नागरिकता कानून के विरोध में उतरी असम में बीजेपी की सहयोगी पार्टी AGP, सुप्रीम कोर्ट में देगी चुनौती
By स्वाति सिंह | Published: December 15, 2019 02:48 PM2019-12-15T14:48:42+5:302019-12-15T14:53:57+5:30
नागरिकता संशोधन कानून के अनुसार हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के जो सदस्य 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हैं और जिन्हें अपने देश में धार्मिक उत्पीड़न का सामना पड़ा है, उन्हें भारतीय नागरिकता दी जाएगी।
असम में सत्तारूढ़ भाजपा की सहयोगी पार्टी असम गण परिषद (एजीपी) संशोधित नागरिकता कानून को रद्द करने के लिए उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करेगा। हालांकि, असम गण परिषद के अध्यक्ष अतुल बोरा से यह पूछे जाने पर कि क्या वे संशोधित नागरिकता कानून के बारे में याचिका दायर करेंगे? तब उन्होंने कहा कि हम चर्चा कर रहे हैं, हमने अभी तक फैसला नहीं किया है।
उधर, नागरिकता संशोधन कानून को लेकर असम में हो रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच प्रदेश कांग्रेस कमेटी(पीसीसी) के अध्यक्ष रिपुन बोरा ने रविवार को कहा कि अगले दो-तीन दिनों में पीसीसी की ओर से इस ''असंवैधानिक'' कानून के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की जाएगी।
इस कानून के खिलाफ असम में प्रदर्शन आरंभ होने के बाद पहली पार्टी की राज्य इकाई की तरफ से याचिक दायर किए जाने की घोषणा की गई है। इससे पहले कुछ नेताओं ने अपने स्तर से याचिक दायर की है। बोरा ने बताया, ''इस असंवैधानिक कानून के खिलाफ हम अगले दो-तीन दिनों में याचिका दायर करेंगे।
Atul Bora, President of Asom Gana Parishad on being asked if they will file a petition regarding #CitizenshipAmendmentAct: We are discussing, some of our friends will go to Delhi, we have not decided yet. pic.twitter.com/HdnwAD7qTn
— ANI (@ANI) December 15, 2019
इस बात की संभावना है कि याचिका आगामी मंगलवार को दायर हो।'' बोरा ने कहा कि कांग्रेस इस क़ानून के खिलाफ लड़ाई को शीर्ष अदालत में ले जाने के साथ सड़क पर भी शांतिपूर्ण संघर्ष जारी रखेगी। उन्होंने दावा किया, ''भाजपा की सरकार कितनी भी ताकत का इस्तेमाल कर ले, असम के लोग इस कानून को स्वीकार नहीं करेंगे। यह कानून असम एवं पूर्वोत्तर की संस्कृति को खत्म कर देगा।''
एक सवाल के जवाब में बोरा ने कहा, ''भाजपा हम पर हिंसा भड़काने का आरोप लगा रही है। वह अपनी नाकामी का ठीकरा कांग्रेस के ऊपर फोड़ने की कोशिश कर रही है। सबको पता है कि असम का आंदोलन जनता कर रही है। लोगों ने इस कानून के खिलाफ आवाज बुलंद की है।"
इससे पहले नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ असम कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं देबब्रत सेकिया, अब्दुल खालिक और रूपज्योति कुरमी की तरफ से याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं। इन नेताओं ने अपनी याचिका में नागरिकता संशोधन कानून को संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन बताया है।
यह खबर भी है कि पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई की तरफ से भी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम याचिका दायर करेंगे। नागरिकता संशोधन कानून के अनुसार हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के जो सदस्य 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हैं और जिन्हें अपने देश में धार्मिक उत्पीड़न का सामना पड़ा है, उन्हें भारतीय नागरिकता दी जाएगी।