बीजेपी, मोदी सरकार के बाद अब संसद में अमित शाह का सिक्का
By हरीश गुप्ता | Published: July 22, 2019 08:01 AM2019-07-22T08:01:58+5:302019-07-22T08:01:58+5:30
गृह मंत्रालय को नियमित रूप से कवर करने वाले कुछ पत्रकारों ने जब यह जानने की कोशिश की कि क्या उनका नॉर्थ ब्लॉक में प्रवेश पर भी पाबंदी होगी जैसा कि उनके समकक्ष वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किया था, तो शाह ने कहा, ''मैं बड़े दिल वाला व्यक्ति हूं. मैं ऐसी कोई पाबंदी नहीं लगाऊंगा.''
पहली बार संसद सदस्य और केंद्रीय मंत्री बने गृह मंत्री अमित शाह भले ही सरकार में तीसरे नंबर पर हों, लेकिन उन्होंने न केवल सरकार में बल्कि संसद चलाने में भी बड़ी पहचान बनाई है. इसमें कोई शक नहीं कि वरिष्ठ नेता अरुण जेटली की अनुपस्थिति सबको खलती है, लेकिन शाह ने तत्काल निर्णय लेने, साफगोई और दूरदर्शिता के कारण कुछ ही समय में गहरा प्रभाव डाल दिया है. पूरी सरकार में संभवत: वह इकलौते मंत्री हैं जो अधिकारपूर्वक बोलते हैं.
भाजपा, सरकार और अब संसद को सुचारू रूप से चलाने में उनका सिक्का चलता है. राज्यसभा में दूसरे दिन जब विपक्षी पार्टियां हंगामा कर रही थीं, तो शाह ने पार्टी प्रबंधकों को बताया कि सदन दिनभर के लिए स्थगित नहीं होनी चाहिए. इसके बदले विपक्ष हंगामा करते-करते थक जाए और स्थगन केवल प्रति घंटे के आधार पर हो. इस रणनीति ने रंग दिखाया और तीन स्थगन के बाद सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चली.
गृह मंत्रालय को नियमित रूप से कवर करने वाले कुछ पत्रकारों ने जब यह जानने की कोशिश की कि क्या उनका नॉर्थ ब्लॉक में प्रवेश पर भी पाबंदी होगी जैसा कि उनके समकक्ष वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किया था, तो शाह ने कहा, ''मैं बड़े दिल वाला व्यक्ति हूं. मैं ऐसी कोई पाबंदी नहीं लगाऊंगा.''
कोई अन्य मंत्री सार्वजनिक रूप से यह नहीं कहेगा. लेकिन शाह शब्दजाल का इस्तेमाल नहीं कर स्पष्ट संकेत देने में विश्वास करते हैं कि वह इस तरह की पाबंदी को खारिज करते हैं. मोदी शासन में शाह पहले केंद्रीय मंत्री हैं जिन्होंने संसद के दोनों सदनों में विभिन्न बिल पेश करने अपने दो प्रतिनिधिओं को सुनिश्चित किया और यहां तक कि बहस का जवाब भी दिया. वह न केवल बहस में शामिल हुए बल्कि आवश्यकता पड़ने पर उन्होंने हस्तक्षेप भी किया, लेकिन यह साफ था कि वह अपने कनिष्ठों को बढ़ावा दे रहे हैं. उनकी देखादेखी अब अन्य वरिष्ठ मंत्री भी ऐसा ही करना शुरू कर दिया है.
राज्य मंत्रियों ने सोचा भी नहीं था :
अमित शाह ने अपने दो कनिष्ठों राज्य मंत्री नित्यानंद राय और जी. किशन रेड्डी को प्रश्नकाल के दौरान संसदीय सवालों के जवाब देने को कहा. दोनों राज्य मंत्रियों में से किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि वह अपने पहले कार्यकाल में ऐसी जिम्मेदारी निभाएंगे. अमित शाह ने तभी मोर्चा संभाला, जब संसद में जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने का मामला आया. गृह मंत्री कश्मीर और राष्ट्रीय नागरिक पंजी मुद्दों को सुलझाने और पश्चिम बंगाल को जीतने के उत्सुक हैं. शाह ने गृह मंत्री के रूप में पहले 50 दिनों में छाप छोड़ी है. आक्रामकता दिखाने वाले शाह को संसद के सेंट्रल हॉल में गपशप और चुटकुले सुनना भी पसंद है.