Budget 2019: क्या रोजाना महज 17 रुपये देने से हल हो जाएगी किसानों की समस्या?
By आदित्य द्विवेदी | Published: February 1, 2019 02:39 PM2019-02-01T14:39:14+5:302019-02-01T15:53:28+5:30
मोदी सरकार ने 2 हेक्टेयर या उससे कम खेती वाले किसानों को सालाना 6000 रुपये की आर्थिक मदद देने की घोषणा की है। लेकिन क्या इससे हल हो जाएगी किसानों की जटिल समस्या?
मोदी सरकार छोटे किसानों को साल में 6,000 रुपये का नकद समर्थन देगी। ये राशि किसान के खाते में तिमाही स्तर पर भेजी जाएगी। वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने लोकसभा में शुक्रवार को 2019-20 का अंतरिम बजट पेश करते हुये कई लोक लुभावन घोषणायें की हैं। उन्होंने प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधि नाम से एक नयी योजना के तहत छोटे किसानों को तीन किस्तों में सालाना 6,000 करोड़ रुपये की नकद सहायता देने का एलान किया। इस योजना से सरकारी खजाने पर सालाना 75,000 करोड़ रुपये का वार्षिक बोझ पड़ेगा। यह सहायता दो हेक्टेयर से कम जोत वाले किसानों को उपलब्ध होगी। वित्त मंत्री ने कहा कि इस योजना से 12 करोड़ किसान लाभान्वित होंगे। लेकिन यहां सवाल उठता है कि क्या इस कदम से छोटे किसानों की समस्याओं की समाधान हो जाएगा?
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देश के छोटे किसानों की बदहाली
- सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश में किसानों की औसत आय 6,426 रुपये है। इसमें खेती से प्राप्त होने वाली आय 3081 रुपये महीने है।
- देश के प्रत्येक किसान पर औसतन 47,000 रुपये का कर्ज है।
- देश के लगभग 90 प्रतिशत किसान और खेतिहर मजदूर गरीबी का जीवन जी रहे हैं।
- किसान अपनी रोजमर्रा की जरूरतों के लिए ऊंचे ब्याज दर लाला से कर्ज लेता है और यही उसकी बदहाली का कारण बनता है।
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या महज 17 रुपये रोजाना की आर्थिक मदद से किसानों की हालत में सुधार हो सकता है। किसानों की समस्या का समाधान उपज का मूल्य बढ़ाकर या 17 रुपये रोजाना की आर्थिक सहायता देकर नहीं बल्कि उसके श्रम का उचित मूल्य, लागत वस्तु की खरीद में हो रही लूट, फसलों की मंडी, भंडारण की उचित व्यवस्था और अधिकारों की सुरक्षित रखने वाली व्यवस्था बनाना अनिवार्य होगा।