BLOG: हिंद महासागर में भारत की शक्ति

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: June 27, 2018 04:39 AM2018-06-27T04:39:54+5:302018-06-27T04:39:54+5:30

देश की संसद में कुछ दिन पहले घोषित किया था कि उनकी भारत यात्ना के दौरान ‘असम्पशन द्वीप’ पर कोई बातचीत नहीं होगी लेकिन कल प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी से उनकी बात हुई और उन्होंने नई दिल्ली में घोषणा कर दी कि सेशल्स के उस द्वीप पर भारत अपना नौसैनिक अड्डा बनाएगा।

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वेदप्रताप वैदिक

नई दिल्ली, 27 जून: सेशल्स के राष्ट्रपति डैनी फॉरे का भारत आगमन हमारे लिए जितनी खुशी का मौका बन गया है, उतना किसी भी विदेशी नेता के आगमन पर प्राय: कम ही होता है। इस यात्ना के दौरान एक अनहोनी हो गई। राष्ट्रपति फॉरे ने अपने देश की संसद में कुछ दिन पहले घोषित किया था कि उनकी भारत यात्ना के दौरान ‘असम्पशन द्वीप’ पर कोई बातचीत नहीं होगी लेकिन कल प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी से उनकी बात हुई और उन्होंने नई दिल्ली में घोषणा कर दी कि सेशल्स के उस द्वीप पर भारत अपना नौसैनिक अड्डा बनाएगा।

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यह समझौता 2015 में हुआ था लेकिन सेशल्स की संसद में इसका इतना विरोध हुआ कि इसे रद्द करने की घोषणा उसकी सरकार को करनी पड़ी थी। राष्ट्रपति फॉरे की पार्टी संसद में अल्पमत में है। इसलिए वे अपनी बात पर टिक नहीं पाते। दूसरा, सेशल्स के विरोधी नेताओं पर चीन का काफी दबाव रहता है। चीन नहीं चाहता कि अफ्रीकी तटों पर भारत की फौजी ताकत बढ़े। लोग भूल जाते हैं कि यदि भारत की फौजी मदद नहीं होती तो कम से कम दो बार सेशल्स में तख्ता-पलट हो जाता। भारत ने सेशल्स की फौज की 70 प्रतिशत जरूरतों को पूरा किया है। 

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भारत ने इस देश को कई हेलिकॉप्टर, पानी के जहाज और हवाई जहाज भेंट किए हैं ताकि वह समुद्री डाकुओं से अपनी रक्षा कर सके। इस सबके बावजूद 2015 के समझौते का विरोध इसलिए हुआ कि फॉरे के विरोधियों ने इसके बारे में गलतफहमी फैला दी। यह प्रचार किया गया कि असम्पशन नामक द्वीप भारत को बेच दिया गया है और वहां वह अपना नौसैनिक अड्डा बनाएगा, जिसका सेशल्स से कुछ लेना-देना नहीं होगा। लेकिन यह तथ्यों के विपरीत है। सेशल्स में बननेवाला हमारा नौसैनिक अड्डा सेशल्स की सुरक्षा की गारंटी तो देगा ही, हिंद महासागरीय देशों के साथ भारत के संबंधों को घनिष्ठ बनाने में भी उसका योगदान होगा। 

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