बिलकिस बानो केस: 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई मामले में सुप्रीम कोर्ट करेगा आज सुनवाई
By अंजली चौहान | Published: March 27, 2023 09:59 AM2023-03-27T09:59:16+5:302023-03-27T10:46:53+5:30
याचिका पर 22 मार्ट को मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूर्ण द्वारा तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था, जो दलीलों के बैच को सुनने के लिए नई बेंच गठित करने पर सहमत हुए थे।

फाइल फोटो
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट आज बिलकिस बानो गैंगरेप मामले में 11 दोषियों की सजा में राहत देने वाले फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करेगा। मामला 2002 के गुजरात दंगों के दौरान का है जब बिलकिस बानो के साथ रेप के बाद उनके परिवार के साल सदस्यों की निर्मम हत्या कर दी गई थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की पीठ याचिका पर सुनवाई करेगी। दरअसल, बिलकिस बानो केस में ये याचिका कई राजनीतिक और नागिरक अधिकार कार्यकर्ताओं द्वारा दायर की गई है।
Bilkis Bano case: SC to hear pleas against premature release of 11 convicts today
— ANI Digital (@ani_digital) March 27, 2023
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याचिका पर 22 मार्ट को मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूर्ण द्वारा तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था, जो दलीलों के बैच को सुनने के लिए नई बेंच गठित करने पर सहमत हुए थे।
गौरतलब है कि बिलकिस बानो केस में आरोपी सभी 11 दोषियों को गुजरात सरकार ने छूट दे दी थी, जिसके बाद पिछले साल 15 अगस्त को इन्हें रिहा कर दिया गया था। इस खबर न सिर्फ बिलकिस बानो के लिए बड़े झटके की थी, बल्कि समाज की अंतरात्मा को इसने झकझोर कर रख दिया था और देश भर में इस फैसले का विरोध हुआ। कई समाजसेवी लोगों ने इस फैसले का खूब विरोध किया और मामले में सुप्रीम कोर्ट से सुनवाई की अपील की।
4 जनवरी को जस्टिस अजय रस्तोगी और बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने बानो द्वारा दायर याचिका और अन्य याचिकाओं पर विचार किया। हालांकि, न्यायमूर्ति त्रिवेदी के बिना कोई कारण बताए मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था।
जानकारी के मुताबिक, पिछले साल 30 नवंबर को बानो ने गुजरात सरकार द्वारा 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था और कहा था कि इससे समाज की अंतरात्मा हिल गई है।
दोषियों की रिहाई को चुनौती देने वाली याचिका के अलावा, सामूहिक बलात्कार पीड़िता ने एक अलग याचिका भी दायर की थी जिसमें एक दोषी की याचिका पर शीर्ष अदालत के 13 मई, 2022 के आदेश की समीक्षा की मांग की गई थी।
समीक्षा याचिका को बाद में पिछले साल दिसंबर में खारिज कर दिया गया था। गुजरात सरकार ने इस मामले में सभी 11 दोषियों को छूट दी थी, जिन्हें पिछले साल 15 अगस्त को रिहा किया गया था।
अपनी लंबित रिट याचिका में, बानो ने कहा है कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित कानून की आवश्यकता को पूरी तरह से अनदेखा करते हुए एक "यांत्रिक आदेश" पारित किया है।
बता दें कि बिलकिस बानो जब 21 साल की थी और पांच महीने गर्भवती थी। उस समय गोधरा ट्रेन जलाने की घटना के बाद भड़के दंगों से भागते समय उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था। इसके अलावा उनके परिवार के सात सदस्यों को मौत के घाट उतारा गया, जिसमें उनकी तीन बेटियां भी शामिल थी।
11 दोषियों को 21 जनवरी, 2008 को मुंबई की एक विशेष सीबीआई अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। उनकी सजा को बाद में बॉम्बे हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा था।