कलकत्ता हाईकोर्ट ने तृणमूल नेता की याचिका खारिज करते हुए कहा, "वो बांग्लादेश की नागरिक हैं, इसलिए उन्हें भारत में चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं है"

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: May 21, 2022 10:02 PM2022-05-21T22:02:30+5:302022-05-21T22:10:23+5:30

कलकत्ता हाईकोर्ट ने तृणमूल नेता ओली रानी सरकार की याचिका खारिज करते हुए कहा कि भारत में दोहरी नागरिकता" का सिद्धांत लागू नहीं होता है और जब कोई भी भारतीय नागरिक दूसरे देश की नागरिकता प्राप्त कर लेता है तो उसकी भारतीय नागरिकता स्वतः समाप्त हो जाती है।

Calcutta High Court dismissed the Trinamool leader's petition, saying, "She is a citizen of Bangladesh, so she has no right to contest elections in India" | कलकत्ता हाईकोर्ट ने तृणमूल नेता की याचिका खारिज करते हुए कहा, "वो बांग्लादेश की नागरिक हैं, इसलिए उन्हें भारत में चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं है"

कलकत्ता हाईकोर्ट ने तृणमूल नेता की याचिका खारिज करते हुए कहा, "वो बांग्लादेश की नागरिक हैं, इसलिए उन्हें भारत में चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं है"

Highlightsकलकत्ता हाईकोर्ट ने टीएमसी नेता ओली की चुनावी याचिका को खारिज की कोर्ट ने कहा कि ओली वास्तव भारतीय नागरिक न होकर बांग्लादेशी नागरिक हैंकोर्ट ने ओली के दलील नकारते हुए कहा, "भारत में दोहरी नागरिकता" का सिद्धांत लागू नहीं होता है"

कोलकाता: बंगाल में सत्ताधारी दल तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की नेता आलो रानी सरकार की ओर से दायर चुनावी विवाद के मामले को कलकत्ता हाईकोर्ट ने शुक्रवार को खारिज कर दिया है।

हाईकोर्ट में ओली रानी सरकार ने जो याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि वो बंगाल विधानसभा चुनाव में दक्षिण बोंगांव निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी स्वपन मजूमदार के खिलाफ चुनाव लड़ी थीं लेकिन उस चुनाव के परिणाम में छेड़छाड़ की गई और स्वपन मजूमदार को विजयी घोषित कर दिया गया।

हाईकोर्ट ने इस मामले में ओली रानी सरकार की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि टीएमसी नेता ओली वास्तव भारतीय नागरिक न होकर बांग्लादेशी नागरिक हैं।

अदालती कार्यवाही के दौरान कलकत्ता हाईकोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि साक्ष्यों के आधार पर यह साबित होता है कि तृणमूल कांग्रेस की जिलाध्यक्ष ओली सरकार वास्तव में एक बांग्लादेशी नागरिक थी और बांग्लादेश की मतदाता सूची में भी उनका नाम दर्ज है।

कोर्ट के सामने इस बात के सत्यापित होने पर केस की सुनवाई कर रहे जज ने टीएमसी नेता को फटकार लगाते हुए कहा कि ओली सरकार भारत की नागरिक 'नहीं हैं। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने ओली की याचिका को खारिज करते हुए मामले में चुनाव आयोग को निर्दश दिया कि उनके खिलाफ उचित कार्रवाई करें।

इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि चूंकि याचिकाकर्ता ओली ने बांग्लादेश की नागरिकता प्राप्त करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 9 के अनुसार स्वेच्छा से भारतीय नागरिकता को त्याग दिया था। इसलिए वह साल 2021 में हुए विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए योग्य नहीं थीं। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता बांग्लादेश की बाकायदा पंजीकृत मतदाता है। जिससे साबित होता है कि वो बांग्लादेश की नागरिक है।

यही नहीं कोर्ट ने साक्ष्यों के आधार पर अपने फैसला में कहा कि ओली के पति एक बांग्लादेशी नागरिक है और वो बरीसाल में शेर-ए-बांग्ला मेडिकल कॉलेज में मेडिसिन के प्रोफेसर और बांग्लादेश के प्रतिष्ठित डॉक्टर भी हैं।

वहीं हाईकोर्ट में ओली ने अपने पक्ष में दलील देते हुए कहा कि उन्होंने 5 नवंबर 2020 को चुनाव आयोग सचिवालय में सचिव के सामने एप्लिकेशन देकर आवेदन दिया था कि चूंकि उनका पति से तलाक हो चुका है। इसलिए उन्होंने बांग्लादेश सरकार के समक्ष आवेदन किया था कि वो उनकी नागरिकता को रद्द कर दें। इसलिए उन्हें भारत में चुनाव लड़ने की इजाजत दी जाए।

लेकिन अदालत ने ओली के दलील को नकारते हुए अपने आदेश में कहा, "भारत में दोहरी नागरिकता" का सिद्धांत लागू नहीं होता है और जब कोई भी भारतीय नागरिक दूसरे देश की नागरिकता प्राप्त कर लेता है तो उसकी भारतीय नागरिकता स्वतः समाप्त हो जाती है।"

Web Title: Calcutta High Court dismissed the Trinamool leader's petition, saying, "She is a citizen of Bangladesh, so she has no right to contest elections in India"

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