Bihar Vidhan Sabha 2025: जन सुराज पार्टी के स्थापना के दौरान प्रशांत किशोर के द्वारा शराबबंदी कानून खत्म करने का ऐलान किए जाने से आधी आबादी के बीच नाराजगी देखी जाने लगी है। महिलाएं शराबबंदी कानून खत्म होने के प्रशांत किशोर के ऐलान से क्षुब्ध हैं। दरअसल, प्रशांत किशोर का मकसद जदयू से नाराज एक बड़े वर्ग को अपने पाले में लाने की है, इसमें युवा वर्ग ज्यादा बताए जा रहे हैं। लेकिन शराबबंदी कानून खत्म करने के प्रशांत किशोर के निर्णय के कारण आधी आबादी मतदाताओं के मतों से वंचित रहना पड़ सकता है।
उल्लेखनीय है कि गांधी जयंती के दिन प्रशांत किशोर के द्वारा शराबबंदी कानून खत्म करने का ऐलान करने का व्यापक तरीके से विरोध हो रहा है। जदयू, राजद, कांग्रेस, भाजपा सहित सभी दल प्रशांत किशोर के इस कदम को गलत ठहरा रहे हैं। हालांकि आधी आबादी को अपने पाले में करने के लिए प्रशांत किशोर ने महिलाओं को 40 विधानसभा क्षेत्रों में टिकट देने का ऐलान किया है।
लेकिन शराबबंदी के बाद से आधी आबादी घरेलू हिंसाओं से मुक्त रहकर ज्यादा खुश दिखती है। द लैंसेट रीजनल हेल्थ साउथ ईस्ट एशिया जर्नल की रिपोर्ट बताती है कि शराबबंदी कानून के बाद बिहार में महिलाओं के खिलाफ शारीरिक हिंसा में 4.6 प्रतिशत और यौन हिंसा में 3.6 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। महिलाओं के खिलाफ हिंसा में व्यापक पैमाने पर कमी दर्ज की गई है।
जानकारों का कहना है कि महिलाओं को शराबबंदी कानून से सबसे ज्यादा फायदा हुआ है या हो रहा है। ऐसे में महिलाएं क्या शराबबंदी कानून के खत्म होने का स्वागत करेंगी? जानकारों का मानना है कि महिलाएं एक बार फिर से घरेलू हिंसा का शिकार नहीं होना चाहेंगी, ऐसे में वह कभी भी प्रशांत किशोर का समर्थन शायद ही करें।
शराबबंदी कानून खत्म होने के बाद जाहिर सी बात है कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा में बढ़ोतरी होगी। ऐसे में महिलाओं के लिए 40 विधानसभा से ज्यादा उनकी अस्मिता और उनके खिलाफ हिंसा में कमी लाना महत्वपूर्ण माना जा रहा है। बता दें कि 1 अप्रैल, 2016 से बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद 2022 तक 5 लाख से ज्यादा केस दर्ज किए गए हैं।
मद्य निषेध विभाग के अधिकारियों के द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार प्रतिदिन औसतन 800 लोगों को शराबबंदी कानून में पकड़ा जाता है। 2022 के आंकड़ों के अनुसार, बीते डेढ़ साल में 1400 लोगों को एक से ज्यादा बाद शराब पीने के आरोप में पकड़ा गया है।
2016 से 2022 तक शराबबंदी कानून के तहत बिहार पुलिस ने करीब 4 लाख तो आबकारी विभाग ने डेढ़ लाख केस दर्ज किए गए हैं और साढ़े 6 लाख लोग पकड़े गए हैं। इस अवधि में अवैध शराब के धंधे में लिप्त एक लाख गाड़ियां भी जब्त की गई हैं।