सीबीआई को भ्रष्टाचार के मामले में सेवानिवृत्त न्यायाधीश पर मुकदमा चलाने की मंजूरी मिली

By भाषा | Published: November 26, 2021 03:49 PM2021-11-26T15:49:18+5:302021-11-26T15:49:18+5:30

CBI gets nod to prosecute retired judge in corruption case | सीबीआई को भ्रष्टाचार के मामले में सेवानिवृत्त न्यायाधीश पर मुकदमा चलाने की मंजूरी मिली

सीबीआई को भ्रष्टाचार के मामले में सेवानिवृत्त न्यायाधीश पर मुकदमा चलाने की मंजूरी मिली

(अभिषेक शुक्ला)

(दूसरे पैरा में उच्च न्यायालय के स्थान पर केंद्र सरकार लिखते हुए रिपीट)

नयी दिल्ली, 26 नवंबर सीबीआई (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो) को भ्रष्टाचार के एक मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एस एन शुक्ला पर मुकदमा चलाने की मंजूरी मिल गयी है। उन पर अपने आदेशों के जरिये एक निजी मेडिकल कॉलेज को फायदा पहुंचाने का आरोप है।

अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने इस साल 16 अप्रैल को सेवानिवृत्त हुए न्यायाधीश पर भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत मुकदमा चलाने की केंद्र सरकार रिपीट केंद्र सरकार से मंजूरी मांगी थी। केंद्र सरकार के मंजूरी देने के बाद सीबीआई अब सेवानिवृत्त न्यायाधीश के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर सकती है।

उन्होंने बताया कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के न्यायाधीश शुक्ला के अलावा एजेंसी ने प्राथमिकी में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश आई एम कुद्दुसी, प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट के भगवान प्रसाद यादव तथा पलाश यादव, ट्रस्ट और निजी व्यक्तियों भावना पांडेय और सुधीर गिरि को भी नामजद किया है।

आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी (आपराधिक षडयंत्र) और भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है।

अधिकारियों ने बताया कि ट्रस्ट ने अपने पक्ष में आदेश पाने के लिए प्राथमिकी में नामजद एक आरोपी को कथित तौर पर घूस दी। प्राथमिकी दर्ज करने के बाद सीबीआई ने लखनऊ, मेरठ और दिल्ली में कई स्थानों पर तलाशी ली थी।

उन्होंने बताया कि ऐसा आरोप है कि प्रसाद इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज को केंद्र ने खराब सुविधाओं और आवश्यक मानदंड पूरा न करने के कारण छात्रों को दाखिला देने से रोक दिया था। उसके साथ 46 अन्य मेडिकल कॉलेज को भी मई 2017 में इसी आधार पर छात्रों को दाखिला देने से रोक दिया गया था।

अधिकारियों ने बताया कि ट्रस्ट ने उच्चतम न्यायालय में एक रिट याचिका के जरिए इस रोक को चुनौती दी थी। इसके बाद प्राथमिकी में नामजद लोगों ने एक साजिश रची और न्यायालय की अनुमति से याचिका वापस ले ली गयी। 24 अगस्त 2017 को उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के समक्ष एक अन्य रिट याचिका दायर की गयी।

उन्होंने बताया कि प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि न्यायमूर्ति शुक्ला समेत एक खंडपीठ ने 25 अगस्त 2017 को याचिका पर सुनवाई की और उसी दिन ट्रस्ट के पक्ष में आदेश दिया गया।

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Web Title: CBI gets nod to prosecute retired judge in corruption case

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