डॉक्टरों की हड़ताल पर कलकत्ता हाई कोर्ट ने ममता बनर्जी की सरकार को भेजा नोटिस, कहा- 7 दिनों में दें जवाब
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 14, 2019 05:48 PM2019-06-14T17:48:41+5:302019-06-14T17:48:41+5:30
कलकत्ता हाई कोर्ट ने ममता सरकार को कड़ी फटकार भी लगाई है। हाई कोर्ट ने ममता सरकार को डॉक्टरों से बातचीत करने का आदेश देते हुए कहा, 'राज्य सरकार कोर्ट को बताए कि उसने डॉक्टरों में सुरक्षा का भरोसा जगाने के लिए अब तक क्या किया है।'
पश्चिम बंगाल में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल चौथे दिन भी जारी है। हड़ताल के कारण सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों तथा कई निजी अस्पतालों में नियमित सेवा प्रभावित हो रही है। इस मामले में अभी-तक तकरीबन 50 डॉक्टरों ने इस्तीफा दिया है। इस मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार को नोटिस जारी किया है। डॉक्टरों की हड़ताल के मुद्दे से संबंधित एक याचिका पर पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी करते हुए सात दिनों के भीतर जवाब मांगा गया है। हाईकोर्ट ने ममता बनर्जी सरकार से पूछा है कि गतिरोध खत्म करने के लिए सरकार ने क्या कदम उठा रही है?
कलकत्ता हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश भी दिया है कि इस खत्म करने और जल्द से जल्द समाधान ढूंढे। कलकत्ता हाई कोर्ट ने ममता सरकार को कड़ी फटकार भी लगाई है। हाई कोर्ट ने ममता सरकार को डॉक्टरों से बातचीत करने का आदेश देते हुए कहा, 'राज्य सरकार कोर्ट को बताए कि उसने डॉक्टरों में सुरक्षा का भरोसा जगाने के लिए अब तक क्या किया है।'
Calcutta High Court gives 7 days to West Bengal govt to respond while hearing a PIL on doctors' strike in the state. Court asked state what steps were taken by the govt to end the impasse. Court also said that state will have to put an end to this & find a solution. pic.twitter.com/KIGgl00g64
— ANI (@ANI) June 14, 2019
पश्चिम बंगाल में हड़ताली डॉक्टरों ने आंदोलन वापस लेने के लिए छह शर्तें रखी। इनमें मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का बिना शर्त माफी मांगना भी शामिल।
इधर पश्चिम बंगाल में हड़ताली डॉक्टरों ने आंदोलन वापस लेने के लिए छह शर्तें रखी। इनमें मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का बिना शर्त माफी मांगना भी शामिल। सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों तथा कई निजी मेडिकल संस्थानों में ओपीडी और अन्य विभागों में सेवाएं पूरी तरह बाधित है। एनआरएस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक मरीज की मौत के बाद जूनियर डॉक्टरों के दो सहयोगियों पर कथित रूप से हमला करने और उनके गंभीर रूप से घायल होने के बाद वे मंगलवार से सरकारी अस्पतालों में खुद की सुरक्षा की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। जूनियर डॉक्टरों के संयुक्त फोरम के प्रवक्ता डॉक्टर अरिंदम दत्ता ने पीटीआई-भाषा को बताया कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती तब तक प्रदर्शन जारी रहेगा।
अरिंदम दत्ता ने बताया, ‘‘मुख्यमंत्री ने जिस तरीके से जूनियर डॉक्टरों को धमकी दी है वह अप्रत्याशित है... यह हमारे समुदाय का अपमान है। हम इसकी भी निंदा करते हैं... उन्होंने कल जो कहा इसके लिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए।’’ उन्होंने बताया, ‘‘हम बाहरी नहीं हैं और यह आंदोलन स्वत: स्फूर्त है... हम सामूहिक त्यागपत्र पर विचार कर रहे हैं।’’
राज्य के कई हिस्सों में चिकित्सा सेवाओं के बाधित होने के मद्देनजर बृहस्पतिवार को राजकीय एसएसकेएम अस्पताल का दौरा करने वाली बनर्जी ने डॉक्टरों को चेतावनी दी कि अगर वे काम पर नहीं आएंगे तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि आंदोलनकारी एसएसकेएम अस्पताल के डॉक्टरों के बीच मौजूद ‘बाहरी लोगों’ ने उन्हें ‘गाली’ दी। वरिष्ठ डॉक्टरों ने अपने जूनियर सहयोगियों के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी मांग काफी न्यायसंगत है। (पीटीआई इनपुट के साथ)