चिदंबरम ने कहा, अगले 5 साल में 5000 अरब डालर की हो जाएगी इकोनॉमी, वित्त मंत्री का जरूरत ही नहीं
By भाषा | Published: July 11, 2019 03:25 PM2019-07-11T15:25:38+5:302019-07-11T15:25:38+5:30
उद्योग क्षेत्र के लिए 5.55 लाख करोड़ रुपए का ऋण माफ कर दिया गया लेकिन किसानों के कर्ज, शिक्षा ऋण आदि माफ नहीं किए गए। अर्थव्यवस्था के बढ़कर 5000 अरब डालर का होने के सरकार के दावे की चर्चा करते हुए चिदंबरम ने कहा कि अर्थव्यवस्था हर छह-सात साल में दोगुनी हो जाती है।
सरकार पर आंकड़ों की बाजीगरी का आरोप लगाते हुए राज्यसभा में बृहस्पतिवार को कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने दावा किया कि वित्त वर्ष 2019-20 के आम बजट में ढांचागत सुधार और घरेलू बचत को बढ़ावा देने के लिए कोई कदम नहीं उठाये गये है।
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने अर्थव्यवस्था को 5000 अरब अमेरिकी डॉलर बनाने के सरकार के लक्ष्य पर तंज कसते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था अपने आप इसे हासिल कर लेगी और इसके लिए किसी ‘‘वित्त मंत्री’’ की भी आवश्यकता नहीं है। विपक्ष के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए सत्ता पक्ष ने दावा किया कि यह गांव और गरीब का बजट है और इसमें भविष्य का ‘‘रोडमैप’’ पेश किया गया है।
कांग्रेस नेता चिदंबरम ने आम बजट पर उच्च सदन में हुयी चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के संबंध में बजट दस्तावेजों और आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़ों में समानता नहीं है। उन्होंने कहा कि बजट में आर्थिक वृद्धि दर आठ प्रतिशत होने की बात की गयी है जबकि आर्थिक सर्वेक्षण में यह सात प्रतिशत तय की गयी है।
उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि वह एकीकृत तस्वीर पेश करने में नाकाम रही है। उन्होंने कहा कि बजट में ढांचागत सुधारों की बात की गयी है लेकिन इस संबंध में कोई विस्तृत तस्वीर नहीं पेश की गयी है। उन्होंने कहा कि इस सरकार को भारी जनादेश मिला लेकिन उसने अर्थव्यवस्था में सुधार तथा विभिन्न क्षेत्रों की समस्याओं को दूर करने के लिए कठोर कदम नहीं उठाए।
P Chidambaram during discussion in Rajya Sabha on Budget 2019: But taking note of the reality, you should've been bold. The Govt has a superb mandate, 303 people in Lok Sabha. Dr Manmohan Singh & I've exchanged notes & we wish he had such mandate of that kind sometime in our life https://t.co/hSe4uYjnR4
— ANI (@ANI) July 11, 2019
चिदंबरम ने राजस्व का जिक्र करते हुए कहा कि पिछले साल वे लक्ष्य से काफी पीछे रहे हैं लेकिन इस बार भी काफी ऊंचा लक्ष्य रखा गया है। इस क्रम में उन्होंने आयकर, सीमा शुल्क आदि का उल्लेख किया और कहा कि मौजूदा साल के लिए तय किए गए लक्ष्य अवास्तविक हैं।
उद्योग क्षेत्र के लिए 5.55 लाख करोड़ रुपए का ऋण माफ कर दिया गया
उन्होंने कहा कि उद्योग क्षेत्र के लिए 5.55 लाख करोड़ रुपए का ऋण माफ कर दिया गया लेकिन किसानों के कर्ज, शिक्षा ऋण आदि माफ नहीं किए गए। अर्थव्यवस्था के बढ़कर 5000 अरब डालर का होने के सरकार के दावे की चर्चा करते हुए चिदंबरम ने कहा कि अर्थव्यवस्था हर छह-सात साल में दोगुनी हो जाती है।
उन्होंने कि इसके लिए किसी वित्त मंत्री की भी जरूरत नहीं है। चिदंबरम ने कहा कि बजट में निवेश बढ़ाने की बात की गयी है लेकिन यह कैसे हो पाएगा, उसका ब्यौरा नहीं है। निवेश की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यह घरेलू और एफडीआई दो तरह का होता है।
