोरोना वायरस के चलते हो रहे आर्थिक नुकसान को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 'एक्ट ऑफ गॉड' करार दिया था। 27 अगस्त को बैठक के बाद जीएसटी काउंसिल ने राज्यों के सामने दो विकल्प रखे थे और उनसे एक हफ्ते के भीतर इनपर फैसला करने को कहा था।
गैर-राजग शसित राज्यों की जीएसटी क्षतिपूर्ति तुरंत किये जाने की मांग के बीच केंद्र ने गुरुवार को जीएसटी राजस्व में आई कमी की भरपाई के लिये राज्यों को दो विकल्प दिये हैं। इसके तहत राज्य भविष्य में होने वाले कर प्राप्ति के एवज में बाजार से कर्ज ले सकते हैं। हालांकि, पंजाब और दिल्ली ने इस पर अपनी असहमति जता दी थी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जीएसटी काउंसिल की बैठक में क्या-क्या कहा?
केंद्र ने चालू चालू वित्त वर्ष में जीएसटी राजस्व प्राप्ति में 2.35 लाख करोड़ रुपये की कमी का रहने का अनुमान लगाया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जीएसटी परिषद की पांच घंटे चली बैठक के बाद कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण राजस्व में कमी बढ़ी है और इसकी भरपाई के लिये कर की दरें बढ़ाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। उन्होंने महान्यायवादी की कानूनी राय का हवाला देते हुए केंद्र सरकार के अपने कोष से या अपने खाते में कर्ज लेकर राजस्व की भरपाई की संभावना को खारिज कर दिया।
वित्त मंत्री ने कहा कि घाटे की भरपाई राज्य विशेष खिड़की का उपयोग करते हुये कर्ज लेकर कर सकते हैं। इस कर्ज को पांच साल बाद जीएसटी उपकर संग्रह से लौटाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि राज्य जीएसटी को लागू करने के कारण राजस्व में आयी 97,000 करोड़ रुपये की कमी को या पूरी 2.35 लाख करोड़ रुपये की राशि बाजार से कर्ज ले सकते हैं। अगर राज्य इन विकल्पों में से किसी एक पर सहमत होते हैं, तो इसका मतलब होगा कि उपकर जीएसटी क्रियान्वयन के पांच साल बाद भी जारी रहेगा।
एसबीआई (SBI) ने सरकार को सुझाए तीन विकल्प
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के अर्थशास्त्रियों ने राज्यों को केंद्र से माल एवं सेवा कर (जीएसटी) राजस्व में कमी की भरपाई के लिए तीन विकल्प सुझाए हैं। एसबीआई इकोनॉमिस्ट की रिपोर्ट में कहा गया है कि रिजर्व बैंक द्वारा राज्यों के बॉंडपत्रों का मौद्रिकरण कर जीएसटी क्षतिपूर्ति की भरपाई की जा सकती है।
दूसरा विकल्प है खर्च पूर्ति के लिये अधिक अग्रिम (डब्ल्यूएमए) उन्हें दिया जाये। तीसरा विकल्प राष्ट्रीय लघु बचत कोष (एनएसएसएफ) का सहारा लिया जा सकता है। एसबीआई इकनॉमिस्ट ने कहा कि एनएसएसएफ तीसरा विकल्प है। यह एक विशेष इकाई (एसपीवी) शुरू करने की तरह है जिसके जरिये सरकारों को वित्त का स्वायत्त स्रोत उपलब्ध कराया जा सकता है। (पीटीआई-भाषा इनपुट के साथ)