CBI ने वरिष्ठ वकील आनंद ग्रोवर के खिलाफ दायर किया केस, ये लगा आरोप
By रामदीप मिश्रा | Published: June 19, 2019 08:37 AM2019-06-19T08:37:10+5:302019-06-19T08:37:10+5:30
केंद्रीय जांच ब्यूरो: सीबीआई ने कहा कि ग्रोवर ने व्यक्तिगत लाभ के लिए फॉरेन कॉन्ट्रीब्यूशन का इस्तेमाल किया और इसे भारत के बाहर खर्च किया, जोकि फेमा का उल्लंघन है।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने वरिष्ठ वकील आनंद ग्रोवर और उनके NGO ‘लॉयर्स कलेक्टिव’ के खिलाफ विदेशी चंदा (विनियमन) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है। सीबीआई ने ये मामला नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में दर्ज किया है। सीबीआई ने कहा कि ग्रोवर ने व्यक्तिगत लाभ के लिए फॉरेन कॉन्ट्रीब्यूशन का इस्तेमाल किया और इसे भारत के बाहर खर्च किया, जोकि फेमा का उल्लंघन है।
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, सीबीआई ने कहा कि वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह को अपने कार्यकाल (2009-14) के दौरान NGO के रूप में विदेशी चंदा से 96.60 लाख रुपये मिले। शिकायत में यह भी कहा गया है कि गृह मंत्रालय की स्वीकृति के बिना NGO द्वारा एएसजी के रूप में उनकी विदेश यात्राओं पर पैसा खर्च किया गया है।
CBI said Senior Lawyer Indira Jaising received Rs 96.6 lakh remuneration from foreign contributions made to the NGO during her term as ASG(2009-14). Complaint also said expenses of her foreign trips as ASG were borne by the NGO without the Home Ministry’s prior approval. https://t.co/phlK452zwj
— ANI (@ANI) June 19, 2019
आनंद ग्रोवर पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल और सुप्रीम कोर्ट की वकील इंदिरा जयसिंह के पति हैं। हालांकि सीबीआई ने जयसिंह को प्राथमिकी में आरोपी के रूप में नामजद नहीं किया है, लेकिन मंत्रालय की शिकायत में उनके खिलाफ भी आरोप लगाए गए हैं। मंत्रालय की शिकायत अब प्राथमिकी का हिस्सा है। मंत्रालय की शिकायत के अनुसार 2009 से 2014 तक एएसजी के तौर पर जयसिंह ने ‘लॉयर्स कलेक्टिव’ को मिले विदेशी चंदे से 96.60 लाख रुपए प्राप्त किए।
इसमें यह भी कहा गया है कि एएसजी के तौर पर उनकी विदेश यात्राओं के लिए ‘लॉयर्स कलेक्टिव’ ने धन मुहैया कराया। उन्होंने मंत्रालय की पूर्व स्वीकृति के बिना ऐसा किया। मंत्रालय की शिकायत के अनुसार समूह को 2006-07 और 2014-15 के बीच 32.39 करोड़ रुपए की विदेशी सहायता मिली थी जिसमें अनियमितताएं की गईं जो विदेशी चंदा(विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) का उल्लंघन है।
मंत्रालय ने कहा कि एनजीओ की उपलब्ध जानकारी और रिकॉर्डों की जांच के आधार पर एफसीआरए, 2010 के विभिन्न प्रावधानों का प्रथम दृष्ट्या उल्लंघन पाया गया।