ओपिनियन पोलों ने छुड़ाए बीजेपी के छक्के, प्रवक्ताओं को बुलाकर दे रहे हैं ये "कैप्शूल ट्रेनिंग"
By संतोष ठाकुर | Published: November 10, 2018 08:03 PM2018-11-10T20:03:14+5:302018-11-10T20:03:14+5:30
टीवी चैनलों पर आने वाले ओपिनियन पोल या चुनाव पूर्व सर्वेक्षण में जिस तरह से लगातार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के बीच सीटों के अंतर को कम करके दिखाया जा रहा है उससे भाजपा के नेता खुश नहीं है. भाजपा का मानना है कि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी उनके और कांग्रेस के बीच सीटों के अंतर को लगातार कम किया जा रहा है.
जबकि जमीन पर कहीं कांग्रेस नहीं है. हालांकि भाजपा नेताओं का मानना है कि जिस तरह से ये पोल दिखाए जा रहे हैं उससे कुछ खास वर्ग पर असर हो सकता है. यही वजह है कि उसने अपने नेताओं को कहा है कि वे टीवी चैनलों की बहस में चुनाव पूर्व सर्वेक्षण की प्रामिणकता को लेकर बहस करने के साथ ही उन सभी सर्वे का हवाला दे जो पूर्व में भाजपा को सभी राज्यों में हारता हुआ दिखाते रहे हैं.
बीजेपी प्रवक्ताओं को दी जा रही है कैप्शूल ट्रेनिंग
इसके लिए प्रवक्ताओं को बकायदा अल्पकालिक कैप्शूल ट्रेनिंग भी दी जा रही है, जिससे वे टीवी पर अपनी बात पूरे दम-खम के साथ रखे और उनके चेहरे पर विश्वास का भाव भी लगातार नजर आए. सबसे खराब स्थिति राजस्थान की दिखाई जा रही है. यही वजह है कि जयपुर में रहकर मीडिया और समाचार तंत्रों का आकलन कर रहे भाजपा के प्रवक्ता केके शर्मा लगातार टीवी चैनलों की बहस में सर्वेक्षण पर सवाल उठा रहे हैं.
उन्होंने सवालिया लहजे में पूछा कि क्या वजह है कि कुछ दिन पहले तक तीनों राज्यों में भाजपा को कम सीटें दिखाने वाले चैनल भी अब मप्र और छग में भाजपा को आगे दिखा रहे हैं. राजस्थान के चुनाव सबसे बाद में होने हैं. ऐसे में उन्हें उम्मीद है कि टीवी चैनल स्वयं अपनी गलती को सुधारेंगे और जिस तरह से मप्र और छग में भाजपा को अधिक सीट दे रहे हैं, उसी तरह से राजस्थान में भी वह भाजपा की बढ़त को महसूस करेंगे.
कुछ हजार लोगों से बातचीत पर आधारित होते हैं सर्वे
सर्वे पर उठाए सवाल एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि मप्र और छग में ओपिनियन पोल में भाजपा को आगे दिखाया जा रहा है लेकिन कांग्रेस और उसके बीच सीटों के अंतर को कम करके दिखाया जा रहा है. लेकिन यहां यह समझना जरूरी है कि आखिर टीवी चैनल सर्वे कैसे करते हैं.
वह एक सैंपल सर्वे करते हैं. इसमें हजार या दो हजार लोगों से बातचीत की जाती है. यह भी तय नहीं है कि जिस व्यक्ति से बात की गई है वह एकदम निष्पक्ष राय दे रहा है. ऐसे में सर्वे की कोई उपयोगिता आज के समय में नहीं है. खासकर छग, मप्र में जमीन पर कांग्रेस कहीं नहीं है. वहां पर भी उन्हें थोक में सीट देने वाले ओपिनियन पोल किस आधार पर ऐसा कर रहे हैं, यह समझ से परे हैं.
मोदी-शाह खुद उतरेंगे मैदान में
भाजपा सर्वे से परेशान नहीं एक वरिष्ठ भाजपा पदाधिकारी ने कहा कि यह सर्वे उस समय धाराशाही हो जाएंगे जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रचार के लिए निकलेंगे.
इसके अलावा राजस्थान में स्वयं पार्टी अध्यक्ष अमित शाह डेरा जमाने वाले हैं. सभी जानते हैं कि चुनावी चौसर पर उनकी चाल को कोई काट नहीं सकता है. ऐसे में भाजपा इन सर्वे से परेशान या चिंतित नहीं है. हमें केवल इस बात को लेकर आश्चर्य है कि जहां पर जमीन पर कांग्रेस कहीं नहीं है, वहां पर भी उसे बंपर सीट दी जा रही है.