राज्यसभा में चिदंबरम ने बजट पर चर्चा के दौरान कहा, 'साल 1991 में भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 325 अरब डॉलर का था, साल 2003-04 में यह डबल होकर 618 अरब डॉलर का हो गया। अगले चार साल में यह फिर डबल हो गया 1.22 ट्रिलियन डॉलर तक. सितंबर 2017 तक यह फिर डबल हो गया 2.48 ट्रिलियन डॉलर तक। यह फिर डबल हो जाएगा अगले पांच साल में। इसके लिए किसी प्रधानमंत्री या वित्त मंत्री की जरूरत नहीं है। यह कोई साधारण साहूकार भी जानता होगा, इसमें बड़ी बात क्या है।'
उन्होंने कहा कि एफडीआई पर अपना कोई नियंत्रण नहीं होता लेकिन घरेलू निवेश को बढ़ाने के लिए बजट पर जोर देना होता है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से घरेलू बचत की दर लगभग स्थिर रही है। उन्होंने सरकार द्वारा बजट में घरेलू बचत को प्रोत्साहन देने के लिए कोई उपाय नहीं करने पर चिंता जतायी।
चर्चा में भाग लेते हुए शिवसेना के अनिल देसाई ने कहा कि देश के जीडीपी में महाराष्ट्र का खासा योगदान रहा है। आयकर और अन्य करों के संग्रह में मुंबई का जिक्र करते हुए देसाई ने कहा कि मुंबई को पर्याप्त राशि नहीं मिलती। देसाई ने मुंबई में रेल लाइन और मेट्रो परियोजनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि उसे पर्याप्त राशि मिलनी चाहिए ताकि वहां विभिन्न सुविधाएं मुहैया हो सकें। उन्होंने महाराष्ट्र के कई जिलों में लगातार सूखा पड़ने का भी जिक्र किया और इस संबंध में जरूरी कदम उठाने की जरूरत पर बल दिया।
भाकपा सदस्य डी राजा ने आरोप लगाया कि बजट वास्तविक समस्याओं का समाधान करने में नाकाम रहा है। उन्होंने सार्वनजिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) को मजबूत बनाने की जरूरत पर बल दिया और आरोप लगाया कि सरकार विनिवेश पर जोर दे रही है।
राजा ने कहा कि जीडीपी का 10 प्रतिशत शिक्षा पर और छह प्रतिशत स्वास्थ्य पर खर्च होना चाहिए। राजा ने दावा किया कि महिला एवं बाल विकास, मनरेगा, अनुसूचित जाति, जनजाति कल्याण आदि मदों के आवंटन में कमी कर दी गयी है।
भाजपा के अनिल जैन ने कहा कि यह बजट कल्याणकारी है जो गांवों और गरीबों को समर्पित है। उन्होंने इसे समावेशी बजट बताया और कहा कि इसमें भविष्य का रोडमैप है। जैन ने कहा कि बजट में अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए प्रयास किए गए हैं और रोजगार कैसे बढ़े, इसका खासा ध्यान रखा गया है। उन्होंने कहा कि हर साल आधारभूत ढांचे के विकास के लिए 20 हजार करोड़ रूपए के निवेश की बात की गयी है। इससे बड़ी संख्या में रोजगार पैदा होंगे।
बैंकों का जिक्र करते हुए जैन ने कहा कि उन्हें मजबूत बनाने के लिए 70,000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि संप्रग सरकारों के समय में बैंकों की स्थिति खराब हो गयी।
कर्नाटक, गोवा के घटनाक्रम से अर्थव्यवस्था को होगा नुकसान :चिदंबरम
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने बृहस्पतिवार को कर्नाटक और गोवा के राजनीतिक घटनाक्रम की निंदा करते हुए राज्यसभा में कहा कि इनका भारतीय अर्थव्यवस्था पर नुकसानदेह प्रभाव पड़ेगा।
Chidambaram: What we've seen in Karnataka,Goa may appear to be political upmanship but it has very damaging effect on economy.Foreign investors,rating agencies,intn organisations don't follow Indian media.What they hear&read on political instability will have an impact on economy https://t.co/CJFTnRBvCW
— ANI (@ANI) July 11, 2019
चिदंबरम ने उच्च सदन में आम बजट पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि पिछले दो दिनों में लोकतंत्र को काफी नुकसान पहुंचाया गया है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक और गोवा की घटनाओं से लोकतंत्र को हुए नुकसान से वह काफी दुखी हैं। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय संगठन भारतीय मीडिया को देखकर अपनी धारणा नहीं बनाते हैं। ऐसी घटनाओं से विदेशी निवेशकों के साथ ही रेटिंग एजेंसियां प्रभावित होंगी।