वीरता पुरस्कारों को मंजूरी, राष्ट्रपति ने लगाई मुहर, जम्मू कश्मीर में आतंकी मंसूबों को नाकाम करने वाले इन बहादुरों को शौर्य चक्र
By भाषा | Published: August 14, 2020 07:01 PM2020-08-14T19:01:05+5:302020-08-14T21:04:34+5:30
थलसेना के ले. कर्नल कृष्ण सिंह रावत, मेजर अनिल उर्स और हवलदार आलोक कुमार दुबे को शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है। सेना के 31 जवानों को सेना (वीरता) पदक से सम्मानित किया गया है।
नई दिल्लीः राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर रक्षा कर्मियों के लिए शौर्य चक्र सहित विभिन्न वीरता पुरस्कारों को मंजूरी दी। इस बार चार रक्षा कर्मियों को शौर्य चक्र प्रदान किए गए हैं।
जम्मू कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए थलसेना को तीन शौर्य चक्र मिले हैं। इसके अलावा भारतीय वायु सेना के विंग कमांडर विशाख नायर को भी शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है। रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। थलसेना के ले. कर्नल कृष्ण सिंह रावत, मेजर अनिल उर्स और हवलदार आलोक कुमार दुबे को शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है।
सेना के एक प्रशस्ति पत्र में कहा गया है कि रावत जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर (एलओसी) घुसपैठ और आतंकवाद रोधी अभियानों के लिए तैनात एक टीम का नेतृत्व कर रहे थे। उसी दौरान खुफिया सूचना मिली थी कि आतंकवादियों द्वारा घुसपैठ या हमला करने की कोशिश की जा सकती है।
रावत ने अपनी टीम का नेतृत्व किया और इसे घुसपैठ के संभावित मार्गों पर तैनात किया। खराब मौसम में करीब 36 घंटे के बाद उनकी टीम ने आतंकवादियों के समूह को देखा। इसके बाद हुयी भारी गोलीबारी के बावजूद वह अपनी टीम के सदस्यों को निर्देश देते रहे और इसके परिणामस्वरूप दो आतंकवादी मारे गए। इसके बाद उन्होंने शेष आतंकवादियों के स्थान की पहचान की और उस आधार पर की गयी कार्रवाई में दो और आतंकवादी मारे गए। तीसरा आतंकवादी घायल हो गया।
प्रशस्ति पत्र में कहा गया है कि पूरे ऑपरेशन के दौरान दृढ़ और अनुकरणीय नेतृत्व के लिए लेफ्टिनेंट कर्नल कृष्ण सिंह रावत को शौर्य चक्र से सम्मानित किया जाता है।" प्रशस्ति पत्र में आपरेशन की तारीख का जिक्र नहीं किया गया है। जम्मू कश्मीर में एलओसी पर तैनात कंपनी कमांडर मेजर उर्स को आतंकवादियों के बारे में खुफिया जानकारी मिली थी। प्रशस्ति पत्र में कहा गया है कि सामरिक कौशल और मजबूत संकल्प का परिचय देते हुए अधिकारी ने पूरी तरह धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा की।
आतंकवादियों के समूह को देखते ही उन्होंने तीन आतंकवादियों को मार गिराया। जम्मू कश्मीर के एक गांव के पास बागों में 22 जून 2019 को तलाशी अभियान शुरू किया गया था। इस दौरान सामरिक दक्षता का परिचय देते हुए हवलदार दुबे ने कंपनी कमांडर की सहायता की।
सु्बह करीब 5.40 बजे दुबे ने अपने से ठीक आगे घनी झाड़ियों में संदिग्ध हरकत देखी। आतंकवादियों का एक समूह भागने की कोशिश कर रहा था। इस क्रम में आतंकियों ने हथगोला फेंका और अंधाधुंध गोलियां चलाईं। प्रशस्ति पत्र में कहा गया है कि अदम्य साहस प्रदर्शित करते हुए हवलदार आलोक ने एक आतंकवादी को मार गिराया। उसकी बाद में खूंखार आतंकवादी के रूप में पहचान की गयी। राष्ट्रपति ने सेना के 60 जवानों को सेना पदक (वीरता), नौसेना के लिए चार नौसेना पदक और वायु सेना के लिए पांच वायु सेना पदक (वीरता) की भी मंजूरी दी।
लद्दाख में चीन के साथ झड़प के दौरान बहादुरी के लिए आईटीबीपी ने 294 जवानों को पुरस्कृत किया
लद्दाख में हाल ही में चीनी सैनिकों के साथ संघर्ष में बहादुरी दिखाने के लिए भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के 294 जवानों को महानिदेशक (डीजी) प्रशस्ति से सम्मानित किया गया है। आईटीबीपी ने शुक्रवार को बताया कि इस इलाके में तैनात 21 जवानों को वीरता पदक देने की अनुशंसा सरकार से की गई है।
आईटीबीपी ने दोनों सेनाओं के बीच गतिरोध के बारे में पहली बार आधिकारिक तौर पर जानकारी देते हुए बताया कि ‘‘किस तरह जवानों ने न केवल प्रभावी तरीके से अपनी रक्षा की बल्कि आगे बढ़ रहे पीएलए (चीन की जनमुक्ति सेना) के जवानों को करारा जवाब दिया और स्थिति को नियंत्रित किया।’’
इसने कहा, ‘‘आईटीबीपी ने इस वर्ष मई-जून में गतिरोध और झड़प के दौरान चीनी सैनिकों का सामना करने वाले 21 जवानों के नामों की अनुशंसा वीरता पदक के लिए की है।’’ बल ने कहा, ‘‘साथ ही स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर 294 जवानों को महानिदेशक प्रशस्ति से सम्मानित किया गया है।’’
इसने कहा कि आईटीबीपी के जवानों ने उच्चस्तरीय पेशेवर कौशल दिखाया और ‘‘करारा जवाब दिया तथा भारतीय सेना के जख्मी जवानों को वापस लेकर लौटे।’’ पूर्वी लद्दाख में 15-16 जून की दरम्यानी रात को चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। चीन ने भी स्वीकार किया कि उसके सैनिक हताहत हुए हैं, लेकिन उसने कभी मारे गए या घायल हुए सैनिकों की संख्या नहीं बताई।
आईटीबीपी ने कहा कि इसके जवान इलाके में ‘‘पूरी रात लड़े’’ और उन्हें कम से कम क्षति हुई जबकि पीएलए के पथराव कर रहे जवानों को करारा जवाब दिया। इसने कहा, ‘‘कई स्थानों पर वे (आईटीबीपी) चीनी सैनिकों के खिलाफ 17 से 20 घंटे तक लगातार डटे रहे।’’
इसने कहा, ‘‘ऊंचे स्थानों पर प्रशिक्षण और हिमालय में अनुभव के कारण आईटीबीपी के जवान पीएलए के जवानों पर भारी पड़े और आईटीबीपी के करारा जवाब के कारण अति संवेदनशील क्षेत्रों में लगभग सभी मोर्चे सुरक्षित हैं।’’
बल ने बताया कि छत्तीसगढ़ में नक्सल विरोधी अभियान में साहस का परिचय देने के लिए छह अन्य कर्मियों को महानिदेशक प्रशस्ति से सम्मानित किया गया है। कोरोना वायरस से खिलाफ लड़ाई में सेवाओं के लिए आईटीबीपी एवं अन्य अर्द्धसैनिक बलों के 358 जवानों को गृह मंत्री के विशेष अभियान पदक से सम्मानित करने की भी अनुशंसा की गई है।