बीजेपी में शामिल होने से धुल जाते हैं दामन के दाग़?, क्या कहता है शारदा घोटाले से जुड़े इन दो नेताओं का इतिहास
By स्वाति सिंह | Published: February 5, 2019 12:32 PM2019-02-05T12:32:06+5:302019-02-05T12:32:06+5:30
पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) का दुरुपयोग कर विपक्ष को डराने की कोशिश कर रही है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कोलकाता में धरने पर बैठी हैं। उधर, शारदा चिटफंड घोटाले मामले में सीबीआई अधिकारियों के कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के पास पहुंचने के बाद से घमासान मचा हुआ है।
पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) का दुरुपयोग कर विपक्ष को डराने की कोशिश कर रही है।
उधर खबरें है कि तृणमूल कांग्रेस ने टीएमसी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो चुके शारदा चिट फंड घोटाले के आरोपी मुकुल रॉय और असम सरकार में मंत्री हेमंत बिस्वा शर्मा के खिलाफ मामला ठंडा होता जा रहा है।
खबरों के मुताबिक शारदा चिटफंड मामले में पैसे देने के आरोप लगने के बाद हेमंता बिस्वा शर्मा को नोटिस भेजा गया था इसके साथ ही उनके घर पर रेड भी डाली गई थी लेकिन उनके खिलाफ चार्जशीट नहीं दायर किया गया।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई ने शुरू की थी जाँच
इस मामले में साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई ने जांच शुरू की थी। मुकुल रॉय और हेमंता बिस्वा शर्मा दोनों ही जांच के दौरान बीजेपी से जुड़ गए थे। सीबीआई ने जनवरी 2015 को मुकुल रॉय से पूछताछ भी की थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक मुकुल रॉय से शारदा चेयरमेन के सुदिप्ता सेन के साथ उनके संबंधों को लेकर पूछताछ की जा रही थी।
बताया जा रहा है कि सीबीआई के पास सुदिप्ता सेन के ड्राइवर का बयान था।बयान के अनुसार ड्राइवर ने कहा गया था कि मुकुल रॉय ने सुदिप्ता सेन को कोलकाता से भागने में मदद की थी।
जिसके बाद साल 2015 में सीबीआई ने मुकुल रॉय के खिलाफ नोटिस जारी किया था। टीएमसी विधायक कुनाल घोष द्वारा मुकुल पर आरोप लगाए जाने के बाद नोटिस भेजा गया था। सीबीआई ने घोष को साल 2013 में शारदा चिट फंड मामले से जुड़े एक दूसरे केस में गिरफ्तार किया था।
मुकुल रॉय के साथ साथ घोष ने 12 अन्य लोगों का भी नाम दिया था। इसके बाद नवंबर 2017 में मुकुल रॉय बीजेपी से जुड़ गए।
इधर नवंबर 2014 में सीबीआई ने हिमंता बिस्वा से पूछताछ की थी। हिमंता पर आरोप लगे थे कि सुदिप्ता सेन ने शारदा चिट फंड का व्यापार असम में चलाने के लिए उन्हें 20 लाख रुपएये प्रति माह दिए थे।
हालांकि सीबीआई ने चार्टशीट में हिमंता का नाम नहीं दिया। अगस्त 2015 में हिमंता बीजेपी से जुड़ गए। इसके बाद सीबीआई ने इस मामले में हिमंता से कभी तलब नहीं किया।