बिहार में कोरोना लहर, 16 की मौत, इलाज के अभाव में अस्पताल के बाहर मरीज तोड़ रहे हैं दम

By एस पी सिन्हा | Published: April 13, 2021 06:16 PM2021-04-13T18:16:03+5:302021-04-13T18:17:00+5:30

महाराष्ट्र से बिहार आ रही ट्रेनों में लगातार कोरोना संक्रमित मिल रहे हैं. मंगलवार को पटना आई छह ट्रेनों के 51 यात्री कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं.

Bihar wave corona 16 killed patients breaking out of hospital due lack treatment patna cm nitish kumar | बिहार में कोरोना लहर, 16 की मौत, इलाज के अभाव में अस्पताल के बाहर मरीज तोड़ रहे हैं दम

कॉलेज अस्पतालों में कोरोना बेड की संख्या बढ़ाने के निर्देश दिए हैं.

Highlightsमहाराष्ट्र से आई ट्रेनों से मिले सभी कोरोना पॉजिटिव यात्री युवा हैं.राज्य में कोरोना संक्रमण पुरुषों की तुलना में महिलाओं में काफी कम है.अब 14 अप्रैल से जनसुविधा वाली कुछ चीजें बंद करने का फैसला लिया गया है.

पटनाः बिहार में कोरोना की दूसरी लहर खतरनाक है. आंकडे़ हर रोज पिछले दिन का रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं. इसलिए संकट पहले से ज्यादा गहरा गया है.

आंकडे़ दिन दूनी और रात चौगुनी वाली रफ्तार से बढ़ रहे हैं. अन्य राज्यों की तुलना में बिहार वह प्रदेश बन गया है, जहां पॉजिटिव केस की दर सबसे ज्यादा मिलने लगे हैं. राज्य में जिस तरह से कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं, वैसे में आशंका भी है कि कहीं सरकार को मजबूरी में 12 घंटे का नाइट कर्फ्यू न लगाना पडे़. बीते 24 घटे के अंदर 16 कोरोना संक्रमितों की मौत भी हो गई है. 

राज्‍य के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार ने रोजाना एक लाख कोरोना जांच का लक्ष्‍य दिया है, लेकिन स्‍वास्‍थ्‍य विभाग अभी तक यहां तक नहीं पहुंच सका है. इसबीच महाराष्ट्र से बिहार आ रही ट्रेनों में लगातार कोरोना संक्रमित मिल रहे हैं. मंगलवार को पटना आई छह ट्रेनों के 51 यात्री कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं. महाराष्ट्र से आई ट्रेनों से मिले सभी कोरोना पॉजिटिव यात्री युवा हैं.

राज्य में कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) के अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की गई है. पटना एम्स, पीएमसीएच व एनएमसीएच में ये अधिकारी तैनात रहेंगे और वहां की व्यवस्था देखेंगे. एक ओर जहां मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है, तो वही कोरोना संक्रमण मरीजों की मौत का आंकडा भी बढ़ने लगा है.

पटना स्थित एनएमसीएच में लगातार मरीजों की मौत से जहां अस्पताल परिसर में हड़कंप मच हुआ है, वहीं सूबे के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय एनएमसीएच अस्पताल पहुंचे, जहां कोरोना मरीजों से मिलने के बाद अस्पताल का निरीक्षण किया. वहीं, कोरोना के कारण बिहार में कई बंदिशें राज्य सरकार ने लगाई है. राज्य में कोरोना संक्रमण पुरुषों की तुलना में महिलाओं में काफी कम है.

ऐसी महिलाएं कम चपेट में हैं, जो घर में हैं. पुरुषों की तरह ही कामकाजी महिलाओं में संक्रमण की रफ्तार तेज है. 25 से 49 वर्ष आयु की महिला और पुरुष में इस बार संक्रमण अधिक हो रहा है. जिला प्रशासन की ओर से पटना जिले के लगभग छह हजार संक्रमित मरीजों के अध्ययन से पता चला है कि पुरुषों की तुलना में महिलाएं कम संक्रमित हो रही हैं. इसकी मुख्य वजह महिलाओं की गतिविधियां कम होना है.

पटना जिले में 3866 पुरुष तथा 1932 महिला संक्रमित हैं. पिछले साल भी पुरुषों की तुलना में महिलाएं कम बीमार थीं, लेकिन इस बार बदला हुआ स्वरूप दिख रहा है. 2020 में 50 से अधिक आयु वर्ग के महिला और पुरुष 75 फीसदी बीमार थे, जबकि इस बार यह बीमारी 25 से 49 आयु वर्ग के लोगों में अधिक है.

