बिहारः महादलित के अंतिम संस्कार के लिए नहीं मिली दो गज जमीन, पत्नी ने घर में ही दफनाया

By एस पी सिन्हा | Published: September 14, 2018 08:57 PM2018-09-14T20:57:13+5:302018-09-14T20:57:13+5:30

भूमिहीन मजदूर की पत्नी को दफन के लिए पडोसियों ने दो गज जमीन देने से इनकार कर दिया। गांव में कोई सार्वजनिक श्मशान नहीं है।

Bihar: Two yards of land not found for the last rites of Mahadalit, buried in the house | बिहारः महादलित के अंतिम संस्कार के लिए नहीं मिली दो गज जमीन, पत्नी ने घर में ही दफनाया

बिहारः महादलित के अंतिम संस्कार के लिए नहीं मिली दो गज जमीन, पत्नी ने घर में ही दफनाया

पटना, 14 सितंबरः बिहार के मधेपुरा जिले में मानवता को शर्मशार करने वाली एक हृदय विदारक घटना सामने आई है। मधेपुरा में एक महादलित परिवार को मृतक को दफनाने के लिए दो गज जमीन तक नहीं मिली और गांव के दबंग जमींदारों की दबंगई की वजह से महादलित परिवार को अपने ही छोटे से घर में मृतक को दफनाने पर मजबूर किया गया क्योंकि भूमिहीन मजदूर की पत्नी को दफन के लिए पडोसियों ने दो गज जमीन देने से इनकार कर दिया। गांव में कोई सार्वजनिक श्मशान नहीं है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले के कुमारखंड प्रखंड के केवटगामा गांव के 40 वर्षीय हरिनारायण ऋषिदेव एक भूमिहीन दिहाडी मजदूर है। उसने बताया कि उनकी 35 वर्षीय सहोगिया देवी डायरिया से पीडित हो गई और अगले दिन उनकी मौत हो गई। ऋषिदेव ने बताया कि मौत के बाद गांव के बाहर नहर किनारे शव को सरकारी जमीन पर दफनाने जा रहे थे, मगर गांव के ही कुछ तथाकथित दबंगों ने अपने जमीन के आगे सरकारी जमीन पर शव को दफनाने नहीं दिया। लाख कोशिशों के बाद जब वे लोग नहीं माने तो मजबूरन अपने ही छोटे से घर में शव को दफनाना पडा। इतना ही नहीं, उनका कहना है कि गांव में जब कभी भी किसी महादलित परिवार के लोग सरकारी जमींन पर शव को जलाने व दफनाने की कोशिश करते हैं तो ये लोग उन्हें ऐसा नहीं करने देते हैं। साथ ही वे महादलितों के साथ मारपीट और गाली गलौज भी करते हैं। 

ऋषिदेव ने बताया कि यहां भूमिहीन लोगों को गरिमा से जीने का हक भी नहीं है और मरने के बाद भी उन्हें दो गज जमीन नसीब नहीं हो पाती है। उन्होंने हर पंचायत में एक सामुदायिक श्मशान बनाने की मांग करते हुए कहा कि ‘मैं नहीं चाहता कि मेरे जैसे अन्य भूमिहीन भाइयों को ऐसी परिस्थिति का सामना करना पडे। गांव के पूर्व मुखिया बेचन ऋषिदेव ने हरिनारायण की शिकायत से सहमति जताई। उन्होंने कहा है कि ‘दलित, भूमिहीन अनुसूचित जाति के लोगों को मरने के बाद भी शांति मिलना मुश्किल है। हरिनारायण की व्यथा सरकार तक पहुंचनी चाहिए और तत्काल सरकार को इस दिशा में कदम उठाना चाहिए अन्यथा हम आंदोलन को मजबूर हो जाएंगे। इसी गांव की कारो देवी ने कहा कि हरिनारायण ने पत्नी को घर में दफना कर एक तरह से लाखों अनुसूचित जाति समुदाय के लोगों के दुख और मौलिक अधिकारों के हनन को उजागर कर दिया है। 

हालांकि, पीडित परिजनों ने स्थानीय जिला प्रशासन से की गांव में अश्मसान घाट बनाने की मांग की है। वहीं, इस मामले को लेकर जिले के एसडीएम वृंदा लाल ने बताया कि 'इस तरह के मामले मेरे संज्ञान में आया हैं। मैं खुद घटना स्थल पर जाकर जांच करूंगा कि आखिर मामला है क्या? और अगर गांव में श्मशान घाट नहीं है तो फिर सरकार जमीन चिन्हित कर गांव में श्मशान घाट का निर्माण कराया जाएगा और अभी फिलहाल इस मामले की उच्चस्तरीय जांच कर उचित कार्रवाई की जाएगी।

Web Title: Bihar: Two yards of land not found for the last rites of Mahadalit, buried in the house

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