बिहार विधानसभा शताब्दी समारोहः राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद बोले-लोकतंत्र का उत्‍सव, छठ महापर्व अब ग्‍लोबल हो गया, जानें बड़ी बातें

By एस पी सिन्हा | Published: October 21, 2021 04:18 PM2021-10-21T16:18:22+5:302021-10-21T16:19:52+5:30

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद बिहार विधानसभा भवन के शताब्दी समारोह में शामिल हुए. कोविंद ने इस मौके पर राज्य के साथ अपने जुड़ाव और सर्वोच्च संवैधानिक पद के लिए चुने जाने से पहले बिहार में उनके लगभग दो साल लंबे राज्यपाल के कार्यकाल को भी याद किया.

Bihar Vidhan Sabha Centenary Celebrations 100 years President Ramnath Kovind festival democracy Chhath Mahaparva  | बिहार विधानसभा शताब्दी समारोहः राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद बोले-लोकतंत्र का उत्‍सव, छठ महापर्व अब ग्‍लोबल हो गया, जानें बड़ी बातें

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि यह बिहार के लिए गर्व की बात है कि इस प्रदेश के पूर्व राज्यपालों में से एक अब राष्ट्रपति हैं.

Highlightsसच्चिदानंद सिन्हा को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की जिन्होंने बिहार, जो कि पूर्व में कलकत्ता प्रेसीडेंसी का एक हिस्सा था.इस अवसर पर राष्ट्रपति ने शताब्दी स्मृति स्तंभ का शिलान्यास किया. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद प्रदेश के पहले राज्यपाल हैं जो कि सीधे राष्ट्रपति बने.

पटनाः बिहार विधानसभा के शताब्दी समारोह कार्यक्रम का आज शुभारंभ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के द्वारा किया गया. इस दौरान उन्होंने स्मृति स्तंभ का शिलान्यास और दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की.

इस मौके पर राष्ट्रपति ने बिहार के गौरवशाली इतिहास की चर्चा करते हुए अपने आप को भावनात्मक रूप से बिहार के साथ जुडा हुआ बताया. उन्होंने कहा कि बिहार हमेशा इतिहास रचता है. आज फिर एक इतिहास रचा गया है. 100 वर्ष के विधानसभा का आज हम उत्‍सव मना रहे हैं. राष्ट्रपति ने बिहार को लोकतंत्र की धरती बताते हुए कहा कि बिहार का छठ महापर्व अब ग्‍लोबल हो गया है.

साथ ही आज देश ने भी एक इतिहास रचा, एक सौ करोड़ वैक्‍सि‍नेशन का. यह अहम दिन है. रत्‍नगर्भा धरती और यहां के स्‍नेही लोगों के चलते बिहार आने पर सुखद अनुभूति होती है. उन्होंने कहा कि राज्‍यपाल रहने के दौरान काफी स्‍नेह और सम्‍मान मिला. राष्‍ट्रपति के रूप में भी बिहार आने पर उसी तरह के प्रेम और सम्‍मान का अहसास होता है.

देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद बिहार के थे और अगर मैं राजेंद्र बाबू की विरासत को आगे बढ़ा रहा हूं, तो इससे ज्यादा गर्व की बात मेरे लिए कुछ और नहीं हो सकती. मुझे बिहारी कहे जाने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश जी के प्रति आभार प्रकट करता हूं. शताब्‍दी वर्ष का यह समारोह लोकतंत्र का उत्‍सव है. शताब्‍दी स्‍तंभ का शिलान्‍यास कर प्रसन्‍नता हुई.

राष्‍ट्रपति ने कहा कि बिहार लोकतंत्र की धरती है. यहां वैशाली में लोकतंत्र फला-फूला. इस धरती पर नालंदा, विक्रमशिला जैसे शिक्षण संस्‍थान थे तो यहां आर्यभट्ट व चाणक्‍य हुए. इस परंपरा को आगे बढ़ाने की जिम्‍मेदारी अब बिहार के लोगों की है. उन्होंने बिहार के इतिहास के साथ-साथ बिहार के महापुरुषों को भी खूब याद किया.

