बंबई HC ने जिस्मफरोशी से बचाई गई दो महिलाओं को उनके परिजनों को सौंपने से इनकार किया
By भाषा | Published: July 17, 2019 04:58 PM2019-07-17T16:58:01+5:302019-07-17T16:58:01+5:30
न्यायमूर्ति एस एस शिंदे ने मंगलवार को बचाई गई महिलाओं (25 और 22 साल) की बहन होने का दावा करने वाली दो महिलाओं द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया।
बंबई उच्च न्यायालय ने वेश्यावृत्ति गिरोह से बचाई गईं और सुधार गृह भेजी गईं दो महिलाओं की हिरासत उनके रिश्तेदारों को सौंपने से इंकार करते हुए कहा कि उनके भविष्य में फिर से इस तरह की गतिविधियों में लिप्त होने की आशंका है। न्यायमूर्ति एस एस शिंदे ने मंगलवार को बचाई गई महिलाओं (25 और 22 साल) की बहन होने का दावा करने वाली दो महिलाओं द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया।
इन याचिकाओं में उन्होंने अनुरोध किया था कि बचाई गईं महिलाओं को महाराष्ट्र के सतारा जिले के आशा किरण महिला शासकीय निवास स्थान से रिहा किया जाए। याचिकाकर्ताओं ने एक स्थानीय मजिस्ट्रेट और एक सत्र अदालत के दोनों पीड़ितों की हिरासत उन्हें नहीं देने के आदेश को चुनौती दी है। इन पीड़ितों को पुलिस ने फरवरी में सांगली से बचाया था।
एक याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उसकी बहन (पीड़ित) का सात साल का बच्चा है जिसकी देखभाल की जरूरत है। अन्य याचिकाकर्ता ने कहा कि अगर उसकी बहन को सुधार गृह से रिहा नहीं किया गया तो उसकी निजी कंपनी से नौकरी छूट जाएगी।
उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि मजिस्ट्रेट अदालत ने पीड़ितों को सुधार गृह भेजने से पहले उनके परिवारों की स्थिति की उचित जांच कराई और पीड़ितों की बहन होने का दावा करने वाली याचिकाकर्ताओं की पृष्ठभूमि पर गौर किया।
न्यायमूर्ति शिंदे ने कहा, ‘‘निचली अदालत ने कहा है कि अगर पीड़ितों की हिरासत बहनों को दी गई तो उनके भविष्य में इस तरह के क्रियाकलापों में फिर से लिप्त होने की संभावना है।’’