जाति जनगणना की मांग के बीच आंकड़े दिखाते हैं कि करीब आधे ग्रामीण घर ओबीसी के हैं

By विशाल कुमार | Published: September 29, 2021 10:44 AM2021-09-29T10:44:52+5:302021-09-29T10:53:31+5:30

ये ओबीसी परिवार तमिलनाडु, बिहार, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, केरल, कर्नाटक और छत्तीसगढ़ जैसे सात राज्यों में बहुमत में हैं जो एक साथ 235 लोकसभा सदस्यों को संसद भेजते हैं.

caste census-calls-data-show-nearly-half-of-rural-homes-obc | जाति जनगणना की मांग के बीच आंकड़े दिखाते हैं कि करीब आधे ग्रामीण घर ओबीसी के हैं

प्रतीकात्मक तस्वीर.

Highlightsदेश के 17.24 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से 44.4 फीसदी अन्य पिछड़ा वर्ग से हैं.सर्वे के नतीजे बताते हैं कि अनुमानित 9.3 करोड़ कृषि परिवारों में से 45.8 फीसदी ओबीसी, 15.9 फीसदी अनुसूचित जाति, 14.2 फीसदी अनुसूचित जनजाति और 24.1 फीसदी अन्य सामाजिक समूहों से हैं.राज्यों के लिए ओबीसी श्रेणी में प्रति कृषि परिवार की औसत मासिक आय कृषि वर्ष 2018-19 के दौरान 5,009 रुपये और 22,384 रुपये के बीच थी.

नई दिल्ली:जाति जनगणना की मांग के बीच एक सर्वे में सामने आया है कि देश के 17.24 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से 44.4 फीसदी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से हैं.

ये ओबीसी परिवार तमिलनाडु, बिहार, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, केरल, कर्नाटक और छत्तीसगढ़ जैसे सात राज्यों में बहुमत में हैं जो एक साथ 235 लोकसभा सदस्यों को संसद भेजते हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, आंकड़ों से पता चलता है कि अनुमानित 17.24 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से 44.4 फीसदी ओबीसी, 21.6 फीसदी अनुसूचित जाति (एससी), 12.3 फीसदी अनुसूचित जनजाति (एसटी) और 21.7 फीसदी अन्य सामाजिक समूह थे. कुल ग्रामीण परिवारों में से 9.3 करोड़ या 54 फीसदी कृषि परिवार हैं.

ग्रामीण ओबीसी परिवारों का उच्चतम अनुपात तमिलनाडु (67.7 फीसदी), बिहार (58.1 फीसदी), तेलंगाना (57.4 फीसदी), उत्तर प्रदेश (56.3 फीसदी), केरल (55.2 फीसदी), कर्नाटक (51.6 फीसदी), छत्तीसगढ़ (51.4 फीसदी) और सबसे कम नगालैंड (0.2 फीसदी) में है.

इसके अलावा राजस्थान (46.8 फीसदी), आंध्र प्रदेश (45.8 फीसदी), गुजरात (45.4 फीसदी) और सिक्किम (45 फीसदी) में ग्रामीण ओबीसी परिवारों की हिस्सेदारी 44.4 के राष्ट्रीय औसत की तुलना में अधिक है. वहीं, बाकी के 17 राज्यों में ओबीसी परिवारों का अनुपात राष्ट्रीय औसत से कम है.

सर्वे के नतीजे बताते हैं कि अनुमानित 9.3 करोड़ कृषि परिवारों में से 45.8 फीसदी ओबीसी, 15.9 फीसदी अनुसूचित जाति, 14.2 फीसदी अनुसूचित जनजाति और 24.1 फीसदी अन्य सामाजिक समूहों से हैं.

सर्वे में प्रति कृषि परिवार की औसत मासिक आय के आंकड़े भी उपलब्ध कराए गए हैं. जबकि राष्ट्रीय स्तर पर एक किसान परिवार की औसत मासिक आय कृषि वर्ष 2018-19 के दौरान 10,218 रुपये, यह ओबीसी कृषि परिवारों (9,977 रुपये), अनुसूचित जाति परिवारों (8,142 रुपये), अनुसूचित जनजाति परिवारों (8,979 रुपये) के लिए कम थी। हालांकि, अन्य सामाजिक समूहों के कृषि परिवारों ने औसत मासिक आय 12,806 रुपये दर्ज की.

राज्यों के लिए ओबीसी श्रेणी में प्रति कृषि परिवार की औसत मासिक आय कृषि वर्ष 2018-19 के दौरान 5,009 रुपये और 22,384 रुपये के बीच थी.

उन 23 राज्यों में जिनके लिए आय के आंकड़े उपलब्ध हैं, उत्तराखंड ने प्रति ओबीसी कृषि परिवार में सबसे अधिक औसत मासिक आय दर्ज की, जबकि ओडिशा (5,009 रुपये) सबसे नीचे था.

ये आंकड़े ग्रामीण भारत में कृषि परिवारों और परिवारों की भूमि जोत की स्थिति का आकलन, 2019 का हिस्सा हैं जो कि कार्यक्रम कार्यान्वयन और सांख्यिकी मंत्रालय का राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के तहत की हैं जिसे इस महीने की शुरुआत में जारी की गई.

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