बिहार पोस्टर वॉर: अब JDU ने लिखा- 'क्यूं करें विचार, जब है ही नीतीश कुमार'
By एस पी सिन्हा | Published: September 8, 2019 05:35 PM2019-09-08T17:35:49+5:302019-09-08T17:35:49+5:30
बिहार में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले सूबे में सत्तारूढ़ जदयू और विपक्षी पार्टी राजद के बीच पोस्टर वॉर जारी है.
चुनाव से पहले जदयू की तरफ से नीतीश कुमार को लेकर नारों पर सियासत तेज हो गई है. जदयू आगामी चुनाव को लेकर पोस्टर के जरिए अपनी रणनीति पर आगे बढ़ रही है. हालांकि जदयू के स्लोगन पर जमकर बवाल हुआ. इसके बाद जदयू ने अपनी नई रणनीति के तहत स्लोगन में बदलाव किया है.
पार्टी ने दूसरे स्लोगन का आकर्षक पोस्टर लगाया है. इसी कड़ी में "ठीके है" वाले पोस्टर पर उठ रहे सवालों के बाद जदयू ने अपने नारे में बदलाव करते हुए अब दूसरा पोस्टर जारी किया है, जिसमें लिखा है, 'क्यूं करें विचार, जब है ही नीतीश कुमार'.
यहां उल्लेखनीय है कि कुछ दिनों पहले जदयू ने राजग का चुनावी चेहरा बताते नारे (क्यों करें विचार, ठीके तो हैं नीतीश कुमार) वाला एक बैनर पार्टी मुख्यालय पर लगाया था तो इसके जवाब में राजद ने भी ठीक समाने स्थित अपने मुख्यालय पर जवाबी बैनर (क्यों ना करें विचार, बिहार है बीमार...) लगा दिया था. इसके बाद इस जंग में जन अधिकार पार्टी (जाप) भी कूद पड़ी और उसने बैनर पर लिखा- हो चुका है विचार, देंगे उखाड़... कहीं के नहीं रहेंगे नीतीश कुमार. इसके बाद "ठीके है" वाले पोस्टर पर उठ रहे सवालों के बाद जदयू ने अपने नारे में बदलाव कर लिया है.
जदयू ने नीतीश कुमार को लेकर अपना नारा बदल लिया है. राजनीतिक हल्के में इस स्लोगन की व्याख्या अलग-अलग एंगल से शुरू हो गई है. दरअसल, पहले जो नारा गढ़ा गया था उसको लेकर विपक्ष के लोगों ने नीतीश कुमार पर निशाना साधा था तो सोशल मीडिया पर एक खास शब्द "ठीके" को लेकर सवाल उठे थे. बिहार में ठीके शब्द का उपयोग अंतिम विकल्प के तौर पर होता है ऐसे में विपक्ष ने इस शब्द को हाथों हाथ लेते हुए सवाल खड़े किए थे.
पोस्टर के सामने आने के बाद पप्पू यादव ने ट्विटर पर भी मोर्चा खोल लिया और लिखा, लगभग 15 साल मुख्यमंत्री रहने के बाद भी फिर से! अरे, एक बार फिर क्यों? न बाबा न, बिल्कुल नहीं! बहुत हुआ! जाइये, बिहार को अब चाहिए नई सरकार. जो दे सके युवाओं को रोजगार, जो शिक्षा और स्वास्थ्य में बना सके अव्वल बिहार. जो सबको दे सके शांति, सुरक्षा, न्याय एवं सम्मान के साथ समान अधिकार.
ऐसे में इन बैनरों से एक बात तो स्पष्ट है कि आगामी विधानसभा चुनाव से पहले हीं नारों का महाभारत अभी से शुरू हो चुका है और इसके केंद्र में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं. एक तरफ एनडीए में जदयू नीतीश कुमार को अभी से मुख्यमंत्री का चेहरा बताने लगी है तो विपक्ष भी मान रहा है कि विधानसभा चुनाव में सीधा लड़ाई नीतीश कुमार से ही होने जा रहा है. बीते दो सितंबर को पटना के जदयू कार्यालय के पास लगे एक बैनर के साथ विघानसभा चुनाव को केंद्र में रखकर राजनीतिक नारों की शुरुआत हुई. इस बैनर में बिहारी अंदाज में नारा देकर यह बताया गया कि जब राज्य में नीतीश कुमार विकास कर रहे हैं, वे सबसे अच्छे हैं तो दूसरे किसी नाम पर विचार करने की भला क्या जरूरत है.
जदयू के नारे के बाद विपक्ष को तो जवाब देना ही था तो सबसे पहले राजद ने उसी पलट वॉर करता अपना बैनर लगाया. इसमें राजद ने सरकार और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला बोला. राजद ने जवाबी नारा दिया- 'क्यों ना करें विचार, बिहार है बीमार...' अपने बैनर में राजद ने चमकी बुखार, बाढ, हत्या, सुखा, डकैती, अपहरण, लूट को दर्शाते हुए राज्य में कुव्यवस्था को दिखाया तथा नीतीश कुमार की नाकामियों को उजागर किया. विपक्ष ने इस स्लोगन पर तंज कसा था कि चुनाव से पहले जदयू में हताशा को प्रदर्शित कर रहा है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा था कि मुख्यमंत्री चाचा का कॉन्फिडेंस लूज हो गया है. उनसे सत्ता संभल नहीं रहा. बिहार में हर तरफ अपराध चरम सीमा पर है. आगामी विधानसभा चुनाव में इनकी हार तय है.
उल्लेखनीय है कि ऐसे तो बिहार विधानसभा का चुनाव 2020 में होना है. 2015 में भी नीतीश कुमार को लेकर जदयू के रणनीतिकार प्रशांत किशोर की टीम ने एक स्लोगन दिया था. बिहार के साथ लोगों के बीच में, 'बिहार में बहार है, नीतीशे कुमार है.' वहीं, पार्टी नेताओं की मानें तो अभी कई नारे आएंगे. नीतीश कुमार ने बिहार के लिए बहुत काम किया है. पिछले 13 सालों में उन्होंने जनता के दिलों में खास जगह बनाई है. इसे नारों के माध्यम से दिखाने की कोशिश होगी.