एक और राहत पैकेज देने की तैयारी में केंद्र सरकार, इन क्षेत्रों को मिलेगी मदद
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: August 4, 2020 07:36 AM2020-08-04T07:36:28+5:302020-08-04T07:36:28+5:30
कोविड-19 संकट से पर्यटन, हॉस्पिटलिटी, विमानन सेवा, निर्माण जैसे कई सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हुए हैं.
देश की अर्थव्यवस्था की रफ्तार अनलॉक-3 में और तेज करने के लिए सरकार एक और बड़े राहत पैकेज की घोषणा कर सकती है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) 6 अगस्त को अगामी मौद्रिक नीति की घोषणा करेगा. उम्मीद है कि इसमें अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास कई बड़ी घोषणाएं कर सकते हैं. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बारे में संकेत भी दिए हैं. आरबीआई के आगामी कदम पर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में तेजी लाने की कोशिश की जा रही है. आरबीआई उद्योग जगत को तरलता मुहैया करा रहा है और महंगाई की निगरानी के अलावा उसने आर्थिक वृद्धि को भी ध्यान में रखा है.
ऐसे में संकेत मिल रहे हैं कि आरबीआई भी अपनी ओर से राहत दे सकता है. सरकारी सूत्रों के अनुसार, सरकार के इस राहत पैकेज में कोविड-19 महामारी से संकट में आए विभिन्न क्षेत्रों के लिए अलग से कोविड फंड बनाने की घोषणा हो सकती है. हाल ही में वित्त मंत्रालय और उद्योग जगत के बीच इस फंड की रूपरेखा पर विस्तृत चर्चा हुई है. इसके साथ ही विदेशों से फंड जुटाने के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के नियम को और सरल बनाने की मांग की गई है. आगामी राहत पैकेज में खास सेक्टर के लिए एफडीआई से फंड जुटाने में राहत मिल सकती है. लॉकडाउन की वजह से बड़े होटल समूहों को करीब 1.10 लाख करोड़ रुपए का नुकसान तो ऑनलाइन ट्रैवल एजेंसियों को करीब 4312 करोड़ रुपए का नुकसान होने का अनुमान है. ऐसे में आगामी राहत पैकेज में होटल और पर्यटन क्षेत्र को विशेष राहत दी जा सकती है.
इन पर पड़ा है बड़ा प्रभाव:
कोविड-19 संकट से पर्यटन, हॉस्पिटलिटी, विमानन सेवा, निर्माण जैसे कई सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. सरकार अब इन सेक्टर को राहत देने तथा अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए कोई रास्ता निकालने की कोशिश कर रही है. इसके साथ ही उद्योग जगत ने एक स्वर में यह मांग है कि बैंकों को अपना खजाना और खोलना होगा. कई कॉर्पोरेट हाउस का यह मानना है कि सरकार की सहमति के बावजूद बैंक अपने खजाने को खोलने में कंजूसी दिखा रहे हैं, जिसकी वजह से कॉर्पोरेट जगत के हाथ बंधे हुए हैं. इस पर भी सरकार फैसला ले सकती है. सरकार भी जुलाई महीने में जीएसटी संग्रह बढ़ने से मान रही है कि अर्थव्यवस्था तेजी से पटरी पर लौट रही है.
राजस्व संग्रह पर निर्भर होगा नया पैकेज:
आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि नया राहत पैकेज का आकार राजस्व संग्रह पर निर्भर करेगा. बीते दो महीने में जिस तरह से जीएसटी संग्रह में तेजी आई है वह सरकार के लिए राहत की बात है. आने वाले समय में त्योहारी सीजन होने से मांग बढ़ने की उम्मीद है. ऐसे में कर संग्रह बढ़ने की पूरी उम्मीद है. अगर ऐसा रहा तो आगामी राहत पैकेज में भी कई क्षेत्रों के लिए बड़े कदम उठाए जा सकते हैं.