ष्ट्रपति ने डा. राजेंद्र प्रसाद से लेकर अनुग्रह नारायण सिंह, श्री कृष्ण सिंह, सच्चिदानंद सिन्हा समेत अन्य विभूतियों और देश के लिए उनके योगदान की खूब चर्चा की. उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि बिहार सामाजिक तौर पर काफी समानता वाला है. राज्य के अंदर समतामूलक समाज के निर्माण के लिए हमेशा प्रयास होते रहे हैं.

उन्होंने कहा कि बिहार आता हूं तो अच्‍छा लगता है. बिहार से अलग नाता लगता है. यहां आने पर लगता है कि घर आया हूं. राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे सचिवालय के लोग कहते हैं कि बिहार से आमंत्रण आये तो आप टालमटोल नहीं करते हैं. उन्होंने कहा कि मेरा बिहार से राज्यपाल से ही नाता नहीं है बल्कि और कुछ है, जिसे मैं ढूंढता रहता हूं. विपश्यना पद्धति को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आगे बढाया है, इसके लिए खासतौर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आभारे. उन्होंने कहा कि हम आशा करते हैं कि आजादी के 100 साल यानी 2047 तक बिहार मानव विकास में उच्च स्थान पर पहुंचेगा.

राष्‍ट्रपति ने कहा कि जब मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार बिहारी राष्‍ट्रपति के रूप में संबोधित कर रहे थे तो हृदय से गदगद महसूस कर रहा था. वह इसलिए कि देश के प्रथम राष्‍ट्रपति डा राजेंद्र प्रसाद, डा. जाकिर हुसैन की विरासत को आगे बढ़ाने का दायित्‍व मिला. मुख्‍यमंत्री इसका उल्‍लेख भी करते हैं. भगवान बुद्ध की विपस्‍सना पद्धति में थोड़ा बहुत योगदान मेरा भी रहा.

बिहार की धरती विश्‍व के प्रथम लोकतंत्र की जननी रही है. भगवान बुद्ध ने आरंभकि गणराज्‍यों को प्रज्ञा और करुणा की शिक्षा दी थी. भगवान बुद्ध, महावीर और गोविंद सिंह की धरती की मुझ पर विशेष कृपा है. यह प्रतिभावान लोगों की धरती है. यह नालंदा, आर्यभट्ट, कौटिल्‍य की धरती है. आप सब उस समृद्ध विरासत के उत्‍तराधकिारी हैं. उसे आगे बढाने की जिम्‍मेदारी आप पर है.

राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि चंद्रगुप्‍त मौर्य को शासक बनाने से लेकर 70 में जननायक कर्पूरी ठाकुर को मुख्यमंत्री बनाने तक इस धरती ने समतामूलक परंपरा स्‍थापित की है. लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने लोकतंत्र की रक्षा के लिए कदम उठाए. सुशासन तथा न्‍याय के साथ विकास को आगे बढाया गया. स्‍वाधीनता के बाद लंबे समय तक नीतीश कुमार जी ने मुख्‍यमंत्री के रूप में अहम भूमिका निभाई.