अब तक पटना जिले में संक्रमित हुए लोगों में 50 फीसदी से अधिक इस आयु वर्ग के महिला और पुरुष हैं. इस आयु वर्ग का अधिक संक्रमण होने का मुख्य कारण बाजार में इनकी अधिक गतिविधियां होना बताया जा रहा है. अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार 24 साल तक के 29 फीसदी लोग बीमार हुए हैं, जबकि 25 से 49 आयु वर्ग के 50 फीसदी. इसी प्रकार 50 से 74 आयु वर्ग के 28 प्रतिशत और 75 से 99 आयु वर्ग के 2.3 प्रतिशत लोगों में संक्रमण हुआ है. राज्य में कोरोना के बढ़ते कहर के बीच अब 14 अप्रैल से जनसुविधा वाली कुछ चीजें बंद करने का फैसला लिया गया है.

इसमें से एक है बिहार के बडे अस्पतालों में शुमार पटना स्थिति इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान यानि आईजीआईएमएस. यहां 14 अप्रैल से ओपीडी में काउंटर से पर्चा नहीं कटेगा. ओपीडी में अब 14 अप्रैल से मरीजों का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के माध्यम से इलाज होगा. इसके लिए संशोधित अधिसूचना जारी कर दी गई है. अगर कोरोना के हालात ऐसे ही रहे तो आने वाले दिनों में अन्य शहरों की बसे सेवा पर भी रोक लग सकती है. वहीं, बिहार विधान परिषद की ओर से मिली आधिकारिक जानकारी के मुताबिक परिषद में काम करने वाले दो सहायकों की मौत हो गई है.

सहायक अरुण राम की मौत के बाद एक और सहायक की मौत हो गई है, जिनका नाम विजेंद्र बताया जा रहा है. विधान परिषद में कोरोना टेस्ट जारी है. बताया जा रहा है कि मंगलवार को 150 लोगों की टेस्टिंग कराई गई है, जिसमें से लगभग 15 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं. इस आंकडे़ के मुताबिक परिषद् में काम करने वाले हर दसवां कर्मी कोरोना की चपेट में आ गया है.

क्योंकि संक्रमण का दर 10 फीसदी माना जा रहा है. उधर, स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री मंगल पांडय ने आज पटना के नालंदा मेडिकल कॉलेज एवं अस्‍पताल का निरीक्षण कर वहां के हालात का जायजा लिया. स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने कोरोनावायरस के इलाज की व्‍यवस्‍था देखी तथा अधिकारियों को निर्देश दिए. इस दौरान उन्होंने कहा कि राज्य में कोविड संक्रमितों के लिए सरकारी अस्पतालों में पर्याप्त व्यवस्था है. अस्पतालों में और भी सुविधाएं बढाई जा रही हैं. लोगों को घबराने की जरूरत नहीं. उन्‍होंने पटना एम्स, पीएमसीएच और एनएमसीएच समेत अन्य मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में कोरोना बेड की संख्या बढ़ाने के निर्देश दिए हैं.

मंत्री ने सोमवार को सभी जिलों के सिविल सर्जन, मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक और प्राचार्य से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए समीक्षा की थी. बैठक के बाद मंत्री ने बताया कि पटना एम्स में दो दिनों के अंदर और 60 बेड बढ़ाए जाएंगे.

इसके साथ ही पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल, नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल, जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल के साथ ही दूसरे मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में भी बेड संख्या बढाने को कहा गया है. सिविल सर्जनों को निर्देश दिए गए हैं कि अस्पतालों में कोविड संक्रमितों के इलाज के लिए सभी आवश्यक दवाएं और गंभीर मरीजों के लिए ऑक्सीजन की पर्याप्त व्यवस्था रखें.

होम आइसोलेशन में रहने वालों की मॉनिटरिंग के लिए जिलों में कंट्रोल रूम बनाए गए हैं. सबसे दुखद बात तो यह है आज जिस वक्त स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय एनएमसीच का निरीक्षण कर रहे थे. उसी दौरान एनएमसीएच अस्पताल की घोर लापरवाही से एक कोरोना मरीज की तड़प- तड़प कर मौत हो गई.

मृतक के पुत्र अभिमन्यु कुमार ने रो रो कर बताया कि वह लखीसराय से कल रात को अपने पिता को लेकर पटना के एम्स अस्पताल गया, जहां बेड फूल होने कारण मरीज को भर्ती नही किया गया. जिसके बाद वह एनएमसीएच लेकर पहुंचा, जहां अस्पताल की बडी लापरवाही के सामने आई और कोरोना मरीज की तड़प-तड़प कर मौत हो गई.

बताया जाता है कि कोरोना मरीज अस्पताल के बाहर एम्बुलेंस में करीब डेढ़ घंटे से कड़ी धूप में पड़ा हुआ था. मरीज का बेटा डॉक्टरों से अस्पताल में भर्ती करने के लिए गुहार लगा रहा था. जहां कोई भी डॉक्टर कोरोना मरीज को भर्ती नही किया, जिसके कारण कोरोना मरीज की मौत अस्पताल के बाहर हो गई.

वही इस मामले में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय से जब पूछा गया तो उनका कहना था कि हर बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने का प्रयास किया जा रहा है और बिगत कुछ दिनों से अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ी है, अगर इसमे किसी की मौत होती है तो दुःखद है.

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