कोरोना काल में मजदूरों को वेतन देने वाला नियम, उन पर लागू नहीं होता, जो लॉकडाउन के पहले से बेरोजगार थे: बॉम्बे हाई कोर्ट
By पल्लवी कुमारी | Published: July 14, 2020 12:24 PM2020-07-14T12:24:02+5:302020-07-14T12:24:02+5:30
कोरोना वायरस के भारत में पैर पसारते ही केंद्रीय गृह मंत्रालय ( MHA) ने देश की सारी कंपनियों को यह आदेश दिया था कि किसी कार्यरत स्टाफ और मजदूर की सैलरी नहीं काटी जाएगी।
मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने अपने एक फैसले में कहा है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ( MHA) ने आपदा प्रबंधन अधिनियम के ( Disaster management Act) तहत सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि सभी मालिक या कंपनी अपने यहां काम कर रहे श्रमिकों को मजदूरी का भुगतान बिना किसी कटौती के सुनिश्चित करेंगे। लेकिन MHA का ये निमय लॉकडाउन में उन मजदूरों पर लागू नहीं होता है जो लॉकडाउन के पहले से काफी लंबे वक्त से बेरोजगार थे।
जस्टिस उजाल भूयन ( Justices Ujjal Bhuyan) और रियाज चागला (Riyaz Chagla)की डिविजन बेंच ने पुणे की हेवी मशीन मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी प्रीमियर लिमिटेड सहित प्रीमियर इमप्लॉइज यूनियन की रिट याचिका पर एक साथ सुनवाई की। पुणे की कंपनी की ओर से ये याचिका इंडस्ट्रियल कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ था जिसमें उन कामगारों को बकाया तनख़्वाह देने का निर्देश दिया गया था, जिन्हें मई-2019 से कोई भुगतान नहीं किया गया है। वही, प्रीमियर इमप्लॉइज यूनियन की रिट याचिका में गृह मंत्रालय के 29 मार्च, 2020 के आदेश के अनुपालन की मांग की गई थी।
हालांकि, बॉम्बे हाई कोर्ट ने 20 मार्च, 2020 को दिए गए इंडस्ट्रियल कोर्ट के आदेश को काफी हद तक संशोधित कर दिया है। कंपनी को अब श्रमिकों को उनके वेतन का आधा भुगतान किया जाएगा। वह भी प्रत्येक माह के दसवें दिन या उससे पहले।
मजदूर यूनियन ने कंपनी के प्रबंधन के खिलाफ अनुचित श्रम-व्यवहार के तहत पुणे के औद्योगिक न्यायालय के समक्ष एक शिकायत दर्ज की थी। हालांकि इस बीच कंपनी को सरकार ने NOC तो दी लेकिन साथ यह शर्त रखी कि जब तक वह मजदूरों को मजदूरी और बकाया का पूरा भुगतान नहीं करेगी और उनके रोजगार सुनिश्चित नहीं करेगी तो वह अपना प्लांट शिफ्ट नहीं कर सकते हैं।
कंपनी ने 3 मार्च 2020 को नोटिस जारी करते हुए सभी स्टाफ और कर्मचारियों सूचित किया था कि मैनेजमेंट ने तत्काल प्रभाव से सारे परिचालन को अगले आदेश तक बंद करने का फैसला लिया है।
कोरोना: बॉम्बे हाई कोर्ट अपने इस फैसले को लेकर भी रहा चर्चा में
बॉम्बे हाई कोर्ट ने पिछले हफ्ते अपने एक फैसले में कहा कि कोरोना संक्रमित मरीजों के नाम का खुलासा किया जाए या ना किया जाए...यह मरीजों की निजता के अधिकार से जुड़ा मुद्दा है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने सवाल उठाया था कि कोरोना संक्रमित मरीजों के नाम का खुलासा आखिर क्यों किया जाना चाहिए?
बॉम्बे हाई कोर्ट ने याचिका में कोरोना मरीजों के नाम का खुलासा करने की मांग पर यह टिप्पणी की थी। याचिका में कहा गया था कि कोरोना मरीजों के नाम का पता चलने के बाद उनके संपर्क में आने वाले लोग सतर्क हो जाएंगे और अन्य लोगों को संक्रमित होने से बचाया जा सके। यह याचिका एक कानून की छात्रा और एक किसान ने दायर की थी।