बिहारः विधायकों के साथ मारपीट मामले में विधानसभा अध्यक्ष ने दो पुलिसकर्मियों को किया निलंबित, बड़े अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होने से उठे सवाल
By एस पी सिन्हा | Published: July 22, 2021 07:22 PM2021-07-22T19:22:17+5:302021-07-22T19:29:51+5:30
बिहार विधानसभा का मानसून सत्र शुरू होने से पहले विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने बड़ी कार्रवाई की है। विधायकों के साथ मारपीट और बदसलूकी के आरोप में दो पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है।
पटनाःबिहार विधानसभा का मानसून सत्र शुरू होने से पहले विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने बड़ी कार्रवाई की है। विधायकों के साथ मारपीट और बदसलूकी के आरोप में दो पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है। विधानसभा अध्यक्ष ने इस कार्रवाई की जानकारी देते हुए बताया कि दोनों पुलिसकर्मी जांच में दोषी पाए गए थे।
उन्होंने कहा कि विधायकों से दुर्व्यवहार के दोषी पुलिसकर्मियों की पहचान कर दृश्य, श्रव्य साक्ष्य के आधार पर जांच करते हुए कठोर कार्रवाई करने का निर्देश आयुक्त और पुलिस महानिरीक्षक को दिया था। उन्होंने भी इन अधिकारियों के साथ विधानसभा सचिवालय के सीसीटीवी से लिए घटना के वीडियो फुटेज तथा नेता प्रतिपक्ष द्वारा उपलब्ध कराए वीडियो फुटेज को भी देखा था। इस मामले की जांच पूरी होने के बाद दोषी पाए गए दो पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है।
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि इस प्रकार का किया गया कार्य पुलिस की छवि को भी धूमिल करता है। इसलिए दोनों पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया है। सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेताओं को भी विधायिका के नियम कानून का पालन करना चाहिए। मेरी हमेशा से कोशिश रही है कि माननीय सदस्यों की प्रतिष्ठा पर कभी आंच नहीं आए। निलंबित सिपाहियों में सिपाही संख्या 4756 शेष नाथ प्रसाद और 5204 रंजीत कुमार हैं।
बजट सत्र के दौरान हुआ था हंगामा
यहां उल्लेखनीय है कि 23 मार्च को विधानसभा परिसर में विधानसभा के सुरक्षा प्रहरी की संख्या काफी कम रहने के कारण मार्शल और बिहार पुलिस के जवानों की प्रतिनियुक्ति की गई थी। बजट सत्र का वह दिन विधानसभा में काफी हंगामेदार रहा था। बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस बल विधेयक के विरोध में राजद के विधायको ने उस दिन सदन के अंदन जमकर हंगामा मचाया था। शाम को विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष के कमरे के बाहर धरना देकर उनका घेराव किया था। इसके बाद विधानसभा में पुलिस बल का प्रयोग करते हुए विरोध करने वाले तमाम विधायकों को सदन से धक्के मार कर बाहर निकाला गया था। आरोप लगा था कि इस दौरान हंगामे पर काबू पाने के नाम पर पुलिसकर्मियों ने विधायकों के साथ मारपीट और बदसलूकी की। इस दौरान जो तस्वीरें देखने को मिली थी, उसने बिहार में लोकतंत्र को शर्मसार किया था। लात और जूते से विधायक पीटे गए थे। विधायक को पीटते हुए पुलिस के जवान और अधिकारी नजर आ रहे थे। लगभग दो दर्जन विधायकों को मारपीट कर बाहर निकाला गया था, लेकिन अब इस मामले में महीनों बाद जब कार्रवाही हुई तो केवल दो सिपाहियों पर गाज गिरी है।
बड़े अधिकारी भी पीटते आ रहे नजर
जिस सीसीटीवी फुटेज के आधार पर यह कार्यवाही की गई है। उसमें पुलिस के बडे़ अधिकारी और दारोगा से लेकर डीएसपी तक विधायकों को पीटते नजर आ रहे थे। हालांकि इस सब के बावजूद किसी भी पुलिस पदाधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। केवल दो सिपाहियों शेषनाथ और रंजीत कुमार को बलि का बकरा बना दिया गया। यहां बता दें कि तीन महीने बाद भी कार्रवाई नहीं होने पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने पत्र लिखकर विधानसभा अध्यक्ष से सवाल पूछा था। उन्होंने कहा था कि इतने दिन बाद विधायकों की पिटाई करने वाले अधिकारियों पर क्या कार्रवाई हुई? ऐसे में मानसून सत्र में सदन में जाने से विपक्षी विधायक डर रहे हैं। हालांकि, विधानसभा अध्यक्ष ने तेजस्वी के पत्र का जवाब देते हुए कहा था कि किसी विधायक को सदन में आने से डरने की जरूरत नहीं है, गलत करने वाले डरेंगे।