महाराष्ट्रः बॉम्बे हाईकोर्ट ने बरकरार रखा मराठा आरक्षण, लेकिन 16% कोटे पर उठाए सवाल

By आदित्य द्विवेदी | Published: June 27, 2019 04:03 PM2019-06-27T16:03:32+5:302019-06-27T16:03:32+5:30

बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के मराठा आरक्षण पर फैसला बरकरार रखा है। गुरुवार को इस कानून का विरोध करने वाली व समर्थन करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने ये फैसला सुनाया।

Bombay High Court upholds Maratha reservation given by Maharashtra govt. A petition had challenged its constitutional validity | महाराष्ट्रः बॉम्बे हाईकोर्ट ने बरकरार रखा मराठा आरक्षण, लेकिन 16% कोटे पर उठाए सवाल

बॉम्बे हाईकोर्ट ने बरकरार रखा मराठा आरक्षण पर फैसला

Highlightsबॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के मराठा आरक्षण पर फैसला बरकरार रखा है।हालांकि कोर्ट ने कहा कि वो 16 प्रतिशत आरक्षण के पक्ष में नहीं। आरक्षण 12-13 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होना चाहिए।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के मराठा आरक्षण पर फैसला बरकरार रखा है। गुरुवार को इस कानून का विरोध करने वाली व समर्थन करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने ये फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने कहा कि आरक्षण पर फैसला सरकार का अधिकार है। हालांकि कोर्ट ने कहा कि वो 16 प्रतिशत आरक्षण के पक्ष में नहीं। आरक्षण 12-13 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होना चाहिए।

गौरतलब है कि राज्य सरकार ने शिक्षा क्षेत्र और सरकारी नौकरियों में मराठा समाज को 16 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए 30 नवंबर 2018 को कानून बनाया था। पूरे राज्य की निगाहें आज हाईकोर्ट के फैसले की ओर लगी हुई थी। 

25 जून 2014 को तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने मराठा समाज को 16 प्रतिशत तथा मुस्लिम समाज को 5 प्रतिशत आरक्षण की मंजूरी दी थी। सरकार के इस निर्णय पर उच्च न्यायालय ने नवंबर 2014 में रोक लगा दी थी। इस बीच भाजपा सरकार सत्ता में आ गई और मराठा समाज ने बड़ी संख्या में राज्यभर मूक आंदोलन किए।

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 30 नवंबर 2018 को मराठा आरक्षण का कानून बनाया। उसके बाद इस कानून की वैधता को चुनौती देने वाली और सरकार के निर्णय का समर्थन करने वाली अनेक याचिकाएं उच्च न्यायालय में दायर की गईं।

विविध स्तरों पर यह मुद्दा उठाया गया कि मराठा समाज को 16 प्रतिशत आरक्षण देने के बाद कौन से प्रवर्ग में समावेशित किया जाएगा। उसके बाद सरकार ने बीच का रास्ता निकालते हुए मराठा समाज को आरक्षण देने के लिए 'सामाजिक और आर्थिक पिछड़ा प्रवर्ग' एक विशेष प्रवर्ग का निर्माण किया। मराठा समाज को 16 प्रतिशत आरक्षण देने के बाद राज्य का आरक्षण का प्रतिशत 68 प्रतिशत के ऊपर पहुंच गया है। फिलहाल तामिलनाडू राज्य में 69 प्रतिशत आरक्षण है।

Web Title: Bombay High Court upholds Maratha reservation given by Maharashtra govt. A petition had challenged its constitutional validity

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