BJP को लगा तगड़ा झटका, UP में दलित चेहरा रहीं सांसद सावित्री बाई फूले ने पार्टी से दिया इस्तीफा
By रामदीप मिश्रा | Published: December 6, 2018 03:51 PM2018-12-06T15:51:01+5:302018-12-06T15:53:43+5:30
सांसद सावित्री बाई फूले ने इस्तीफा देने के बाद बीजेपी पर करारा हमला बोला है। उनका कहना है कि पार्टी समाज में बंटवारे की साजिश करने का काम कर रही है। साथ ही साथ उन्होंने कई आरोप लगाए हैं।
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को एक बड़ा झटका लगा है। दरअसल, उत्तर प्रदेश के बहराइच से सांसद सावित्री बाई फूले ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। वह सूबे में एक पार्टी का बड़ा दलित चेहरा रही हैं। हांलाकि वह देश की नरेंद्र मोदी सरकार और उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के कामकाज से नाखुश रही हैं, जिसको लेकर वो आए दिन हमलावर रही हैं।
सांसद सावित्री बाई फूले ने इस्तीफा देने के बाद बीजेपी पर करारा हमला बोला है। उनका कहना है कि पार्टी समाज में बंटवारे की साजिश करने का काम कर रही है। साथ ही साथ उन्होंने कई आरोप लगाए हैं। हालांकि इस मामले पर पार्टी की ओर से खबर लिखे जाने तक कोई भी प्रतिक्रिया नहीं आई है।
आपको बता दें, अभी हाल ही में राजस्थान चुनाव प्रचार के दौरान योगी आदित्यनाथ द्वारा भगवान हनुमान को दलित बताए जाने के विवाद में कूदते हुये सावित्री बाई फूले ने कहा था कि हनुमान जी दलित और मनुवादियों के गुलाम थे।
Savitribai Phule, BJP MP from Bahraich, Uttar Pradesh resigns from the party, says 'BJP is trying to create divisions in society' pic.twitter.com/tSLivpVevO
— ANI (@ANI) December 6, 2018
उन्होंने कहा था कि हनुमान दलित थे और मनुवादियों के गुलाम थे। अगर लोग कहते है कि भगवान राम हैं और उनका बेड़ा पार कराने का काम हनुमान जी ने किया था। उनमें अगर शक्ति थी तो जिन लोगों ने उनका बेड़ा पार कराने का काम किया, उन्हें बंदर क्यों बना दिया? उनको तो इंसान बनाना चाहिये था, लेकिन इंसान ना बनाकर उन्हें बंदर बना दिया गया। उनको पूंछ लगा दी गई, उनके मुंह पर कालिख पोत दी गयी। चूंकि वह दलित थे इसलिये उस समय भी उनका अपमान किया गया।
आगे उन्होंने कहा था कि हम तो यह देखते है कि अब देश तो ना भगवान के नाम पर चलेगा और नाहीं मंदिर के नाम पर। अब देश चलेगा तो भारतीय संविधान के नाम पर। हमारे देश का संविधान धर्मनिरपेक्ष है। उसमें सभी धर्मो की सुरक्षा की गारंटी है। सबको बराबर सम्मान व अधिकार है। किसी को ठेस पहुंचाने का अधिकार भी किसी को नहीं है। इसीलिये जो भी जिम्मेदार लोग बात करें भारत के संविधान के तहत करें, गैर जिम्मेदाराना बात करने से जनता को एक बार सोचने पर मजबूर करता है।