बिहारः शराबबंदी के बाद जदयू की आमदनी में पांच साल में अभूतपूर्व वृद्धि, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा-सारा राजस्व शराब माफिया को जाता है, पेश किया आंकड़े
By एस पी सिन्हा | Published: August 10, 2022 08:04 PM2022-08-10T20:04:11+5:302022-08-10T20:05:28+5:30
केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि बिहार में असल में राजद के पास सत्ता होगी, प्रधानमंत्री बनने की अपनी महत्वाकांक्षा को आगे बढ़ाने के लिए नीतीश कुमार ने उससे मिलाया हाथ है।
पटनाः बिहार में नीतीश कुमार के द्वारा पलटी मारते हुए सात्ता परिवर्त्न कर दिये जाने के बाद अब भाजपा के नेता आक्रमक मूड में आ गए हैं। इसके साथ ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जदयू के कामों की पोल खोलने का सिलसिला शुरू हो गया है।
भाजपा के फायर ब्रांड नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने आरोप लगाया है कि शराबबंदी कानून लागू होने के बाद जदयू इकलौती ऐसी पार्टी है, जिसकी आमदनी में पांच साल में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। उन्होंने आरोप लगाया है कि बिहार में शराबबंदी के बाद बिहार सरकार को मिलने वाला सारा राजस्व शराब माफिया को जाता है, जिसका इस्तेमाल जदयू अपनी पार्टी को जिंदा रखने के लिए करता है, आज शराबबंदी कानून हटेगा, कल जदयू खत्म होगा। उन्होंने कहा है कि शराबबंदी के बाद जदयू के चंदे के संग्रह में अभूतपूर्व इजाफा हुआ है।
गिरिराज सिंह ने शराबबंदी के बाद पांच साल में जदयू को मिलनेवाले चंदे का आंकड़ा भी जारी किया है। आंकडों के अनुसार 2016-17 से 2020-21 में पार्टी को मिले चंदे के बारे में बताया है। उन्होंने बताया कि किस तरह पांच साल में जदयू का चंदा 359 लाख से बढ़कर आज 6,531 लाख हो गया है।
बिहार में शराबबंदी के बाद बिहार सरकार को मिलने वाला सारा राजस्व शराब माफिया को जाता है, जिसका इस्तेमाल जदयू अपनी पार्टी को जिंदा रखने के लिए करता है, आज शराबबंदी कानून हटेगा, कल जदयू खत्म होगा।
— Shandilya Giriraj Singh (@girirajsinghbjp) August 10, 2022
शराबबंदी के बाद जेडीयू के चंदे के संग्रह में अभूतपूर्व इजाफा हुआ है। pic.twitter.com/824BeXNMpR
जहां 2016-17 में पार्टी की आय 359 लाख थी, वहीं 2020-21 में यह राशि 6,531 लाख हो गई। यह तब है जब बिहार में कोई बड़ा उद्योग नहीं लगा। जाहिर है कि शराब के धंधेबाजों ने जदयू को यह चंदा दिया, ताकि शराबबंदी के नाम का दिखावा यूं ही चलता रहा। गिरिराज सिह ने कहा कि भाजपा को बिहार में नागनाथ और सांपनाथ (जदयू और राजद) में से किसी एक को चुनना था।
इसलिए पार्टी ने प्रदेश की भलाई के लिए नीतीश कुमार को चुना था। उन्होंने कहा कि उन्हें पहले ही पता था कि बिहार में एनडीए का गठबंधन टूटेगा। उन्होंने कहा कि हम नीति और नियत के साथ चलते हैं। नीतीश कुमार के मन में महत्वाकांक्षा सिर पर नाचने लगी। जदयू को गठबंधन तोड़ने के लिए कुछ न कुछ बहाना चाहिए था।
अगर हमें साथ छोड़ना होता तो 43 सीटों वाली जदयू और 74 सीटों वाली भाजपा की कोई तुलना थी क्या? गिरिराज सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार आज दिन तक कभी अकेले चुनाव नहीं लड़े। उन्हें भाजपा ने ही मुख्यमंत्री बनाए रखा। बिहार में अमरलत्ता कहा जाता है, वो नीतीश कुमार हैं जो कभी अकेले चुनाव नहीं जीत पाएंगे। पहले नीतीश कुमार बिहार में अपनी लोकप्रियता साबित करें, बाद में प्रधानमंत्री बनने के सपने देखना।