11 दोषियों की समय से पहले रिहाई को चुनौती देने सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं बिलकिस बानो, CJI करेंगे जांच
By मनाली रस्तोगी | Published: November 30, 2022 01:27 PM2022-11-30T13:27:15+5:302022-11-30T13:29:31+5:30
बिलकिस बानो ने इस साल 15 अगस्त को रिहा हुए 11 दोषियों की सजा को चुनौती देते हुए बुधवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
नई दिल्ली: बिलकिस बानो ने सामूहिक बलात्कार और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या करने वाले 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। बिलकिस बानो ने सुप्रीम कोर्ट के मई के उस आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की जिसमें गुजरात सरकार को 1992 की छूट नीति लागू करने की अनुमति दी गई थी।
बिलकिस बानो के वकील ने लिस्टिंग के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के समक्ष मामले का उल्लेख किया। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि वह इस मुद्दे की जांच करेंगे कि क्या दोनों याचिकाओं को एक साथ सुना जा सकता है और क्या उन्हें एक ही बेंच के सामने सुना जा सकता है। बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या के लिए 2008 में 11 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। मगर 15 अगस्त को गुजरात सरकार ने अपनी छूट नीति का पालन करते हुए उन्हें रिहा कर दिया।
Bilkis Banos' lawyer mentioned the matter before Chief Justice of India DY Chandrachud for listing. CJI said he will examine the issue whether both pleas can be heard together and if they can be heard before the same bench.
— ANI (@ANI) November 30, 2022
ऐसे में इस फैसले से देश भर में आक्रोश फैल गया जबकि राज्य सरकार ने रिहाई का बचाव किया। यही नहीं, गुजरात सरकार पर लगातार विपक्ष भी निशाना साध रहा है। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस के भाषण के दौरान लाल किले की प्राचीर से महिला सशक्तिकरण के बारे में बोलने के 15 घंटे बाद बलात्कार और हत्या के 11 दोषियों को 15 अगस्त को रिहा किया गया था। 2002 के गुजरात सांप्रदायिक दंगों के दौरान बानो का बलात्कार किया गया था और उनकी बेटी सहित उनके परिवार के कई सदस्य मारे गए थे।