हर मंदिर का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य, नीतीश सकार को देना होगा चार प्रतिशत टैक्स, धार्मिक न्यास बोर्ड ने रजिस्ट्रेशन कराने का जारी किया फरमान
By एस पी सिन्हा | Published: November 29, 2021 09:41 PM2021-11-29T21:41:34+5:302021-11-29T21:43:07+5:30
बिहार के राज्य धार्मिक न्यास पर्षद के अध्यक्ष एके जैन के मुताबिक राज्य में अभी तक 4,600 मंदिरों का रजिस्ट्रेशन हुआ है. इसके अलावा भी प्रदेश में कई प्रमुख मंदिर हैं, जिनका रजिट्रेशन नहीं हुआ है.
पटनाः बिहार में सरकार अब मंदिरों से टैक्स वसूली की तैयारी कर रही है. इसके लिए रजिस्ट्रेशन करा्ने का फरमान जारी किया गया है. अब अगर आपके घर में मंदिर बना है और उसमें बाहरी लोग भी पूजा-अर्चना करने आते हैं, तो उस मंदिर को सार्वजनिक माना जायेगा.
धार्मिक न्यास बोर्ड के नए फैसले के मुताबिक हर मंदिर का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया गया है. बताया जाता है कि मंदिरों को अब चार फीसदी टैक्स भरना होगा. इसके लिए सभी सार्वजनिक मंदिरों को धार्मिक न्यास बोर्ड के तहत रजिस्ट्रेशन कराने की अपील की गयी है. रजिस्ट्रेशन होने के बाद सभी मंदिरों का संचालन न्यास बोर्ड के नियमों के अनुसार होगा और सभी को चार प्रतिशत टैक्स देना होगा.
धार्मिक न्यास बोर्ड एक दिसम्बर से अभियान चलाकर यह सुनिश्चित करेगा. बोर्ड ने सभी जिलों के जिलाधिकारियों से रजिस्टर्ड मंदिरों की लिस्ट मांगी है. सूत्रों के मुताबिक अभी तक सिर्फ भोजपुर ने यह लिस्ट जारी की है. बोर्ड का कहना है कि बिहार में 46 सौ रजिस्टर्ड मंदिर हैं. अभी ये ही मंदिर टैक्स भरते हैं. जबकि बिहार में बडी संख्या में छोटे-बडे कई अन्य प्रमुख मंदिर भी हैं.
इन मंदिरों का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है और न ही ये टैक्स भरते हैं. बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड का कहना है कि अब बिहार के हर मंदिर को रजिस्ट्रेशन कराना होगा. यदि लोग वहां दर्शन करने आते हैं तो चार प्रतिशत टैक्स भरना होगा. वैसे सभी मंदिर जो किसी के घर के अंदर बने हों और यदि वहां बाहरी लोग भी वहां बड़ी संख्या में पूजा-पाठ करने आते हों तो सरकार के अनुसार उसे सार्वजनिक मंदिर कहा जायेगा.
बिहार के राज्य धार्मिक न्यास पर्षद के अध्यक्ष एके जैन के मुताबिक राज्य में अभी तक 4,600 मंदिरों का रजिस्ट्रेशन हुआ है. इसके अलावा भी प्रदेश में कई प्रमुख मंदिर हैं, जिनका रजिट्रेशन नहीं हुआ है. इसके अलावा कुछ बडे मंदिर, रजिस्ट्रेशन के बाद भी बोर्ड को नियमित टैक्स नहीं दे रहे हैं.
बताया जा रहा है कि पहले से रजिस्टर्ड मंदिरों की जमीन के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए जिलाधिकारियों को विधि मंत्रालय की ओर से चिट्ठी लिखी गई है. सूत्रों के अनुसार बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड की अपनी आर्थिक स्थिति बेहतर नहीं है.
इसलिए अब निजी मंदिरों को सार्वजनिक कर टैक्स लगाने की तैयारी है, जिससे कि धार्मिक न्यास बोर्ड को आर्थिक स्थिति में सुधार हो. साथ ही मंदिरों की व्यवस्था भी पारदर्शी ढंग से चल सके. राज्य के कई ऐसे बडे़ मंदिर हैं, जहां सालाना लाखों रुपयों का चढावा आता है, पर रजिस्ट्रेशन नहीं होने के कारण वो धार्मिक न्यास बोर्ड से स्वतंत्र हैं. रजिस्ट्रेशन करवाने के बाद इन सभी को टैक्स देना जरूरी होगा.