बिहार: जानें किन दो वजहों से प्रशांत किशोर ने छोड़ा नीतीश कुमार का साथ, कहा- वह हमारे पिता के समान हैं, लेकिन...
By अनुराग आनंद | Published: February 18, 2020 11:38 AM2020-02-18T11:38:39+5:302020-02-18T12:13:53+5:30
प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार के लिए मेरे मन में सम्मान है लेकिन उन्हें किसी बाहरी आदमी का पिछलग्गू नहीं बनाना चाहिए। प्रशांत किशोर ने युवाओं के साथ मिलकर काम करने की बात कही है।
बिहार की राजधानी पटना में प्रशांत किशोर ने मीडिया के सामने अपनी बात को रखते हुए नीतीश कुमार के बारे में कहा कि वह मेरे पिता के समान हैं और उन्होंने मुझे अपने बेटे की तरह माना है। इसके साथ ही प्रशांत ने कहा कि नीतीश कुमार के लिए मेरे मन में सम्मान है लेकिन उन्हें किसी बाहरी आदमी का पिछलग्गू नहीं बनाना चाहिए।
इसके साथ ही उन्होंने नीतीश के साथ छोड़ने के लिए दो वजहें बताई है। पहली वजह उन्होंने विचारधारा की लड़ाई को बताया है। उन्होंने साफ कहा कि गांधी व गोडसे साथ नहीं हो सकते हैं। इसके साथ ही पार्टी में पद व नीतीश कुमार के विकास की छवी पर भी उन्होंने सवाल खड़ा किया है।
उन्होंने कहा कि 2014 के नीतीश के लिए मेरे मन में ज्यादा सम्मान है। वो बिहार के 10 करोड़ लोगों के नेता हैं, इसलिए भी उन्हें किसी बाहरी शख्स का पिछलग्गू नहीं बनना चाहिए।
प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश जी के साथ मेरी चर्चा गांधीजी के विचारों को लेकर होती रही है। हम दोनों के बीच मतभेद रहा है कि गांधी और गोडसे साथ नहीं चल सकते।
Political strategist Prashant Kishor: Hum woh neta chahte hain jo sashakt ho, jo Bihar ke liye apni baat kehne mein kisi ka pichhlaggu na bane. https://t.co/V7X22ul1Rwpic.twitter.com/5SMSJCClm0
— ANI (@ANI) February 18, 2020
प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार को देश के सबसे अग्रणी 10 राज्यों में शामिल बनाने के लिए पंचायत स्तर पर बेहतर लोगों को हिस्सा लेना होगा। पंचायत स्तर पर सुधार से ही देश में प्रति व्यक्ति आय बढ़ेगी।
इसके साथ ही प्रशांत ने कहा कि नीतीश कुमार का मानना है कि सोशल मीडिया पर होना जरूरी नहीं है। लेकिन, मेरा विचार इससे अलग है। मैं युवाओं को सोशल मीडिया के माध्यम से जोड़कर देश में बिहार को अग्रणी राज्य बनाने के लिए काम करूंगा।
प्रशांत किशोर की मानें तो कई तरह के समझौते करने के बाद भी बिहार में वैसा विकास नहीं हुआ, जैसा होना चाहिए था। पटना यूनिवर्सिटी को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने के लिए नीतीशजी ने मांग की थी, केंद्र की तरफ से कोई जवाब नहीं आया।
इसके बाद प्रशांत किशोर ने कहा कि मैं अगले 2 दिनों में 'बात बिहार की' के माध्यम से पूरे राज्य से युवाओं को जोड़ूंगा। प्रशांत किशोर ने पत्रकारों के सवाल पर जवाब देते हुए कहा कि मैं किसी का एजेंट नहीं हूं। प्रशांत ने यह भी कहा कि यदि बिहार का विकास इतना ज्यादा हो ही गया होता तो इतना ज्यादा संख्या में लोग बिहार से बाहर पलायन नहीं करते। आज लाखों लोग बिहार के बाहर दिल्ली, पंजाब और गुजरात में काम कर रहे हैं।