अमित शाह की रैली पर BJP ने खर्च किए 144 करोड़ सिर्फ LED स्क्रीन पर, तेजस्वी यादव ने किया दावा
By निखिल वर्मा | Published: June 7, 2020 02:33 PM2020-06-07T14:33:37+5:302020-06-07T14:33:37+5:30
बिहार में चुनावी अभियान शुरू हो चुका है. राज्य में बीजेपी, जेडीयू और एलजेपी का गठबंधन है। आरेजडी, कांग्रेस और अन्य दलों का गठबंधन सत्ताधारी राजग को विधानसभा चुनाव में चुनौती देगा.
केंद्रीय मंत्री अमित शाह के बिहार में होने वाली ऑनलाइन रैली पर राज्य की सियासत गर्म है। बिहार में अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होने की संभावना है। अमित शाह आज बिहार चुनाव अभियान की शुरुआत करने वाले हैं। उनकी रैली पर निशाना साधते हुए विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि शाह की रैली में 72 हजार LED स्क्रीन लगाए गये हैं मतलब 144 करोड़ सिर्फ एलईडी स्क्रीन पर खर्च किए जा रहे है।
तेजस्वी यादव ने ट्वीट किया, वर्चुअल रैली के प्रचार के लिए एक एलईडी स्क्रीन पर औसत खर्च 20 हजार रुपये है। बीजेपी की आज की रैली में 72 हज़ार एलईडी स्क्रीन लगाए गये हैं मतलब 144 करोड़ सिर्फ़ एलईडी स्क्रीन पर खर्च किए जा रहे है। श्रमिक एक्सप्रेस में मज़दूरों का किराया 600 रुपये था। वो किराया देने ना इनकी सरकार आगे आयी न ही बीजेपी। गरीबों के खाली पेट, दुःख-दर्द और लाशों पर राजनीति करने वाले राजनीतिक गिद्धों की प्राथमिकता गरीब नहीं बल्कि चुनाव है।
1 लाख लोगों को जोड़ने का लक्ष्य
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा कि उनकी पार्टी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए बिहार के 243 विधानसभा क्षेत्रों के कम से कम एक लाख लोगों को जोड़ने का लक्ष्य रखा है और इसके अलावा लोग सोशल नेटवर्किंग साइट पर भी अमित शाह का भाषण सुन सकते हैं। उन्होंने कहा,‘‘ इस ऑनलाइन रैली को बिहार विधानसभा चुनाव के लिए हमारे डिजिटल प्रचार अभियान की शुरुआत कहा जा सकता है। गृह मंत्री की रैली के बाद पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा का इसी तरह का सार्वजनिक संबोधन होगा।’’
तेजस्वी यादव ने कहा कि देश में कोरोना वायरस संकट के समय चुनाव अभियान चलाना राजनीतिक फायदा लेने की कोशिश है। उन्होंने आरोप लगाया कि भले ही लोगों की जान जाए लेकिन भगवा पार्टी की दिलचस्पी केवल चुनावी जीत में है। बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता ने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली राजग सरकार प्रवासी मजदूरों के साथ ‘‘सौतेला’’ व्यवहार कर रही है। उन्होंने कहा कि इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में यह बड़ा मुद्दा होगा।
वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में राजग को राजद-जद(यू)-कांग्रेस के महागठबंधन से हार मिली थी लेकिन कुमार ने 2017 में अपनी राह अलग कर ली और चार साल के अंतराल के बाद फिर से भगवा पार्टी से हाथ मिला लिया था।