उन्होंने कहा कि शराबबंदी पर बिहार विधानसभा ने कानून का दर्जा देकर अभूतपूर्व काम किया. गांधी जी के सपने को पूरा करने के लिए अहम भूमिका निभाई. राष्ट्रपति ने विधायकों से कहा कि लोगों की आशाएं और आकांक्षाएं आप पर टिकी हैं. आप सभी अपने आचरण और कार्यशैली से जनता की उम्‍मीदों पर खरा उतरें. सुशिक्षित, संस्‍कारी और सुविकसित राज्‍य के लिए आप प्रयास करें. उन्होंने विधान सभा के सदस्यों और विधान परिषद के सदस्यों से अपील की कि वह बिहार के गौरव को बनाए रखने के लिए अपने आचरण से लगातार बेहतर योगदान करें.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बिहार के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के योगदान को भी खूब सराहा. उन्होंने कहा कि एक राज्यपाल के तौर पर मुझे उनका भरपूर सहयोग मिला. इतना ही नहीं राष्ट्रपति के तौर पर भी उनका पूरा सहयोग मुझे अब तक मिल रहा है. बिहार में सबसे लंबे अरसे तक के मुख्यमंत्री के तौर पर काम कर नीतीश कुमार ने एक कीर्तिमान स्थापित किया है. देश में लगातार विकास के पैरामीटर पर बिहार का जीडीपी ग्रोथ यह बता रहा है कि राज्य में किस स्तर पर विकास कार्य किए जा रहे हैं. राष्ट्रपति ने छठी मैया को नमन करते हुए कहा कि बिहार की सांस्कृतिक विरासत भी काफी धनी रही है.

इसके पहले राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने विधानसभा परिसर में शताब्दी स्मृति स्तंभ का शिलान्यास किया. 25 फीट ऊंचे इस स्तंभ की स्थापना मुख्य भवन के सौ वर्ष पूरे होने की याद में की जा रही है. इसके बाद राष्ट्रपति ने बोधिवृक्ष का पौधा भी लगाया. इस मौके पर राज्यपाल फागू चौहान, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा, उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद, और उप मुख्यमंत्री रेणु देवी भी मौजदू रहीं. समारोह में विधानसभा अध्‍यक्ष विजय कुमार सिन्हा और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राष्‍ट्रपति का स्‍वागत किया. 

इस मौके पर अपने संबोधन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार विधानसभा के गौरवशाली इतिहास का उल्‍लेख करते हुए हुए कहा कि लोकतंत्र की जडों को मजबूत बनाने में इसका महत्‍वपूर्ण योगदान है. उन्‍होंने राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद का स्‍वागत करते हुए कहा कि वह करीब दो वर्ष तक बिहार के राज्‍यपाल रहे. यहीं से इन्हें राष्ट्रपति बनने का मौका मिला. हम तो कहते हैं कि ये बिहारी राष्ट्रपति हैं.

ये तो सीधे बिहार के राज्यपाल से राष्ट्रपति बने. हमलोगों को बेहद खुशी होती है. राष्ट्रपति कोविंद अब तक चार बार बिहार आ चुके हैं. उन्‍होंने कहा कि देश के राष्‍ट्रपति के रूप में श्री कोविंद को देखकर हर बिहारवासी को गर्व की अनुभूति होती है. राष्ट्रपति की मौजूदगी में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आज बिहार विधानसभा भवन के 100 साल पूरा होने के उपलक्ष्य में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. इस अवसर पर राष्ट्रपति ने समय दिया इसके लिए उन्हें हृदय से धन्यवाद देता हूं.

मुख्यमंत्री ने कहा कि मैंने पटना में विपश्यना केंद्र बनवाया है. महामहिम राष्ट्रपति कल वहां जायेंगे. यह जानकर काफी खुशी हुई है. अब बिहार के सभी सरकारी अधिकारी-कर्मी भी विपश्यना केंद्र जायें. इस केंद्र पर जाने वाले सरकारी कर्मियों को सरकार 15 दिनों की छुट्टी देगी. मुख्यमंत्री ने विधानसभा अध्यक्ष से कहा कि हम तो चाहेंगे प्रधानमंत्री को भी बुलाया जाए और उनका कार्यक्रम हो. विधानसभा अध्यक्ष इस काम में लगे हुए हैं.

Web Title: Bihar Vidhan Sabha Centenary Celebrations 100 years President Ramnath Kovind festival democracy Chhath Mahaparva 

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