लोकसभा में जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) सहित 8 विधेयक पेश, विपक्षी सांसदों ने अपनी आपत्ति भी दर्ज कराई
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 8, 2019 06:59 PM2019-07-08T18:59:38+5:302019-07-08T18:59:38+5:30
जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक, 2019 में न्यासी के रूप में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष को हटाकर उसके स्थान पर लोकसभा में मान्यता प्राप्त विरोधी दल का नेता या उस स्थिति में सदन में सबसे बड़े एकल विरोधी दल के नेता को न्यासी बनाने का प्रस्ताव किया गया है जब किसी मान्यता प्राप्त विरोधी दल का नेता नहीं हो।
लोकसभा में सोमवार को कांग्रेस के विरोध के बीच जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक, 2019 पेश किया गया जिसमें न्यासी के रूप में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष को हटाकर उसके स्थान पर लोकसभा में मान्यता प्राप्त विरोधी दल का नेता या उस स्थिति में सदन में सबसे बड़े एकल विरोधी दल के नेता को न्यासी बनाने का प्रस्ताव किया गया है, जब किसी मान्यता प्राप्त विरोधी दल का नेता नहीं हो।
भारी बहुमत के साथ फिर से सत्ता में आई मोदी सरकार की राह संसद में और आसान हो गई है। बीजेपी के पास 303 सांसद हैं और वहीं एनडीए के सांसदों को जोड़कर यह आंकड़ा 353 के पार चला जाता है।यही वजह है कि चालू बजट सत्र में सरकार एक-एक कर नए विधेयकों को संसद की मंजूरी दिलवाने में सफल रही है। सोमवार को लोकसभा में सरकार की ओर से एक घंटे के भीतर 8 विधेयक पेश कर दिए गए।
लोकसभा में प्रश्न काल खत्म होने के बाद स्पीकर ओम बिरला ने सरकार को उन विधेयकों को पेश करने की इजाजत दी जो विधायी कार्य के लिए सूचीबद्ध थे। इन विधेयकों में डीएनए प्रौद्योगिकी (उपयोग और अनुप्रयोग) विनियमन विधेयक 2019, गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) संशोधन विधेयक 2019, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (संशोधन) विधेयक 2019 शामिल हैं। एनआईए से जुड़ा विधेयक गृह मंत्री अमित शाह की ओर से गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने पेश किया, हालांकि अमित शाह भी सदन में मौजूद रहे।
इसके अलावा मानव अधिकारों का संरक्षण (संशोधन), उपभोक्ता संरक्षण विधेयक 2019, दि पब्लिक प्रीमीज (अनाधिकृत व्यवसायों का प्रमाण) संशोधन विधेयक 2019, जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक 2019 और केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक 2019 को भी लोकसभा में पेश किया गया, इनमें से कुछ विधेयकों पर विपक्षी सांसदों ने अपनी आपत्ति भी दर्ज कराई।
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि इससे न्यायपालिका पर बोझ बढ़ेगा
एनआईए बिल को पेश करने के दौरान लोकसभा में कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि इससे न्यायपालिका पर बोझ बढ़ेगा, जहां पहले से ही केस लंबित हैं. उन्होंने कहा कि इस बिल में एनआईए की बुनियादी दिक्कतों को दूर करने के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया है और जांच एजेंसी को राजनीतिक दखल से दूर करने की भी जरूरत है। गृह राज्य मंत्री किशन रेड्डी ने इसके जवाब में कहा कि सरकार का मकसद एनआईए एक्ट को मजबूत करना है और इस पर जब चर्चा होगी तो सरकार विपक्ष के सभी सवालों का जवाब देने के लिए तैयार है।
केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन की ओर से पेश किए गए डीएनए टेक्नोलॉजी से जुड़े बिल का विरोध करते हुए कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि इस बिल के जरिए सरकार लोगों के बुनियादी अधिकारों का हनन कर रही है। कांग्रेस के ही शशि थरूर ने बिल के विरोध में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने निजता के अधिकार से जुड़े एक फैसले में डाटा सुरक्षा का कानून लाने के लिए कहा है और डीएनए भी एक तरह का डाटा है जिसकी सुरक्षा काफी अहम है।
निचले सदन में संस्कृति मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक, 2019 पेश किया। विधेयक का विरोध करते हुए कांग्रेस के शशि थरूर ने कहा कि जब स्मारक बनाया गया तब से ही कांग्रेस अध्यक्ष को स्मारक का पदेन ट्रस्टी बनाया गया।
सरकार इस व्यवस्था को बदलकर इस स्मारक के लिए स्वतंत्रता संग्राम के महत्व को नकार रही है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के जरिये सरकार को उससे इत्तेफाक नहीं रखने वाले ट्रस्टियों को हटाने का अधिकार मिल जाएगा। यह एकतरफा है।
कांग्रेस ने इस ट्रस्ट के लिये पैसा जुटाया था। पटेल ने कहा कि विधेयक फरवरी में लोकसभा में पारित हो गया था लेकिन राज्यसभा में पारित नहीं हो सका, इसलिए इसे फिर से निम्न सदन में लेकर सरकार आई है। उन्होंने कहा कि इतिहास की बात कर रहे कांग्रेस के सदस्य रिकार्ड पलट कर देख लें। 40-50 साल में कांग्रेस ने कुछ नहीं किया।
पटेल ने यह भी कहा कि कांग्रेस सदस्य विधेयक पर चर्चा के दौरान अपने विषय उठा सकते हैं और चर्चा के बाद उनके सारे सवालों के उत्तर दिये जाएंगे। विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक अधिनियम 1951 को जलियांवाला बाग, अमृतसर में 13 अप्रैल 1919 को मारे गए या घायल हुए व्यक्तियों की स्मृति को कायम रखने के लिये एक राष्ट्रीय स्मारक के निर्माण और प्रबंध का उपबंध करने के लिये अधिनियमित किया गया था।
इसमें स्मारक के निर्माण और प्रबंध के लिये एक न्यास का उपबंध और कतिपय आजीवन न्यासियों सहित न्यास की संरचना का भी उपबंध है । आजीवन नियुक्त न्यासियों के कालांतर में निधन से स्थिति बदल गई और न्यास में सरकार का समुचित प्रतिनिधित्व नहीं था।
वर्तमान में न्यास की संरचना में कतिपय असंगतियां देखी गई हैं। इसमें एक दल विशेष का न्यासी बनने और लोकसभा में विरोधी दल के नेता को एक न्यासी बनाने का उपबंध है। लोकसभा में विरोधी दल के नेता के अभाव में और दल विशेष का न्यासी होने को ध्यान में रखते हुए इसे अराजनीतिक बनाने के लिये अधिनियम में संशोधन की जरूरत समझी गई।
जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक, 2019 में न्यासी के रूप में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष को हटाकर उसके स्थान पर लोकसभा में मान्यता प्राप्त विरोधी दल का नेता या उस स्थिति में सदन में सबसे बड़े एकल विरोधी दल के नेता को न्यासी बनाने का प्रस्ताव किया गया है जब किसी मान्यता प्राप्त विरोधी दल का नेता नहीं हो।
इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार को किसी नाम निर्देशित न्यासी की पदावधि को, उस पदावधि के खत्म होने से पहले ही समाप्त करने की शक्ति प्रदान की जाती है।