अगर पाकिस्तान होता धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र, तो भारत को नहीं पड़ती नागरिकता संशोधन बिल की जरूरत: हिमंत बिस्वा सरमा

By अभिषेक पाण्डेय | Published: December 5, 2019 09:09 AM2019-12-05T09:09:14+5:302019-12-05T09:09:14+5:30

Himanta Biswa Sarma: बीजेपी नेता हिमंत बिस्वा सरमा ने नागरिकता संशोधन बिल को लेकर पाकिस्तान पर निशाना साधा है और इसके लिए उसे जिम्मेदार ठहराया है

BJP's Himanta Biswa Sarma indirectly blamed Pakistan for Citizenship Amendment Bill | अगर पाकिस्तान होता धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र, तो भारत को नहीं पड़ती नागरिकता संशोधन बिल की जरूरत: हिमंत बिस्वा सरमा

हिमंत बिस्वा सरमा ने नागरिकता संशोधन बिल के लिए पाकिस्तान को ठहराया जिम्मेदार

Highlightsबीजेपी ने नागरिकता संशोधन बिल के लिए पाकिस्तान को ठहराया जिम्मेदारबीजेपी ने कहा कि अगर पाकिस्तान होता धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र, तो भारत को ये बिल नहीं लाना पड़ता

संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) को पेश किए जाने से पहले असम के मंत्री और बीजेपी नेता हिमंत बिस्वा सरमा ने इस बिल को लाए जाने के लिए अप्रत्यक्ष तौर पर पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया।

हिमंत ने नेटवर्क 18 को दिए इंटरव्यू में कहा कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर किए गए धार्मिक अत्याचार की वजह से ही भारत को ये बिल लाना पड़ रहा है, जिससे उन अल्पसंख्यकों को नागरिकता देते हुए यहां की शरण दी जा सके।

बिस्वा सरमा ने सीएबी के लिए पाकिस्तान को ठहराया जिम्मेदार

सरमा ने कहा, 'अगर पाकिस्तान धर्मनिरपेक्ष देश होता, तो भारत को सीएबी की जरूरत ही नहीं पड़ती। पाकिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न का ही परिणाम है कि हमें ये करना पड़ रहा है।'

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की असम के छात्र संगठनों और नागरिक समाज समूहों के प्रतिनिधियों के साथ दो दिन की चर्चा के बाद, बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट ने नागरिकता संशोधन बिल को मंजूरी दे दी थी। इसे अगले हफ्ते संसद में पेश किया जा सकता है।

नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिल अलायंस (NEDA) के संयोजक और पूर्वोत्तर में बीजेपी के प्रमुख चेहरे माने जाने वाले सरमा ने कहा कि शाह ने पूर्वोत्तर के 150 समूहों के 600 व्यक्तियों के साथ मुलाकात की और 100 घंटे से अधिक समय तक परामर्श लिया था।।

लोगों को सीएबी से नहीं होगी समस्या: हिमंत

उन्होंने कहा, 'जब आखिरी बिल सार्वजनिक किया जाएगा तो लोगों को सीएबी से समस्या नहीं होगी। सीएबी में कई अल्पसंख्यक समूहों के लिए सामान्य आधार है।'  

इस बिल से मूल नागरिकता ऐक्ट 1956 में संशोधन का प्रस्ताव है, जिसका उद्देश्य बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगाननिस्तान से आने वाले ऐसे गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता दिया जाना है, जो अपने देशों से धार्मिक उत्पीड़न की वजह से भागे थे। साथ ही इसमें भारत में नागरिकता की पात्रता के लिए अनिवार्य 11 साल के निवास को छह साल तक कम करने का भी प्रस्ताव है।

इस कानून में मुस्लिम प्रवासियों को शामिल न करने को लेकर पहले ही काफी विवाद खड़ा हुआ है, जिसके कारण पूर्वोत्तर में उथल-पुथल मचने की संभावना है।

हालांकि सरमा ने बिल के इस प्रारूप का बचाव किया और कहा, 'आप ये कैसे कह सकते हैं कि हम गैर-मुस्लिम हैं...केवल इसलिए क्योंकि हम दूसरे देशों में धार्मिक उत्पीड़न का शिकार हुए लोगों को यहां बसने की इजाजत दे रहे हैं? हम भारतीय मुस्लिमों को अलग-थलग नहीं कर रहे हैं।'

उन्होंने कहा, 'भारत अपने दरवाजे हर अत्याचार पीड़ित के लिए नहीं खोल सकता है। लेकिन हमने धार्मिक उत्पीड़न के लिए एक खंड रखा है, बशर्ते इसे साबित किया जा सके।'

Web Title: BJP's Himanta Biswa Sarma indirectly blamed Pakistan for Citizenship Amendment Bill

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