CAA: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का दावा, 2 सालों में 391 अफगानिस्तान के मुस्लिमों और 1595 पाकिस्तानी शरणार्थियों को दी गई है नागरिकता
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 19, 2020 01:40 PM2020-01-19T13:40:39+5:302020-01-19T13:41:29+5:30
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सीएए पर कहा कि सरकार इस कानून से किसी भी व्यक्ति की नागरिकता छीन नहीं रही है बल्कि नागरिकता देने का काम कर रही है। वित्त मंत्री ने यह बात चेन्नई में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कही है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार (19 जनवरी) को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) पर कहा कि यह कानून लोगों की जिंदगी को बेहतर बनाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार इस कानून से किसी भी व्यक्ति की नागरिकता छीन नहीं रही है बल्कि नागरिकता देने का काम कर रही है। वित्त मंत्री ने यह बात चेन्नई में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कही है।
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक निर्मला सीतारमण ने दावा किया है कि इन 6 सालों में 2838 पाकिस्तान शरणार्थी, अफगानिस्तान के 914 और 172 बंग्लादेशी शरणार्थियों को नागरिकता दी गई है जिसमें मुस्लिम भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि1964 से 1908 तक 4,00,000 से अधिक श्रीलंकाई तमिलों को नागरिकता दी गई है। 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 566 मुस्लिमों को नागरिकता दी गई है।
FM in Chennai: 391 Afghanistani Muslims & 1595 Pakistani migrants were given citizenship from '16 to '18. It was during this period in '16, that Adnan Sami was given citizenship, it's an example. Taslima Nasreen is another example. This proves all allegations against us are wrong https://t.co/e2YkAmlsTo
— ANI (@ANI) January 19, 2020
वहीं, सीतारमण ने कहा कि 2016 से 2018 के तक 391 अफगानिस्तान के मुस्लिमों और 1595 पाकिस्तानी शरणार्थियों को नागरिकता दी गई है। इस दौरान साल 2016 में अदनान शामी को नागरिकता दी गई है। उन्होंने कहा कि तसलीमा नसरीन को इसी दौरान नागरिकात दी गई है। इससे नागरिकता संशोधन कानून पर लगे सभी आरोप गलत साबित होते हैं।
उन्होंने कहा कि पूर्वी पाकिस्तान से आए लोग अब भी विभिन्न शिविरों में रह रहे हैं। अब इस बात को 50-60 साल हो गए हैं। सीतारमण ने कहा कि अगर आप उन शिविरों में जाएंगे तो आपको रोना आ जाएगा। श्रीलंका के शरणार्थियों की भी स्थिति वैसी ही है और वे शिविरों में रह रहे हैं। उन्हें मूलभूत सुविधाएं तक नहीं मिल सकी हैं।