प्रवासी भारतीयों को प्रॉक्सी के माध्यम से भारत में मताधिकार देने वाला विधेयक लोकसभा में पारित
By भाषा | Published: August 9, 2018 08:29 PM2018-08-09T20:29:07+5:302018-08-09T20:29:07+5:30
इससे पहले विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कानून मंत्री प्रसाद ने कहा कि यह विधेयक एनआरआई (प्रवासी भारतीयों) को भारतीय लोकतंत्र में भूमिका निभाने का अवसर दे रहा है जो अपने देश को बहुत प्यार करते हैं।
नई दिल्ली, नौ अगस्तः लोकसभा ने लोक प्रतिनिधित्व (संशोधन) विधेयक 2017 को आज मंजूरी प्रदान कर दी जिसमें प्रवासी भारतीय मतदाताओं की परेशानियों को दूर करने की पहल की गई है जिससे वे अपने निवास स्थान से अपने मताधिकार का प्रयोग (प्रॉक्सी वोटिंग) कर सकें। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद के जवाब के बाद सदन ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 का और संशोधन करने वाले इस विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी प्रदान की। इससे पहले विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कानून मंत्री प्रसाद ने कहा कि यह विधेयक एनआरआई (प्रवासी भारतीयों) को भारतीय लोकतंत्र में भूमिका निभाने का अवसर दे रहा है जो अपने देश को बहुत प्यार करते हैं।
चर्चा में कुछ सदस्यों द्वारा भारत में प्रवासी मजदूरों के सामने मतदान को लेकर आने वाली समस्याएं उठाये जाने पर मंत्री ने कहा कि चुनाव आयोग ने एक समिति बनाई है जो इस विषय में अध्ययन कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार उनके मताधिकार की चिंता कर रही है और उन्हें उचित अधिकार दिया जाएगा। प्रसाद ने कहा कि इस सुझाव पर वह विचार करेंगे कि मजदूरों को वहां वोट डालने का अधिकार हो जहां के वे मूल निवासी हों।
एनआरआई की तरह भारत में यहां से वहां जाकर काम करने वाले प्रवासी मजदूरों को भी प्रॉक्सी से मताधिकार देने के सवाल पर प्रसाद ने कहा कि एनआरआई और प्रवासी श्रमिकों की तुलना नहीं की जा सकती। प्रवासी श्रमिक भारत में ही रहते हैं। प्रवासी भारतीयों को इस तरह मताधिकार देने पर खरीद-फरोख्त की कुछ सदस्यों की चिंताओं को खारिज करते हुए प्रसाद ने कहा कि एनआरआई अपनी मेहतन, ईमानदारी और समर्पण से विदेश जाते हैं और अपना आधार बनाते हैं। उन पर इस तरह का संदेह नहीं किया जाना चाहिए।
विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि प्रवासी मतदाताओं के सामने आने वाली परेशानियों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने परोक्ष मतदान को आसान बनाने की व्यवहार्यता पर विचार किया जिसके माध्यम से ऐसे मतदाता विदेशों में अपने निवास स्थान से मतदाधिकार का प्रयोग कर सके।
इसके अनुरूप निर्वाचन के संचालन नियम 1961 में उद्धृत कुछ शर्तो के अधीन रहते हुए प्रवासी मतदाताओं को उनकी ओर से निर्वाचन में मतदान करने के लिये परोक्षी नियुक्त करने में समर्थ बनाने के लिये लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 60 में संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया है।
विदेशों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभाओं में ‘लोगों को लाने के लिए दूतावास के अधिकारियों पर दबाव’ होने के माकपा सदस्य मोहम्मद सलीम के आरोपों पर मंत्री ने कहा कि अगर एनआरआई प्रधानमंत्री को सुनते हैं तो इसमें दिक्कत क्या है।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर भविष्य में आप सरकार में आएंगे और प्रधानमंत्री को विदेशों में सुना जाएगा तो क्या हम आपत्ति जताएंगे। आप सरकार में आएंगे या नहीं, यह अलग विषय है।’’ ‘प्रॉक्सी’ शब्द पर कुछ सदस्यों की आपत्ति पर प्रसाद ने कहा कि यह कोई गंदा शब्द नहीं है और बकायदा कानून में परिभाषित है।
प्रॉक्सी के माध्यम से मताधिकार का दुरुपयोग होने और उसकी जगह ई-वोटिंग की संभावना के प्रश्न पर मंत्री ने कहा कि अगर कोई प्रवासी भारतीय अपनी पसंद से प्रॉक्सी का चयन करता है तो उसके चयन पर भरोसा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ई-वोटिंग में कई कठिनाइयां होती हैं और इससे सुरक्षा संबंधी सवाल जुड़े हैं। प्रसाद ने कहा कि सभी सदस्यों की चिंताओं को हमने सुना है और नियम बनाते समय सभी पर ध्यान दिया जाएगा।
इससे पहले चर्चा में भाग ले रहे अधिकतर सदस्यों ने एनआरआई को मताधिकार देने वाले इस विधेयक के उद्देश्य का समर्थन किया लेकिन इसके तरीके पर सवाल उठाया। अधिकतर सदस्यों ने सुझाव दिया कि प्रॉक्सी से मतदान कराने के बजाय तकनीक का इस्तेमाल करते हुए ई-वोटिंग कराई जानी चाहिए। माकपा के मोहम्मद सलीम ने सरकार से पूछा कि इतने महत्वपूर्ण विधेयक पर सर्वदलीय बैठक बुलाकर चर्चा क्यों नहीं की गयी। उन्होंने इसे संसद की स्थाई समिति को भेजे जाने की मांग की। इनेलो के दुष्यंत चौटाला ने भी विधेयक को स्थाई समिति को भेजने की मांग की।