बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय झा ने केंद्र और नेपाल सरकार पर किया हमला, कहा- गंगा में गाद का मुद्दा गंभीर, करोड़ों का नुकसान
By एस पी सिन्हा | Published: July 14, 2021 07:36 PM2021-07-14T19:36:10+5:302021-07-14T19:37:25+5:30
एक माह के दौरान तीन बार बाढ़ की त्रासदी झेल चुके गंडक नदी के तटवर्ती इलाकों में रहने वाली हजारों की आबादी अब आर्थिक रूप से टूट चुके हैं.
पटनाः बिहार में बाढ़ की त्रासदी झेल रही जनता के सामने अब और मुश्किल आता दिख रहा है. कारण कि नेपाल के तराई क्षेत्रों में तीन दिनों के लिए भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया है.
इससे उत्तर बिहार एक बार फिर बाढ़ की स्थिति भयावह होने की आशंका जताई जाने लगी है. गंडक नदी के तटवर्ती इलाकों में रहने वाले लोग संभावित बाढ़ की आशंका से सहमे नजर आ रहे हैं. एक माह के दौरान तीन बार बाढ़ की त्रासदी झेल चुके गंडक नदी के तटवर्ती इलाकों में रहने वाली हजारों की आबादी अब आर्थिक रूप से टूट चुके हैं.
वहीं, बाढ़ की त्रासदी के लिए राज्य के जल-संसाधन मंत्री संजय झा ने न केवल पड़ोसी देश नेपाल बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की केंद्र सरकार को भी जिम्मेदारी बता दिया है. उन्होंने गंगा में गाद का मुद्दा फिर उठाया है. मंत्री ने कहा कि फरक्का बराज बनने के बाद से गंगा नदी की तलहटी में गाद भरने की समस्या लगातार गंभीर होती जा रही है. इससे नदी की अविरलता पर प्रभाव पडा है.
बिहार सालों से फरक्का बराज की जल निकासी क्षमता और गंगा जल में अंतरराज्यीय तथा अंतरराष्ट्रीय हिस्सेदारी पर पुनर्विचार की मांग करता रहा है. संजय झा ने कहा कि बिहार में आने वाली बाढ़ के स्थायी समाधान के लिए नेपाल में प्रमुख नदियों पर हाई डैम बनाने को लेकर भारत और नेपाल सरकार के बीच दशकों से जारी वार्ता का आज तक कोई परिणाम नहीं निकल सका है.
हर साल की तरह इस साल भी मानसून में बिहार की एक बडी आबादी बाढ का कहर झेल रही है. उन्होंने कहा है कि फरक्का बराज बनने से गंगा नदी में भर रही गाद से नदी की धारा पर प्रभाव पडा है. इसी कारण बिहार में बाढ़ की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है. उन्होंने कहा है कि नेपाल से पानी लेकर आने वाली गंडक, बागमती, कमला, कोसी, महानंदा सहित कई अन्य नदियां बिहार में गंगा नदी में ही मिलती हैं. वे अपने साथ अत्यधिक गाद भी लाती हैं. मंत्री संजय झा ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गंगा में गाद भरने के कारण बढ़ती समस्या पर कई बार चिंता जता चुके हैं.
यहां बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साल 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष गंगा में गाद भरने से बिहार में बाढ़ से विनाश का मामला फिर से उठाया था. प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री से कहा था कि गंगा की अविरलता को बचाकर ही इसकी निर्मलता को बनाए रखना संभव है. तब प्रधानमंत्री ने गंगा की दशा का आकलन करने के लिए विशेषज्ञों की टीम बिहार भेजने के मुख्यमंत्री के अनुरोध को स्वीकार किया था. इसके बाद केंद्र से एक टीम ने आकर हालात का जायजा लिया था.
उल्लेखनीय है कि उत्तर बिहार में नदियों के जलस्तर में हर उतार-चढाव जारी है. निचले इलाके के 43 गांव बाढ़ की त्रासदी को लगातार झेलने को मजबूर है. गांव में नीचे पानी तीन से चार फुट की धारा बह रही है, सुबह से शाम तक सूर्य भी आग उगलने लगे थे. बाढ़ से लोगों की मुश्किलें काफी बढी हुई थी. नीचे पानी और ऊपर धूप ने पीड़ितों की मुश्किलों को बढ़ा दिया है.
गांव छोडकर बांध, ऊंचे स्थल पर शरण लेने वालों को दो मीटर पॉलीथिन के नीचे रहने के कारण काफी बेचैनी देखी गई. पीडित इलाकों में लोग सर्दी, खांसी, बुखार, सरदर्द, बदन दर्द के चपेट में आ रहे हैं. गांवों में तबाही कम होने का नाम नहीं ले रही है.
हालांकि सर्पदंश की घटनाओं में किसी भी पीडित मरीज की मौत होने की सूचना नहीं है. लेकिन बाढ़ के पानी में बहकर आए पहाड़ी व जहरीले सांपों का भय ग्रामीणों को अभी भी सता रहा है. विषैले सांपों के डर से लोग तटबंध पर मचान बनाकर सो रहे हैं. कई परिवार रात जगा भी करने को विवश हैं.