केंद्र सरकार ने कहा-मंत्रालय, विभाग और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कैलैंडर, डायरी और ग्रीटिंग कार्ड अब नहीं छपवाएंगे

By भाषा | Published: September 2, 2020 07:27 PM2020-09-02T19:27:50+5:302020-09-02T19:27:50+5:30

वित्त मंत्रालय ने छपाई से जुड़ी गतिविधियों से संबंधित आर्थिक निर्देश को लेकर कार्यालय ज्ञापन में ‘कॉफी टेबल बुक की छपाई पर भी पाबंदी लगायी है। इसमें ई-बुक को प्रोत्साहित करने की बात कही गयी है।

Central government Ministry, department and public sector banks no longer print calendar, diary and greeting cards | केंद्र सरकार ने कहा-मंत्रालय, विभाग और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कैलैंडर, डायरी और ग्रीटिंग कार्ड अब नहीं छपवाएंगे

कैलैंडर, डायरी और ग्रीटिंग कार्ड की भौतिक रूप में छपायी नहीं करायेंगे।

Highlightsयोजना, समय-निर्धारण और पूर्वानुमान के लिए तकनीकी नवप्रवर्तन का उपयोग करना किफायती, कुशल और प्रभावी है, इसको देखते हुए यह निर्णय किया गया है।सभी सरकारी विभाग और कार्यालय डिजिटल या ऑनलाइन तरीकों का उपयोग करने के लिए नवप्रवर्तनशील साधनों का उपयोग करेंगे।दीवार कैलेंडर, डेस्कटॉप कैलेंडर, डायरी और ऐसी अन्य सामग्री की छपाई नहीं करवाएंगी। ऐसी सभी चीचें डिजिटल और ऑनलाइन होंगी।

नई दिल्लीः सरकार ने बुधवार को कहा कि उसके मंत्रालय, विभाग और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कैलैंडर, डायरी और ग्रीटिंग कार्ड की भौतिक रूप में छपायी नहीं करायेंगे।

इस प्रकार की सभी चीजें डिजिटल और ऑनलाइन होंगी। वित्त मंत्रालय ने छपाई से जुड़ी गतिविधियों से संबंधित आर्थिक निर्देश को लेकर कार्यालय ज्ञापन में ‘कॉफी टेबल बुक की छपाई पर भी पाबंदी लगायी है। इसमें ई-बुक को प्रोत्साहित करने की बात कही गयी है।

योजना, समय-निर्धारण और पूर्वानुमान के लिए तकनीकी नवप्रवर्तन का उपयोग करना किफायती, कुशल और प्रभावी है, इसको देखते हुए यह निर्णय किया गया है। वित्त मंत्रालय के अतंर्गत आने वाले व्यय विभाग ने कहा है, ‘‘कोई भी मंत्रालय / विभाग / सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम / सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक और सरकार की अन्य सभी इकाइयां आने वाले वर्ष में उपयोग के लिए दीवार कैलेंडर, डेस्कटॉप कैलेंडर, डायरी और ऐसी अन्य सामग्री की छपाई नहीं करवाएंगी। ऐसी सभी चीचें डिजिटल और ऑनलाइन होंगी।’’ इसमें कहा गया है कि सभी सरकारी विभाग और कार्यालय डिजिटल या ऑनलाइन तरीकों का उपयोग करने के लिए नवप्रवर्तनशील साधनों का उपयोग करेंगे।

जम्मू-कश्मीर भाषा विधेयक से पंजाबी को निकालना ‘अल्पसंख्यक विरोधी’ कदम : सिख समिति

ऑल पार्टी सिख कोऑर्डिनेशन कमिटी (एपीएसएससी) ने जम्मू-कश्मीर आधिकारिक भाषा विधेयक से पंजाबी को निकालने पर केंद्र की तीखी आलोचना की और इसे ‘अल्पसंख्यक विरोधी’ कदम करार दिया। यह प्रतिक्रिया केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा जम्मू-कश्मीर की आधिकारिक भाषा में अंग्रेजी और उर्दू के साथ-साथ डोगरी और हिंदी को भी शामिल करने की मंजूरी देने के बाद आई है। एक बयान जारी कर एपीएससीसी अध्यक्ष जगमोहन सिंह रैना ने कहा, ‘‘जम्मू-कश्मीर आधिकारिक भाषा विधेयक-2020 से पंजाबी को अलग करना ‘अल्पसंख्यक विरोधी’ कदम है।’’

रैना ने कहा कि अनुच्छेद-370 के प्रावधानों को समाप्त करने से पहले पंजाबी भाषा जम्मू-कश्मीर के संविधान का हिस्सा थी। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के संविधान में पंजाबी भाषा को मान्यता दी गई थी और प्रमाणित की गई थी। सिख नेता ने कहा कि इस कदम से अल्पसंख्यकों, खासतौर पर सिख समुदाय की भावनाओं को धक्का लगा है।

उन्होंने कहा कि पूरे जम्मू-कश्मीर में लाखों लोग पंजाबी भाषा बोलते हैं। रैना ने चेतावनी देते हुए कहा, ‘‘पंजाबी भाषा को अलग कर सरकार ने अतिवादी कदम उठाया है जिससे अल्पसंख्यकों के बीच नाराजगी पैदा होगी। इस अल्पसंख्यक विरोधी कदम से स्वभाविक है कि लोग तीखी प्रतिक्रिया देंगे।’’ उन्होंने विधेयक में संशोधन कर पंजाबी भाषा को शामिल करने की मांग की।

मातृभाषा का स्थान सर्वोच्च होता है : मिश्र

राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि स्वभाषा से स्वाभिमान जागृत होता है और व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास होता है। उन्होंने कहा कि मातृ भाषा का स्थान सर्वोच्च होता है। मिश्र बुधवार को राजभवन से नई शिक्षा नीति का भाषिक संदर्भ और हिन्दी के वैश्विक परिदृश्य पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबिनार को सम्बोधित कर रहे थे। वेबिनार का आयोजन वाराणसी के राजघाट स्थित बंसत महाविद्यालय द्वारा किया गया। मिश्र ने कहा कि हिन्दी के प्रति विश्व में रुचि बढ़ती जा रही है।

हिन्दी को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा मिल रहा है और यह सशक्त भाषा है। उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में हिन्दी भाषा बोलने वालों की संख्या 50 करोड़ से अधिक है, जो सर्वाधिक बोले जाने वाली भाषाओं में विश्व में दूसरे स्थान पर है। वेबिनार में पद्मश्री तामियो मिजोकोमी ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री ने विदेशों में हिन्दी बोलकर विश्व के लोगों का मन जीत लिया है। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी सभी को सीखनी चाहिए लेकिन मातृभाषा सीखना आवश्यक है।

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