बिहार कुछ दिनों में हो जायेगा बिल्कुल कोरोना मुक्त, सरकार के द्वारा पेश किये जा रहे आंकड़े यह लगे हैं दर्शाने!
By एस पी सिन्हा | Published: September 9, 2020 04:03 PM2020-09-09T16:03:31+5:302020-09-09T16:05:53+5:30
स्वास्थ्य विभाग की तरफ से आज जारी किए गए आंकड़े के मुताबिक राज्य में 1498 में संक्रमित मरीजों की पुष्टि हुई है. इसके साथ ही राज्य में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़कर 1, 52, 192 हो गई है.
पटना: देश में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा भले ही बढ़ रहा है, लेकिन बिहार में अब कोरोना अपने ढालान पर है. सरकार के द्वारा पेश किये जा रहे है आंकड़ों पर अगर विश्वास करें तो अगले कुछ दिनों में बिहार से कोरोना संक्रमण का सफाया हो जायेगा. इसतरह से कोरोना के मामले में सबसे सुरक्षित प्रदेश बिहार हो जायेगा. कारण कि अभी राज्य में जैसे-जैसे कोरोना की जांच तेज होती जा रही है, वैसे-वैसे अब मामलों में लगातार गिरावट देखी जा रही है. बिहार में संक्रमित मामले तेजी से कम होते जा रहे हैं. इसतरह से अब वह दिन दूर नही है, जब बिहार देश में पहला कोरोना मुक्त प्रदेश बन जायेगा.
स्वास्थ्य विभाग की तरफ से आज जारी किए गए आंकड़े के मुताबिक राज्य में 1498 में संक्रमित मरीजों की पुष्टि हुई है. इसके साथ ही राज्य में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़कर 1, 52, 192 हो गई है. इन सभी लोगों के सैंपल की जांच 8 सितंबर को की गई थी. अब राजद के सबसे दमदार अल्पसंख्यक नेता अब्दुलबारी सिद्दकी भी कोरोना से संक्रमित हो गए हैं. कोरोना के लक्षण पाए जाने के बाद अब्दुलबारी सिद्दीकी को पटना एम्स में भर्ती कराया गया है. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार जिन जिलों में संक्रमण के नए मामले सामने आए हैं, उसमें सबसे ज्यादा राजधानी पटना में 203 नए मामलों की पुष्टि हुई है. जबकि सहरसा में 111 नए मामले सामने आए हैं.
भागलपुर में जहां 61 नए मरीजों की पुष्टि हुई है, वहीं अररिया में 58 नए लोगों की पुष्टि हुई है, जबकि दरभंगा में 50, मधेपुरा में 47, मुजफ्फरपुर में 68, नालंदा में 61 नए मामले सामने आए है. उसीतरह अरवल में 16, औरंगाबाद में 33, बांका में 18, मधुबनी में 24, पूर्वी चंपारण में 43, सहरसा में 111 कोरोना के मरीज मिले हैं. जबकि सारण में 41 कोरोना के मरीज मिले हैं. बेगूसराय में 32 ,बक्सर में 24, भोजपुर में 27 कोरोना के मरीज मिले हैं. कटिहार में 27, नवादा में 15, रोहतास में 36 कोरोना के मरीज मिले है.
इसबीच, बिहार में लगातार चौथी बार स्वास्थ्य विभाग ने पटना हाईकोर्ट में जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं किया. इसपर पटना हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए गंभीर टिप्पणी की है. मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कोरोल तथा न्यायमूर्ति एस कुमार की खंडपीठ ने कोरोना को लेकर दायर आधे दर्जन मामले पर सुनवाई की. कोर्ट ने सरकार के रवैये पर खेद जताया और कहा कि कोरोना मरीजों की स्थिति कितनी भयावह है, इससे निजी तौर पर वे वाकिफ हैं. उन्होंने यह भी कहा कि कोर्ट के एक स्टाफ को कोरोना हुआ और उसके इलाज में लापरवाही से यह बात समझ में आ गई कि बिहार में कोरोना के इलाज की स्थिति ठीक नहीं है.
अधिवक्ता दीनू कुमार और रीतिका रानी ने कोर्ट को बताया कि सरकार आरटीपीसीआर जांच के बारे में बताना नहीं चाहती है. उनका कहना था कि सरकार प्रतिदिन साढे 11 हजार जांच का दावा कर रही है, जबकि सच्चाई कुछ और है. प्रतिदिन चार हजार से भी कम जांच हो रही है. उनका कहना था कि सरकार के पास आरटीपीसीआर जांच के लिए 9 लैब हैं और यह जांच कुछ गिने-चुने लोगों तक सीमित है. कोरोना वार्ड में सीसीटीवी कैमरा तक नहीं लग सका है. कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि जवाबी हलफनामा के साथ पूछे गए नव बिंदुओं पर जवाब दो सप्ताह के भीतर दाखिल करें.