बंबई उच्च न्यायालयः सुशांत सिंह राजपूत की मौत, रिपब्लिक टीवी की रिपोर्टिंग पर सवाल, कहा-किसे गिरफ्तार किया जाना चाहिए, क्या खोजी पत्रकारिता है?

By भाषा | Published: October 21, 2020 08:12 PM2020-10-21T20:12:52+5:302020-10-21T20:12:52+5:30

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की पीठ ने अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में चैनल के हैशटैग अभियान और इससे संबंधित विभिन्न खबरों के मुद्दे पर यह बात कही। अदालत ने ट्विटर पर चले चैनल के ‘हैशटैग-रिया को गिरफ्तार करो’ का उल्लेख किया।

Bombay High Court Sushant Singh Rajput's death questions Republic TV reporting | बंबई उच्च न्यायालयः सुशांत सिंह राजपूत की मौत, रिपब्लिक टीवी की रिपोर्टिंग पर सवाल, कहा-किसे गिरफ्तार किया जाना चाहिए, क्या खोजी पत्रकारिता है?

केंद्र सरकार ने कहा था कि वह प्रिंट और टीवी मीडिया के लिए स्व-नियमन तंत्र के पक्ष में है।

Highlightsक्या दर्शकों से यह पूछा जाना कि किसे गिरफ्तार किया जाना चाहिए, क्या यह खोजी पत्रकारिता है?रिपब्लिक टीवी ने मृत शरीर की तस्वीरें क्यों प्रसारित कीं और क्यों अभिनेता की मौत के मामले में हत्या या आत्महत्या की अटकलबाजी उत्पन्न की। पीठ ने कहा, ‘‘शिकायत ‘हैशटैग-रिया को गिरफ्तार करो’ के बारे में है। यह आपके चैनल के समाचार का हिस्सा क्यों है।’’

मुंबईः बंबई उच्च न्यायालय ने बुधवार को रिपब्लिक टीवी से जानना चाहा कि जिस मामले की जांच चल रही है, उसके बारे में क्या दर्शकों से यह पूछा जाना कि किसे गिरफ्तार किया जाना चाहिए, क्या यह खोजी पत्रकारिता है?

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की पीठ ने अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में चैनल के हैशटैग अभियान और इससे संबंधित विभिन्न खबरों के मुद्दे पर यह बात कही। अदालत ने ट्विटर पर चले चैनल के ‘हैशटैग-रिया को गिरफ्तार करो’ का उल्लेख किया।

इसने चैनल की ओर से पेश वकील माल्विका त्रिवेदी से यह भी पूछा कि रिपब्लिक टीवी ने मृत शरीर की तस्वीरें क्यों प्रसारित कीं और क्यों अभिनेता की मौत के मामले में हत्या या आत्महत्या की अटकलबाजी उत्पन्न की। पीठ ने कहा, ‘‘शिकायत ‘हैशटैग-रिया को गिरफ्तार करो’ के बारे में है। यह आपके चैनल के समाचार का हिस्सा क्यों है।’’ इसने कहा, ‘‘जब किसी मामले की जांच चल रही है और मुद्दा यह है कि यह हत्या है या आत्महत्या है, तब एक चैनल कह रहा है कि यह हत्या है, क्या यह सब खोजी पत्रकारिता है।’’

अदालत ने यह टिप्पणी कई जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए की जिनमें आग्रह किया गया था कि प्रेस को राजपूत की मौत के मामले में इस तरह की रिपोर्टिंग से रोका जाए। याचिकाओं में टीवी चैनलों को मामले में मीडिया ट्रायल करने से रोकने का आग्रह भी किया गया था। पीठ ने सभी पक्षों से यह स्पष्ट करने को कहा था कि क्या टीवी चैनलों की प्रसारण सामग्री के नियमन के लिए किसी कानूनी तंत्र की आवश्यकता है। इसपर केंद्र सरकार ने कहा था कि वह प्रिंट और टीवी मीडिया के लिए स्व-नियमन तंत्र के पक्ष में है।

वहीं, रिपब्लिक टीवी ने अदालत के सवालों के जवाब में कहा कि राजपूत की मौत के मामले में रिपोर्टिंग और फिर जांच से मामले में कई महत्वपूर्ण पहलुओं का खुलासा करने में मदद मिली। चैनल की ओर से पेश वकील ने कहा, ‘‘जनता की राय सामने लाना और सरकार की आलोचना करना पत्रकारों का अधिकार है। यह आवश्यक नहीं है कि चैनलों द्वारा जो प्रसारित किया जा रहा है, हर कोई उसकी सराहना करेगा। हालांकि, यदि किसी समाचार से कोई तबका असहज महसूस करता है, तो यह लोकतंत्र का सार है।’’

अदालत ने हालांकि, कहा कि वह मीडिया का गला घोंटने के लिए नहीं कह रही, लेकिन प्रेस को कुछ सीमा रेखा खींचनी चाहिए। इसने कहा, ‘‘हम पत्रकारिता के बुनियादी नियमों का जिक्र कर रहे हैं, जहां आत्महत्या से संबंधित रिपोर्टिंग के लिए बुनियादी शिष्टाचार का पालन करने की जरूरत है। सुर्खियों वाले शीर्षक नहीं, लगातार दोहराव नहीं। आपने यहां तक कि मृतक को भी नहीं छोड़ा...गवाहों को तो भूल जाइए।’’ अदालत ने कहा, ‘‘आपने एक महिला को ऐसे तरीके से पेश किया जो उसके अधिकारों का उल्लंघन है। यह हमारा प्रथम दृष्टया मत है।’’ 

Web Title: Bombay High Court Sushant Singh Rajput's death questions Republic TV reporting

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